Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
क्या आप जानते हैं कि अपने देश में जन्म लेने वाले अधिकांश नवजात शिशु पीलीया यानी जॉन्डिस (Jaundice or Piliya) से पीड़ित होते हैं ? पीलिया होने की स्थिति में अगर समय पर उपचार नहीं किया गया तो बच्चे को शारीरिक रूप से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आप परेशान ना हो, आज हम आपको इस ब्लॉग में नवजात शिशु को होने वाले पीलिया यानि नवजात जॉन्डिस (Newborn Jaundice) के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय और घरेलु उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं।
नवजात शिशु में होने वाला जॉन्डिस क्या है?
जॉन्डिस के सामान्य लक्षणों की तरह शिशु की त्वचा और आंखें पीली हो जाती है। आमतौर पर ये लक्षण शिशु के जन्म के पहले सप्ताह से ही देखने को मिल जाते हैं।
क्या हैं नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण
कैसे पहचानें नवजात शिशु में पीलिया (जॉन्डिस) के लक्षण? जन्म लेने के 2 या 3 दिन के बाद ही नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण विकसित होने लगते हैं। कुछ स्थितियों में पीलिया के लक्षण शिशु के जन्म के 2 से 3 सप्ताह में बिना इलाज के भी ठीक हो जाते हैं।
अगर ये लक्षण आपको अपने शिशु में नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर शिशु की जांच करते हैं। शिशु के ब्लड का सैंपल लेकर सीरम बिलीरुबीन के स्तर की जांच की जाती है। इसके अलावा ट्रांस क्यूटनेस बिलीरूबिन मीटर से बिना ब्लड सैंपल लिए हुए जांडिस की जांच की जा सकती है। वैसे तो 2 या दिन हफ्तों में ये बीमारी ठीक हो जाती है लेकिन गंभीर स्थिति होने पर बच्चे को डॉक्टर अपनी निगरानी में हॉस्पीटल में रख सकते हैं।
नवजात शिशु में होने वाले पीलिया के लिए उपचार
बच्चे में बिलीरूबिन के स्तर को कम करने के लिए इस तरह के उपचार किए जाते हैं।
नवजात में पीलिया की रोकथाम कैसे करें?
नवजात शिशु में जॉन्डिस की रोकथाम के लिए इन उपायों को आजमाना चाहिए।
शिशु में पीलिया के क्या हैं घरेलू उपचार?
जानिए हम आपको नवजात शिशु में होने वाले पीलिया के लिए कुछ घरेलु उपचार भी बता रहे हैं।
अमेरिकी प्रांत लॉस एंजेल्स में जब आम लोगों ने एक तेल कंपनी के ख़िलाफ़ संघर्ष शुरू किया तो उसके केंद्र में एक छोटी-सी बच्ची थी जो सांस की बीमारी से जूझ रही थी. लोगों का कहना था कि तेल कंपनी उनके वातावरण को प्रभावित कर रही है. नलेली कोबो तब सिर्फ 9 साल की थीं जब वह अस्थमा, नाक से खून निकलने और सिर दर्द से परेशान होने लगीं थीं.
लॉस एंजेल्स में उनके घर से सिर्फ़ कुछ दूरी पर तेल का एक कुंआ था, जो कि सक्रिय था. नलेली ने इसके ख़िलाफ़ लड़ाई शुरू की. नलेली और उनकी मां को कुछ समय बाद पता चला कि उस तेल के कुंए का असर सिर्फ़ वो ही महसूस नहीं कर रहे थे, उनके पड़ोसियों में से भी कुछ बीमार हो रहे थे.
नलेली जहां रहती थीं, वहां रहने वाले ज़्यादातर लोग कम आय वाले ही थे. लेकिन उन्होंने अपनी आवाज़ तब तक बुलंद रखी जब तक उन्होंने उस साइट को अस्थाई तौर पर बंद नहीं करवा दिया.
लेकिन नलेली यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने युवा कार्यकर्ताओं के संगठन के साथ मिलकर और दूसरे संस्थानों के सहयोग से तेल के कुंए से तेल निकालने को लेकर लागू प्रतिबंधों को और सख़्त करने की मांग की और उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली.
तेल के कुंए के अधिकार वाली कंपनी के ख़िलाफ़ एक आधिकारिक मामला दर्ज करवाया गया. हालांकि जब हमने इस कंपनी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनक़ार कर दिया. नलेली की तुलना पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से की जाती है. हालांकि नलेली को स्थानीय लोग बीते एक दशक से अधिक समय से जानते हैं.
