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क्या आप जानते हैं कि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए रोजाना एक उबला हुआ अंडा खाना ही काफी होता है? दुनियाभर में बहुत से लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। डायबिटीज की समस्या में अग्न्याशय द्वारा इंसुलिन का उत्पादन होना बंद हो जाता है। यह उत्पादित इंसुलिन के अनुचित उपयोग के कारण होता है जो ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है।
डायबिटीज के कुछ सामान्य लक्षणों में तेजी से वजन घटना, थकान, धुंधली दृष्टि, पेशाब की लगातार आशंका, लगातार प्यास और निजी भागों के चारों ओर खुजली होना शामिल हैं। अगर डायबिटीज को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो यह गुर्दे की विफलता, हृदय की समस्याओं, अंधापन, तंत्रिका क्षति और यहां तक कि स्तंभन दोष जैसी समस्याओं को जन्म दे सकती है। यह उपाय जो हम आपको बता रहे हैं बेशक यह इस रोग का इलाज नहीं कर सकता है लेकिन इससे आपको ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है।
ब्लड शुगर कंट्रोल रखने की रेसिपी
एक अंडा उबाल लें और उसे छील लें। इसमें फॉर्क से कई कई छेद करें और एक कंटेनर में रख दें। इसमें कुछ सिरका डालें और रातभर छोड़ दें। सुबह को एक गिलास गर्म पानी के साथ अंडा खाएं। इस प्रक्रिया को कई दिनों के लिए दोहराएं। इससे आपको अपने ब्लड शुगर लेवल में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिलेगी। आपको बता दें कि यह आपके ब्लड शुगर लेवल की देखभाल करने के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचारों में से एक है।
भारत में कुछ सालों से थाइराइड की समस्या के मामले बढ़ते ही जा रहे है। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 30 प्रतिशत लोग थाइराइड की समस्या से पीडि़त है। लेकिन थाइराइड की समस्या से महिलाएं सबसे ज्यादा सामना करती है, जैसे वजन बढ़ना और हार्मोनल बदलाव। इसके अलावा बदलती जीवनशैली से लेकर तनावग्रस्त जीवन के वजह से भी लोग थाइर यड के शिकार होते जा रहे है।
थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, ऐसे में थाइराइड के रोगी को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वो अपनी डाइट में पौष्टिक आहार शामिल करके और दैनिक दिनचर्या में बदलाव करके, खुद ही थाइराइड की समस्या से उबर सकते है। रोजाना एक्सरसाइज और डाइट में बदलाव लाके थाइराइड से निजात पाया जा सकता है। आइए जानते है कि किस तरह आप थाइराइड को लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर खत्म कर सकते है।
थायराइड डिसऑर्डर क्या है?
थायराइड हमारे शरीर की आवश्यक ग्रंथि में से एक है, यह ग्रंथि हमारे गले के ठीक नीचे होती है, थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्योंकि इसका लक्षण एक साथ नही दिखता है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाएं तो इससे मरीज की जान जाने का खतरा भी रहता है। यह ग्रंथि दिखने में तो बहुत छोटी है लेकिन, हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने में इसका बड़ा हाथ होता है। थाइराइड एक प्रकार की इंडोक्राइन ग्रंथि है, जो कुछ हार्मोन के स्राव के लिए जिम्मेदार होती है। यदि थाइराइड ग्रंथि अच्छे से काम करना बंद कर दे तो शरीर में कई समस्याएं होने लगती है। शरीर से हार्मोन का स्राव प्रभावित हो जाता है। लेकिन यदि थायराइड ग्रंथि कम या अधिक सक्रिय हो तब भी हमारे शरीर को ये प्रभावित करती है।
थाइराइड के प्रकार
शरीर में होने वाले थायराइड भी दो प्रकार के होते है जो एक जिनके लक्षण एक दूसरे से अलग होने के साथ ही इनसे होने वाली समस्याएं भी अलग होती है।
