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खास बातें
काम करने वाला व्यक्ति हो या फिर आराम करने वाला, कमर का दर्द (Back Pain) किसी को भी परेशान कर सकता है. इस दर्द से उठना-बैठना तो दूर ढंग से सोना भी दुश्वार हो जाता है. बहुत ज्यादा देर तक ऑफिस या घर में बैठने वाले लोग शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द महसूस करते हैं. वहीं, खानपान में पोषक तत्वों की कमी हड्डियों को कमजोर बना सकती है जिससे यह तकलीफ होती है. ऐसे में कुछ टिप्स का ख्याल रखने के साथ ही घरेलू नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं जो कमरे के निचले हिस्से में हो रहे दर्द को दूर करें.
एक कप से थोड़ा ज्यादा पानी लें और उसे गर्म करने चढ़ा दें. इस पानी में अदरक (Ginger) को बारीक टुकड़ों में काटकर पानी में मिलाएं और उबालकर छान लें. आप इस चाय में स्वाद के लिए शहद डाल सकते हैं. इसे पीने पर कमर के दर्द से छुटकारा मिल सकता है. अदरक के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
हल्दी वाला दूध
एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रिंक्स में हल्दी वाला दूध भी शामिल है. इसे बनाने के लिए एक गिलास दूध में हल्दी मिला लें. अगर आपके पास कच्ची हल्दी (Raw Turmeric) हो तो उसे अदरक की तरह कूटकर डालें. कच्ची हल्दी में किसी तरह की मिलावट नहीं होती और यह दर्द को जड़ से खींचने में सहायक है. इस दूध को रोजाना रात के समय पीना फायदेमंद माना जाता है.
बहुत ज्यादा बैठे या लेटे रहने के कारण भी कमर में दर्द की दिक्कत हो जाती है. किसी ना किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करते रहें. यहां से वहां टहलें. बैठे-बैठे सब्जी काटने की जगह खड़े होकर काटें, दिनभर ऑफिस में पानी भरने के बहाने यहां से वहां चलें, पार्क जाकर सैर करें ये फिर एक्सरसाइज, योगा और एरोबिक्स के लिए वक्त निकालें.
पॉजीशन बदलें
बहुत से लोगों को सिर्फ और सिर्फ गलत पॉजीशन (Position) में बैठने के कारण ही कमर का दर्द परेशान करता है. ऑफिस में बैठे हैं तो लटककर बैठने की जगह कुर्सी पर कमर को एकदम सीधा करके बैठें. घर से काम कर रहे हैं तो बिस्तर पर बैठकर या लेटकर काम करने के बजाय कुर्सी टेबल लेकर बैठें.
सिंकाई करें
कमर की ठंडी या गर्म सिंकाई दर्द दूर करने में फायदा देती है. ठंडी सिंकाई के लिए आप कपड़े में बर्फ का टुकड़ा रख सकते हैं. इसके अलावा गर्म सिंकाई के लिए तवे पर गर्म कपड़ा रखकर कमर पर लगाया जा सकता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.
मील्स के साथ फल खाना
कुछ लोग अपनी मील प्लेट के साथ फल भी खाना पसंद करते हैं या फिर फलों का रस निकालकर साथ में एक गिलास जूस पीते हैं। हालांकि, कभी भी मील्स के साथ फल खाना एक अच्छा विचार नहीं है। इससे आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है। यहां तक कि इससे मील के डाइजेशन और उसमंे मौजूद पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब करने में समस्या हो सकती है।
चीज़ी फूड के साथ कोल्ड ड्रिंक पीना
बहुत से लोगों की आदत होती है कि वे अपने चीज़ पिज्जा के साथ कोल्ड ड्रिंक पीना पसंद करते हैं। यह एक ऐसा फूड कॉम्बिनेशन है, जो बेहद ही कॉमन है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। ऐसा करने से आपको पेट फूलना, ब्लोटिंग, पेट दर्द व बैचेनी हो सकती है।
अंडे के साथ ना खाएं फ्राइड मीट
अगर आप नॉन-वेजिटेरियन हैं तो अक्सर आप फ्राइड मीट के साथ अंडे का सेवन करना काफी पसंद करते हैं। यह यकीनन एक क्लासिक ब्रेकफास्ट कॉम्बो है, लेकिन यह आपके डाइजेशन पर भारी पड़ सकता है। अंडे के साथ बेकन जैसा फ्राइड मीट एक कॉम्बो है जो प्रोटीन से भरा होता है। जिसके कारण आपके पाचन तंत्र को अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है और आप खुद को ब्लोटिड महसूस कर सकते हैं। इसलिए, कोशिश करें कि आप इन दोनों आइटम्स मंे से एक को ताजे फल या सब्जियों से बदलें।