19 साल की उम्र में चला कैंसर का पता
नलेली उस समय 19 साल की थीं जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है. इसके बाद उन्होंने साल 2020 की शुरुआत में ही पर्यावरण और दूसरे सामाजिक मुद्दों पर अपनी सक्रियता को सीमित कर दिया. उनके डॉक्टर को नहीं पता है कि उन्हें कैंसर कैसे और क्यों हुआ. तीन ऑपरेशन और मेडिकल ट्रीटमेंट के बाद हाल ही में उन्हें कैंसर-फ्री घोषित किया गया है.
मैं साउथ-सेंट्रल लॉस एंजेल्स के यूनिवर्सिटी पार्क में पली और बड़ी हुई. जहां हम रहते थे वहां से सड़क पार करके महज़ 30 फ़ीट की दूरी पर एलेनको के स्वामित्व वाला एक तेल का कुंआ था. जिसे कंपनी ने साल 2009 में लिया था.
मैं मेरी मां के साथ रहती थी. मेरे तीन भाई-बहन थे. मेरी दादी थीं, मेरे पर-दादा, पर-दादी थीं. हम सभी एक ही अपार्टमेंट में रहते थे. मुझे लेकर हमारे परिवार में कुल आठ सदस्य थे. मेरी मां मेक्सिको से हैं और मेरे पिता कोलंबिया से. जब मैं दो साल की थी तो उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया और उनके बाद मेरी मां ने ही मुझे पाला. यह साल 2010 की घटना है और उस समय मैं नौ साल की थी. अचानक से एक दिन मुझे पेट में तेज़ दर्द हुआ और उल्टियां शुरू हो गईं.
मेरा शरीर इस तरह दर्द से ऐंठने लगा कि मैं चल तक नहीं पा रही थी. मेरी मां को मुझे उठाकर लेकर जाना पड़ा क्योंकि मैं एकदम जम-सी गई थी. मेरी नाक से खून आना शुरू हो गया था. मुझे नीचे बैठे-बैठे सोना पड़ता था ताकि जब मैं सुबह सोकर उठूं तो अपने ही खून से नहाई हुई ना दिखूं. मैं मेरे ही घर में थी, जहां मुझे कोई साइलेंट किलर धीरे-धीरे ज़हर में डुबो रहा था.
जब मैंने और मेरी मां ने इस पर ध्यान दिया तो हमें समझ आया कि इससे सिर्फ़ मेरे स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ रहा था बल्कि हर किसी पर इसका अपने तरीक़े से असर पड़ रहा था.
मेरी मां को चालीस साल की उम्र में ही सांस की बीमारी हो गई थी, जो अपने-आप में अचरज की बात है. मेरी दादी को 70 साल की उम्र में अस्थमा की शिकायत हो गई. मेरी बहन को फाइब्रॉयड की समस्या थी और मेरे भाई को भी अस्थमा था. हर कोई किसी ना किसी तरह की बीमारी से जूझ रहा था.
लेकिन इन बीमारियों का शिकार सिर्फ़ मेरा परिवार नहीं हो रहा था. वहां रहने वाले और भी लोग इससे जूझ रहे थे. लोगों ने एक-दूसरे को जब इस बारे में कुछ-कुछ बताना शुरू किया तब हर किसी ने इस संबंध में अपना मत रखा और सभी ने यह माना कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है.
इस गड़बड़ी या बदली हवा को हम सूंघ कर समझ सकते थे. यह गंध सड़े हुए अंडे की तरह थी और अगर यह गंध एक बार घर में घुस जाती थी तो आसानी से दूर नहीं होती थी. कई बार अमरूद या फिर चॉकलेट-सी महक आती थी, जो कि कृत्रिम खूशबू होती थी.
शुरुआत में हमने अपनी बिल्डिंग में ही देखना शुरू किया कि कहीं बिल्डिंग में ही तो कुछ नहीं रिस रहा. लेकिन उसके बाद हमने टॉक्सिकोलॉजिस्ट की मदद ली और फिर उस इलाक़े में रहने वाले लोगों से बात की.
टॉक्सिकोलॉजिस्ट्स ने हमें बताया कि तेल को साफ़ करने और उसके उत्सर्जन के लिए कुछ रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक इसके संपर्क में रहेगा को उसकी सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
यही वो समय था जब हमने सड़क पार के उस तेल के कुंए के बारे में जाना. हमने लोगों को जमा करना शुरू किया और पीपुल नॉट पोज़ोस नाम से एक कैंपेन तैयार किया. पोज़ोस एक स्पेनिश शब्द है जिसका मतलब तेल के कुंए होता है.