हाइपोथायराइडिज्म : हाइपोथायराइडिज्म में थायराइड ग्रंथि हार्मोन के स्तर में कमी कर देती है। इसमें व्यक्ति को किसी तरह का रोग इत्यादि नही होता बल्कि उसकी चयापचय की गति धीमी हो जाती है। इसका इलाज करने के लिए मरीज को थायराइड हार्मोन ही दिए जाते है। कोई व्यक्ति हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित है या नही इसका पता T3 और T4 की कमी या फिर TSH की वृद्धि से किया जा सकता है।
हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण
इसका मुख्य लक्षण है कब्ज, साथ ही इसमें चेहरे में सूजन और सूखा-सूखा सा दिखने लगता है, अचानक वजन बढ़ना शुरू हो जाता है, डिप्रेशन और चिडचिडापन व्यक्ति को अजीब बना देता है, शरीर ठंडा हो जाता है और अनियमित माहमारी जैसी समस्याएं होने लगती है।
हाइपरथायराइडिज्म : इसमें थायराइड ग्रंथि हार्मोन के स्तर में वृद्धि कर देती है, जिससे व्यक्ति को ग्रेव्स रोग होने की पूरी सम्भावना रहती है, साथ ही इसमें मेटाबॉलज्मि की दर बढ़ जाती है। हाइपरथायराइडिज्म में व्यक्ति के शरीर में T3 और T4 की वृद्धि हो जाती है जबकि TSH की मात्रा कम हो जाती है।
हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण
इसमें या तो आपको कोई लक्षण ही दिखाई नही देगा या फिर आपको अनेक लक्षण दिखाई देने लगेंगे जैसे कि कमजोरी, पसीना आना, बाल झाड़ना, शरीर में कंपन, वजन का कम होना, हृदय गति का बढ़ना, त्वचा में खुजली इत्यादि।
कैसे वजन बढ़ाता है हायपोथायराइडिज़म
हायपोथायरॉइडिज़म की बीमारी ज़्यादातर महिलाओं में ही देखने को मिलती है। जिससे कि उनका आंतरिक मेटाबॉलिज्म की दर औसत से काफ़ी कम हो जाता है। मेटाबॉलिज्म की क्रिया को नियंत्रित करने का काम थायराइड ग्रंथि का होता है जो हमारे शरीर के अतिरिक्त वसा को एनर्जी में बदलने का काम करती है। हाइपोथायरिडिसम में थायरॉक्साइन का स्राव सामान्य से कम पाया जाता है। इस वजह से रोगी के शरीर में प्रायः अप्रत्याशित रूप से थकावट, कमज़ोरी और वजन बढ़ने लगता है।
हायपोथायराइडिज़म के लिए डाइट चार्ट
अगर आप थायरायड की बीमारी से पीड़ित है, तो कुछ अतिरिक्त वज़न को कम करना और भी मुश्किल कार्य बन सकता है। इस मुश्किल काम को आसान बनाने के लिए आप थायरॉइड-फ्रेंडली डाइट को फॉलो कर सकते है।
सुबह
सुबह जल्दी उठते ही, पानी के साथ थाइराइड को नियंत्रित करने वाली दवाई लें।
सुबह 7 से 8 के बीच : खाली पेट नींबू पानी और शहद या गुनगुने पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पीएं।
8 से 9 के बीच: केला और अनार का फ्रूट सलाद बनाकर खाएं या एक कटोरी बाउल स्प्राउट या सेव, केला और चिया सीड्स की स्मूदीज बनाकर खाएं।
10.30 बजे, आधा कटोरी गाढ़ा लो फैट वाला दही के साथ अनार या एक चम्मच या सेंके हुए चिया सीड्स खाएं।
लंच :
दोपहर 1 से 2 बजें के बीच: एक बाउल ओट्स / 2 मल्टीग्रेन रोटी के साथ एक दाल या दही चावल या सूप वरना उबली हुई सब्जियां खा सकते हो।
लंच के बाद : छाछ या ग्रीन टी
स्नैक्स : 4 बजे सूखे मेवे या स्प्राउट सलाद
डिनर
6.30 बजे - एक प्लेट सलाद ( डिनर से 30 मिनट पहले)
7 से 8 बजे - दलिया/ एक कटोरी पनीर या एक रोटी/ एक कटोरी ब्राउन राइस।
सोने से पहले -(करीब 30 मिनट पहले) एक कप गर्म नींबू पानी पी लें।
वजन कम करने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें
खान पान के अलावा वजन कम करने के लिए कुछ लाइफस्टाइल में बदलाव लाना भी जरुरी है। जैसा कि कहते है कि कुछ पाने के लिए, कुछ खोना भी पड़ता है। आइए जानते है कि वजन कम करने के लिए किन चीजों पर ध्यान देना जरुरी है।
सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करके अपने बॉडी में कुछ बदलाव लाएं।
कम से कम 10 -12 गिलास साफ सुथरा पानी पीएं।
45 मिनट तक कसरत करें।
खाली पेट थाइराइड की दवाईयां लेना न भूलें।
कम से कम 15 मिनट तक वॉक करें।
खाना खाते समय खाना धीरे खाएं और ज्यादा चबाएं ताकि आपकी पाचन क्रिया अच्छी बन सकें।