खाने के साथ पानी का सेवन करना बेहद ही सामान्य है। हो सकता है कि आप भी अपने मील्स के साथ पानी लेते हों। लेकिन यह एक बेहद ही बैड कॉम्बिनेशन है। दरअसल, पानी पेट के एसिड को डायलूट कर देता है। यह एसिड आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन को पचाने के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन जब ये एसिड डायलूट हो जाते हैं, तो आपके पेट के लिए भोजन को पचाना बेहद ही मुश्किल हो जाता है।
फ्राइज़ के साथ ना खाएं बर्गर
जब आप बाहर खाना खाते हैं, तो अक्सर फ्राइज़ और बर्गर को एक साथ ऑर्डर करते हैं। यहां तक कि शॉप्स में भी कॉम्बो के रूप में फ्राइज़ और बर्गर एक साथ सर्व किए जाते हैं। हालांकि, इन्हें एक साथ खाने से बचें। दरअसल, फ्राइज़ और बर्गर पैटी दोनों ही डीप फ्राई किए जाते हैं और इसलिए जब इनका एक साथ सेवन करते हैं तो ऐसे में ये आपके रक्त शर्करा के स्तर को बहुत कम कर सकते हैं। निम्न रक्त शर्करा का स्तर आपको थका हुआ और सुस्त बना देता है।
केला और दूध ना खाएं एक साथ
यूं तो केला और दूध दोनों ही सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं। लेकिन जब इन दोनों फूड्स को एक साथ खाया जाता है तो इससे आपको हैवीनेस की समस्या हो सकती है। यहां तक कि आप अधिक सुस्त भी महसूस कर सकते हैं। हो सकता है कि आपको बनाना स्मूदी बनाना व पीना अच्छा लगता हो। लेकिन जब आप स्मूदी या शेक के रूप में केले और दूध का एक साथ सेवन करना चाहते हैं तो ऐसे में आप उसमें हरी इलायची, दालचीनी पाउडर या जायफल पाउडर अवश्य मिलाएं।
कॉपर एक जरूरी ट्रेस तत्व है जो ह्यूमन बॉडी में कई बाइलॉजिकल रूट्स को प्रभावित कर सकता है। कॉपर कुछ महत्वपूर्ण एंजाइमों को सक्रिय कर सकता है जैसे कि Cu-Zn सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज, टायरोसिनेस, सेरुलोप्लास्मिन और साइटोक्रोम ऑक्सीडेज, जो ओरिजनल बाइलॉजिकल रूट्स में महत्वपूर्ण हैं।
ट्यूमर, शरीर में कई जगहों पर बनते हैं
अधिकांश कैंसर से संबंधित मौतें इस तथ्य के कारण होती हैं कि मेटास्टेस - सेकेंडरी ट्यूमर, शरीर में कई जगहों पर बनते हैं, उदाहरण के लिए, यकृत या फेफड़ों में। मेमो1 नामक एक प्रोटीन सिग्नलिंग सिस्टम का हिस्सा है जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाएं शरीर में बढ़ने और फैलने के लिए करती हैं। पिछले शोध से पता चला है कि जब स्तन कैंसर कोशिकाओं में मेमो 1 के लिए जीन निष्क्रिय होता है, तो मेटास्टेस बनाने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
चाल्मर्स का एक रिसर्च ग्रुप मेमो1 और तांबे के बीच के संबंध को करीब से देखना चाहता था। वैज्ञानिक पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने टेस्ट ट्यूब प्रयोगों की एक सिरीज के माध्यम से मेमो1 प्रोटीन की तांबा आयनों को बांधने की क्षमता की जांच की। उन्होंने पाया कि प्रोटीन तांबे को बांधता है, लेकिन तांबे के केवल कम रूप को। यह तांबे के आयनों का यह रूप है जो जीवित कोशिकाओं में सबसे आम है। ये एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि कम तांबे, जबकि शरीर में इसकी आवश्यकता होती है, रेडॉक्स-प्रतिक्रियाओं में भी योगदान देता है जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
तांबे पर निर्भरता
ये ट्यूमर के लिए बहुत सारे तांबे पर निर्भर होने का जोखिम पैदा करता है क्योंकि ये कैमिकल प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित कर सकता है जो कैंसर कोशिकाओं के लिए हानिकारक हैं।