हमने साउथ कोस्ट एयर क्वालिटी मैनेजमेंट डिस्ट्रिक्ट में इस संबंध में शिकायत दायर करवायी. हमने घर-घर जाकर लोगों का दरवाज़ा खटखटाया और उनसे कहा कि क्या वे सिटी हॉल में आकर अपनी कहानी बताएंगे. यह अपने आप में बेहद प्रभावित करने वाला था कि स्पैनिश लोग, काले और भूरे लोग और प्रवासी सभी सिटी हॉल में आकर हमें सुनते थे.
लॉस एंजेल्स टाइम्स ने हमारे बारे में एक कहानी लिखी और इसने यूएस के पूर्व कैलिफ़ोर्निया सीनेटर बारबरा बॉक्सर का ध्यान अपनी ओर खींचा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बॉक्स अपने साथ पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के जांचकर्ताओं को साथ लेकर आए और इसके बाद उन्होंने जांच की. वे कुछ ही मिनटों के लिए उस जगह पर रह पाए क्योंकि उस गंध का असर उन पर होने लगा था.
(स्थानीय और संघीय जांच के बाद एलनको ने अस्थाई तौर पर साइट को बंद करने के लिए सहमति दे दी.)
(लॉस एंजेल्स शहर ने कंपनी पर मुक़दमा दायर किया और 2016 में अदालत का आदेश आया. जिसमें कहा गया कि कंपनी और सख़्त नियमों का पालन करने की ज़रूरत है. कोर्ट के आदेश में कहा गया कि अगर वे दोबारा से ड्रिलिंग शुरू करना चाहते हैं तो उन्हें पहले से अधिक सख़्त नियमों की पालन करना होगा.)
जब यह घोषणा हुई तो हम सभी बहुत खुश हुए लेकिन यह एक लंबी लड़ाई के बाद हुआ. हमने यह लड़ाई 2010 में शुरू की थी लेकिन यह फ़ैसला साल 2013 में आया. और अब हम चाहते हैं कि यह स्थायी तौर पर बंद हो जाएं.
मैं साउथ सेंट्रल यूथ लीडरशिप कोलिएशन के सह-संस्थापकों में से एक हूं और अन्य संगठनों के साथ मिलकर हमने कैलिफ़ोर्निया पर्यावरण गुणवत्ता अधिनियम के उल्लंघन के लिए 2015 में लॉस एंजेल्स शहर पर मुक़दमा भी दायर किया था. हम जीत गए और इसका मतलब ये हुआ कि अब जब भी कोई नए कुंओं को खोलेगा या फिर उनका विस्तार करेगा तो उसे नए तरीक़े से आवेदन करना होगा.
भले ही अब मैं वहां नहीं रहती लेकिन मैं तेल के कुंओं और स्कूलों या फिर अस्पतालों या फिर पार्क के बीच कम से कम 2300 फ़ीट के बफ़र ज़ोन बनाने के लिए अभियान चलाती हूं.
एक कार्यकर्ता होने के अलावा मैं किसी भी दूसरे बच्चे की तरह हूं. मुझे मेकअप पसंद है, मुझे घूमना पसंद है. मैं एक डांसर हूं और मैं फ़िलहाल कॉलेज में पढ़ रही हूं.
केवल एक चीज़ जो मुझे कई दूसरे लोगों से अलग करती है वो यह कि मुझे किस चीज़ को करने में सबसे अधिक खुशी मिलती है और जिसे मैं जुनून के साथ करती हूं वो मुझे की लोगों की तुलना में पहले पता चल गया.
15 जनवरी साल 2020 में मुझे मेरे कैंसर के बारे में पता चला. निश्चित तौर पर यह परेशानी में डालने वाली बात थी. मैं और मेरी मां मेडिकल बिल को लेकर काफी परेशान रहे लेकिन हम भाग्यशाली रहे कि क्राउड-फंडिंग से यह भी परेशानी दूर हो सकी.
मेरे डॉक्टर अभी भी यह नहीं जानते हैं कि मुझे कैंसर क्यों हुआ. हां लेकिन जांच से वो ये जान पाये हैं कि यह आनुवांशिक नहीं है. लेकिन अब मैं कैंसर मुक्त हो चुकी हूं और इस बात से बेहद खुश हूं. मैं एक सिविल राइट्स अटॉर्नी के तौर पर अपना करियर बनाना चाहती हूं और बाद में राजनीति में जाना चाहती हूं.