पर्निला विटंग-स्टाफशेड कहते हैं, हमने देखा कि कैसे कॉपर आयन टेस्ट ट्यूब में प्रोटीन मेमो 1 और एटॉक्स 1 के बीच बदल सकते हैं, और जब हमने ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं में देखा, तो हमने पाया कि दोनों प्रोटीन अंतरिक्ष में एक दूसरे के करीब थे। इसके आधार पर, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि इन प्रोटीनों के बीच तांबे का आदान-प्रदान कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ टेस्ट ट्यूब में भी हो सकता है और इस प्रकार बायोलॉजिकल रिलिवेंस हो सकता है। शोधकर्ता अब मेमो 1 में कॉपर आयन बाइंडिंग साइटों को निर्धारित करने के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं और तांबे की उपस्थिति कैंसर के विकास में मेमो 1 की गतिविधियों को कैसे प्रभावित करती है।
डेंगू के इलाज के लिए कोई एंटीवायरल दवा या इंजेक्शन नहीं है। लेकिन यह इलाज योग्य है, और होम्योपैथिक ट्रीटमेंट प्रभावी रूप से डेंगू को रोक सकता है। डेंगू बुखार हाल के समय में भारत में सबसे ज्यादा होने वाली महामारियों में से एक है। जिसमें होम्योपैथी डेंगू को रोकने में कारगर साबित हुआ है। ncbi की रिसर्च के अनुसार, होम्योपैथिक दवाएं डेंगू कारगर हैं। होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ अमिताभ गुप्ता ने डेंगू के लक्षण और उपचार शेयर किये हैं, जिनके बारें में यहां बता रहे हैं-
NS1 ब्लड टेस्ट जरूरी
डॉ गुप्ता ने बताया कि डेंगू के लक्षण काफी अलग हैं, जैसे शरीर में दर्द के साथ तेज बुखार, आईबॉल में दर्द और शरीर के अंगों पर खूनी धब्बेदार धब्बे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सभी बुखार डेंगू के कारण नहीं होते हैं। डॉ गुप्ता ने NS1 ब्लड टेस्ट भी कराने को कहते हैं। उसके बाद वह किसी भी डेंगू पॉजिटिव मरीज का इलाज शुरू करते हैं।
डॉ गुप्ता ने Eupatorium perfoliatum 30 एक प्रभावी होम्योपैथी दवा बताई है, जो शरीर के दर्द को कम करने में मदद कर सकती है, साथ ही प्लेटलेट्स बढ़ाकर अन्य ब्लड डिसऑर्डर को ठीक कर सकती है। डेंगू के मरीजों को अपने आपको हाइड्रेट रखना चाहिए। पपीते के पत्ते का रस डेंगू बुखार के लिए एक आवश्यक उपाय है जो स्वाभाविक रूप से प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करता है। सब्जियों का रस, फलों का रस और नारियल पानी शरीर को हाइड्रेट करता है। इसके अलावा डेंगू के दौरान बुखार से उबरने के लिए प्रोटीन खाने की जरूरत होती है।
होम्योपैथिक उपचार इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाता है
होम्योपैथी में डेंगू रोगी के सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार की तीव्रता, भूख न लगना और अन्य जटिलताओं को कम करने की क्षमता है। डॉ गुप्ता के अनुसार, होम्योपैथिक उपचार इम्यूनिटी पॉवर को बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन ये बिना किसी दुष्प्रभाव के स्थायी उपचार प्रदान करता है।
डेंगू के हल्के लक्षणों को अन्य बीमारियों के साथ भ्रमित किया जा सकता है जो बुखार, दर्द और दाने का कारण बनते हैं।
डेंगू का सबसे आम लक्षण दिखाने वाला बुखार है। आंखों में दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दाने, हड्डियों में दर्द, मतली/उल्टी, जोड़ों का दर्द ये इसके लक्षण हो सकते हैं।
डेंगू का सबसे आम लक्षण निम्न में से किसी के साथ बुखार है:
मतली उल्टी
रैश
दर्द (आंखों में दर्द, आमतौर पर आंखों के पीछे, मांसपेशियों, जोड़ों या हड्डियों में दर्द)
डेंगू के लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं। ज्यादातर लोग करीब एक हफ्ते बाद ठीक हो जाएंगे।
अगर आपको लगता है कि आपको डेंगू है
अगर आपको बुखार हो या डेंगू के लक्षण हों तो डॉक्टर को दिखाएं।
जितना हो सके आराम करें।
बुखार को कंट्रोल करने के लिए और दर्द से राहत पाने के लिए पेरासिटामोल लें या होम्योपैथी दवा लें।एस्पिरिन या इबुप्रोफेन न लें।
हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पिएं। अतिरिक्त इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ पानी या पेय पिएं।
हल्के लक्षणों के लिए, घर पर बीमार बच्चे, बच्चे या परिवार के सदस्य की देखभाल करें।