महिला दिवस यानी की वह एक दिन जिसमें हर नारी को अपने खास होने का एहसास होता है। अगर आप महिला हैं और अपने इस दिन को हमेशा हमेशा के लिए अपनी यादों के पन्नों में संजो लेना चाहती हैं तो हम आपको बताएगें कुछ ऐसे शानदार टिप्स जिससे आप इस दिन को यादगार बना सकती हैं। चलिए देखते हैं क्या हैं यह तरीके-
क्या करें इस दिन-
3. पार्टी- इस दिन एक यादगार पार्टी हो सकती है जिसमें केवल लडकियां ही लडकियां हों। पार्टी करें और अच्छे से ड्रेस अप हों यानी की फुल ऑन मस्ती ही मस्ती।
4. छुट्टी मनाएं- अपनी महिला मंडली को तैयार करें और उनके साथ किसी भी अपनी मनपसंद जगह पर कुछ दिनों के लिए छुट्टी बितानें निकल पड़ें। खूब सारी फोटों लें जिससे आपका यह दिन हमेशा के लिए यारदगार हो जाए।
5. स्पा जाएं- अगर आपको अपना लंबा समय स्पा और पार्लर में बिताना अच्छा लगता है तो खुद के लिए स्पा बुक करें। इस दिन अपने ऑफिस से छुट्टी लें और खुद को पूरा समय दें। अगर अपनी दोस्तों को साथ में ले जाएं तो सोने पर सुहागा।
माता-पिता बनने की इच्छा रखने वाले कपल्स इनफर्टिलिटी के उपचार के लिए कई तरीकों को अपनाते हैं। अगर आप भी ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं तो यकीनन आपको एसिस्टेड रिप्रॉडक्टिव टेक्नोलॉजी यानी (एआरटी) शब्द के बारे में यकीनन सुना होगा। एआरटी शब्द का इस्तेमाल वास्तव में प्रजनन उपचार के लिए किया जाता है। हर कपल की स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए एआरटी के विभिन्न विकल्पों के बारे में डॉक्टर जानकारी देते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको एसिस्टेड रिप्रॉडक्टिव टेक्नोलॉजी यानी सहायक प्रजनन तकनीक व उसके विभिन्न टाइप्स के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
दवाओं से लेकर सर्जरी तक किसी भी प्रजनन उपचार के लिए कभी-कभी एआरटी शब्द का उपयोग एआरटी के रूप में किया जाता है। चिकित्सा समुदाय में, एआरटी उन उपचारों को संदर्भित करता है जो गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए शुक्राणु या अंडे में हेरफेर करते हैं। एआरटी उन जोड़ों में सबसे अच्छा काम करता है जिनमें शुक्राणु के साथ समस्या है या फिर शुक्राणु के लिए अंडे को निषेचित करना मुश्किल बनाता है। जो महिलाएं बार-बार ऑव्यूलेट करती हैं, उन्हें भी एआरटी से लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, एआरटी उन जोड़ों में भी एक व्यवहार्य विकल्प है जिनके पास अस्पष्टीकृत बांझपन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक एआरटी चक्र के साथ गर्भावस्था की संभावना अधिक होती है। साथ ही साथ साथी के बिना गर्भवती होने का प्रयास करने वाले लोग भी एआरटी का चयन कर सकते हैं।
एसिस्टेड रिप्रॉडक्टिव टेक्नोलॉजी के प्रकार
जब भी एसिस्टेड रिप्रॉडक्टिव टेक्नोलॉजी के टाइप्स की बात होती है तो सबसे पहले इन विट्रो फर्टिलाइजेशन अर्थात् आईवीएफ का नाम ही सामने आता है। हालांकि यह एकमात्र विकल्प नहीं है। आपके एआरटी विकल्पों में शामिल हैं-
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन अपेक्षाकृत एक नई तकनीक है जो लगभग तीन दशकों से उपयोग में है। यह सबसे सफल विकल्पों में से एक है, जिसकी सफलता दर प्रति चक्र लगभग 15-25 प्रतिशत है। आईवीएफ चक्र के दौरान, एक डॉक्टर महिला से अंडे प्राप्त करके उन्हें शुक्राणु के साथ निषेचित करता है। निषेचित अंडा एक पेट्री डिश में कई दिनों तक बढ़ता है जब तक कि वह भ्रूण नहीं बन जाता। फिर एक डॉक्टर भ्रूण को वापस महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करता है। आईवीएफ उपचार की सफलता की संभावनाओं को अधिकतम करने के लिए, एक महिला आमतौर पर प्रजनन क्षमता वाली दवाएं लेती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह एक अनुमानित समय पर ओवुलेट करती है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान अक्सर कई भ्रूण पैदा होते हैं। इससे कई बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
आईयूआई या अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान
अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान जिसे कृत्रिम गर्भाधान भी कहा जाता है, एक महिला के गर्भाशय के अंदर अंडे को निषेचित करता है। यह आईवीएफ की तुलना में अधिक किफायती विकल्प है, हालांकि इसमें सफलता की दर कम है। यह उन महिलाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जो बिना साथी के गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा, इसका का उपयोग उन महिलाओं के इलाज के लिए किया जाता है जिनकी सामान्य और स्वस्थ फैलोपियन ट्यूब होती है, या फिर पुरुष साथी के कैंसर के इलाज से पहले वीर्य जम गया हो। आईयूआई के दौरान केवल एक प्रॉसिजर किया जाता है, जिसके दौरान शुक्राणु को महिला में प्रत्यारोपित किया जाता है। कुछ महिलाएं अपने अंडे की संख्या बढ़ाने के लिए आईयूआई से पहले फर्टिलिटी ड्रग्स लेने का विकल्प चुनती हैं। फर्टिलिटी दवाओं से आईयूआई के साथ सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
ओव्यूलेशन इंडक्शन का उपयोग उन महिलाओं द्वारा किया जा सकता है जो नियमित रूप से ओवुलेट नहीं कर रही हैं या ओवुलेशन नहीं कर रही हैं। ओव्यूलेशन इंडक्शन में एक हार्मोन दवा (टैबलेट या इंजेक्शन) लेना शामिल है, जो कूप-उत्तेजक हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है। जब कूप काफी बड़े होते हैं, तो एक और हार्मोन का संचालन किया जाता है जो कूप से अंडा जारी करता है। यदि इस समय के आसपास कपल शारीरिक संबंध बनाते हैं, तो गर्भाधान की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
डोनर स्पर्म गर्भाधान
यह उपचार तब किया जाता है जब एक पुरुष साथी शुक्राणु का उत्पादन नहीं करता है या किसी पुरुष के आनुवंशिक रोग या कोई स्वास्थ्य समस्या गर्भस्थ शिशु में होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, एकल महिला या फिर एक ही लिंग में संबंध रखने वाली महिलाएं भी मां बनने की इच्छा पूरी करने के लिए डोनर स्पर्म गर्भाधान का विकल्प चुनती है। डोनर स्पर्म गर्भाधान की प्रक्रिया कृत्रिम गर्भाधान के समान है।
यदि एक महिला अंडे का उत्पादन नहीं कर सकती या उसके अंडे कम गुणवत्ता के हैं, तो डोनर एग से उपचार संभव है। यह उम्र या समय से पहले डिम्बग्रंथि की विफलता के कारण हो सकता है। जहां महिला अब ओवुलेशन के लिए परिपक्व अंडे का उत्पादन नहीं करती हैं। अगर एक महिला ने कई गर्भपात का अनुभव किया है, या एक महिला को आनुवांशिक बीमारी या बच्चे को असामान्यता से गुजरने का एक उच्च जोखिम है। तो ऐसे में डॉक्टर डोनर एग गर्भाधान का विकल्प चुनने की सलाह देते हैं।
यदि किसी व्यक्ति या कपल को गर्भधारण करने के लिए डोनर स्पर्म और डोनर अंडे की आवश्यकता होती है तो डोनर भ्रूण का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि बहुत कम मामलों में भी लोग डोनर भ्रूण गर्भाधान का विकल्प चुनते हैं, जिन्हें आईवीएफ से गुजरने वाले अन्य कपल्स की तरह विभिन्न प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है। जब प्राप्तकर्ता महिला तैयार होती है, तो भ्रूण को पिघलाया जाता है और उसके गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन
आईसीएसआई का उपयोग आईवीएफ के समान कारणों के लिए किया जाता है, लेकिन विशेष रूप से शुक्राणु समस्याओं को दूर करने के लिए इस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। आईसीएसआई आईवीएफ के समान प्रक्रिया का पालन करता है। आईसीएसआई में निषेचन को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक अंडे में एक ही शुक्राणु का डायरेक्ट इंजेक्शन दिया जाता है।
प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) आईवीएफ में इस्तेमाल की जाने वाली एक तकनीक है जो लोगों को ज्ञात आनुवंशिक स्थिति से गुजरने के जोखिम को कम करने में मदद करती है। पीजीटी दो प्रकार के होते हैं। पीजीटी-एम और पीजीटी-एसआर जिसे प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक के रूप में भी जाना जाता है।