कार्बोनेट ड्रिंक्स, मीठे खाद्य पदार्थ, रिफाइंड ऑयल, और ज्यादा ग्लूटेन खाने से बचें।
जब भी खाएं सोच समझकर खाएं, दिमाग में खाने की जगह दूसरी चीजों पर भी ध्यान दें।
सबसे जरुरी बात, कम से कम 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद जरुर लें।
हाइपोथायरायडिज्म से बचने के लिए ये खाएं
आयोडीन : आयोडीन एक आवश्यक खनिज है जिसे थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार, आयोडीन की कमी वाले लोगों में हाइपोथायरायडिज्म का खतरा हो सकता है। यदि आपके पास आयोडीन की कमी है, तो अपने भोजन में आयोडीनयुक्त नमक को अपनी डाइट में शामिल करें। या समुद्री शैवाल, मछली, डेयरी और अंडे जैसे अधिक आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को खाएं।
Tyrosine : tyrosine से भरपूर आहार ही खाएं। थायरॉयड ग्रंथि इस एमिनो एसिड का उपयोग करता T3 और T4 निर्माण करने के लिए। आप भी अपनी underactive थायराइड ग्रंथि के उपचार के लिए tyrosine युक्त खुराक ले सकते है।
ओमेगा 3 फैटी : ओमेगा 3 फैटी एसिड थायरायड ग्रंथि की सूजन को कम करने में मदद करता है, जो मछली और अखरोट में होता है। अगर आपको हाइपोथायरायडिज्म है, तो ठंडे पानी में मिलने वाली मछलियां आपके लिए सेहतमंद है।
फाइबर : फाइबर खाने आपको एनर्जेटिक महसूस कराने के साथ ही ये आपको कब्ज की शिकायत भी नहीं होने देती है। इसलिए खाने में कम से कम 25 ग्राम फाइबर लेना ही चाहिए। फाइबर के लिए ओट्स, दाल, फलेक्सीड, फल और साबूत अनाज जैसी चीजों को अपने डाइट में शामिल करें।
Non-goitrogenic सब्जियां खाएं : goitrogenic सब्जियां थाइराइड के क्रियाप्रणाली में बाधा डालकर इसके नकरात्मक प्रभाव को कम करता है। आप अपने आहार में टमाटर, हरी बीन्स, मटर, ककड़ी, बैंगन, गाजर, अजवाइन आदि खाकर इससे बच सकते है।
Non-goitrogenic फल : इसी तरह Non-goitrogenic फल खाकर आप थाइराइड को कंट्रोल कर सकते है। थाइराइड की शिकायत होने पर आपको विटामिन सी जैसे, आम, काले अंगूर, अनार और अमरुद जैसे फल खा सकते है।
इन चीजों का थाइराइड में खाने से बचना चाहिए
कैफीन : थाइराइड की समस्या होने पर कैफीनयुक्त पेय पदार्थों से बचने की कोशिश करें। क्योंकि वे अपने शरीर के थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट अवशोषित करने की क्षमता को कम कर सकते चाहिए। यह आपके हाइपोथायरायडिज्म इलाज कम प्रभावी कर देगा। कॉफी से बचें और हमेशा पानी के साथ अपने दवा लेने।
मीठे खाद्य पदार्थ से बचें : मेटाबॉलिज्म की दर कम होने की पीछे वजह ज्यादा मीठे खाद्य पदार्थ खाना भी होता है। इसलिए मीठा खाने से बचें।
सोयाबीन से बनाएं दूरी : सोया प्रॉडक्ट जैसे टोफू, सोया मिल्क, और सोया दाल खाने से बचना चाहिए। अगर आप आयोडिन के लिए इसे खा रहे हैं तो डरने की जरुरत नहीं है।
Gluten फूड्स : Gluten फूड्स यक थायराइड हार्मोन का उत्पादन धीमा होने के साथ ही ये हाइपोथायरायडिज्म को बढ़ावा देते है। आप ब्रोकोली, गोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, गोभी, आदि जैसे सब्जियों की खपत अपनी हालत बेहतर प्रबंधन करने के लिए सीमित विचार करना चाहिए। तुम भी राई, गेहूं खाना चाहिए, और मुश्किल से कम मात्रा में जटिलताओं से बचने के।
सेलेनियम : जब तक कि डॉक्टर न कहें तब तक भोजन सेलेनियम शामिल न करें।
ये भी न खाएं : थाइराइड की समस्या होने पर, मस्टर्ड, सरसो और शलजम खाने से भी बचें।
इन एक्सरसाइज़ से बढ़ाए मेटाबॉलिज़्म
ये हम जानते हैं की हाइपोथायरायडिज्म मेटाबॉलिज़्म को धीमा कर देता है। अच्छी डाइट के साथ नियमित वर्कआउट ज़रूर इस मामले में मदद कर सकता है। एक स्वस्थ वर्कआउट ना सिर्फ आपकी ऊर्जा को बढ़ाएगा बल्कि ये रक्त में शुगर के स्तर और लेप्टिन नामक हार्मोन को सन्तुलिटी करके मेटाबॉलिज़्म को बढ़ता है।
वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज : मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए हफ्ते में कम से कम 2 से 3 बार वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज को नहीं भूलना चाहिए। इसके लिए आप डेडलिफ्ट, स्क्वैट, लेग एक्सटेंशन और वाल शिट कर सकते हैं। कार्डियो और एरोबिक एक्सरसाइज न करें इससे आपकी ज्यादा कैलोरी खर्च होगी। वॉकिंग
वॉकिंग : कॉडिर्योवस्कुल्र एक्सरसाइज का अहम हिस्सा होता है, जिसकी मदद से आप जल्दी वजन घटाने के साथ ही मेटाबॉलिज्म की दर को बढ़ाता है। मेटाबॉलिज्म ही है जो कैलोरिज जैसे, प्रोटीन, कार्ब्स, और फैट को हमारे ऊर्जा में बदलती है जो वॉक के दौरान खपत होती है।
साइकिलिंग : साइकिलिंग के जरिए भी आप कम समय में अपना वजन घटा सकते है और मेटाबॉलिज्म की दर को बढ़ा सकते है। सुबह करीब 30 मिनट से लेकर 45 मिनट साइकिलिंग करने से आप बहुत जल्दी काफी हद तक वजन घटा सकते हैं।
थाइराइड कम करने के लिए योगासन
थायराइड की समस्या थॉयरॉक्सिन हार्मोन के असंतुलन के कारण होती है। योग के विभिन्न आसन थायराइड पर नियंत्रण पाने के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
सूर्यनमस्कार : सूर्यनमस्कार से थाईराइड की समस्या काफी हद तक कम होती है, सूर्य नमस्कार करते समय आपको गर्दन को आगे और पीछे की और करना पड़ता है और गहरी सांंसे लेना और छोड़ना पड़ता हैं। इस क्रियाओ को करने से थाइराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ता हैं| नतीजनत् उसके आस-पास के स्नायु क्रियाशील होते हैं और थाइराइड की समस्या में लाभ मिलता है।
शवासन : शवासन भी थाइराइड की समस्या से निजाद पाने के लिए बेहतर होता है। इसे करने से मानसिक शांति मिलती हैं और तनाव दूर होता हैं।
सर्वांगसन : सर्वांगसन भी थॉयराइड ग्रन्थियों के लिए सबसे प्रभावशाली है। आसान में कंधों को उठाना होता है। ऐसा करने से ग्रन्थि पर दबाव पड़ता है।
इन तरीको से करे कंट्रोल
एक्सरसाइज है जरुरी : रेग्युलर एक्सरसाइज करने से आप भूख और एनर्जी के बीच तालमेल बिठा सकते है, रेग्युलर एक्सरसाइज, थाइराइड को कंट्रोल करने में बड़ी भूमिका निभाता है। आप डेली रुटीन में वॉक, स्विमिंग, रनिंग, जिम या योग करके खुद को फिट रख सकते है।
पूरी नींद ले : पर्याप्त नींद भी शरीर को स्वस्थ बनाता है। थायराइड के स्तर को सामान्य रखने में नींद की बड़ी भूमिका होती है। औसतन एक दिन में सात से आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। इससे शरीर को बेहतर तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।
हेल्दी खाएं : थाइराइड को नियंत्रित करने के लिए बहुत जरुरी है कि आप अपने भोजन में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें, जैसे हरी सब्जियां, गहरे रंग, चिकन, मछली या साबुत अनाज और दूसरे खाद्य पदार्थ। इसके अलावा शरीर में विटामिन-ए, सी, डी, के, और ई भी जरुरी होते है। ये न सिर्फ आपके वजन को नियंत्रित करते है बल्कि ये आपको हेल्दी भी बनाएं रखते है।
ब्लड शुगर को रखें कंट्रोल में : अगर थाइराइड को कंट्रोल में रखना है तो ब्लड शुगर को लेवर को मैंटेन रखें क्योंकि बार बार इंसुलिन बढ़ने की वजह से थाइराइड की समस्या हो सकती है। इसके अलावा इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। आयरन की खुराक है जरुरी है आयरन की मदद से ऑक्सीजन आपके पूरे शरीर से गुजरकर आपको अच्छा महसूस करवाने के साथ ये थाइराइड के कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करती है। आयरनयुक्त पदार्थ जैसे पालक, सूखे मेवे, दूध और पनीर खाना चाहिए।
सही समय पर दवाईयां लें : थायराइड नियंत्रित करने के लिए दवाएं सही समय पर लेना बेहद जरूरी है। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में शरीर में थायराइड हॉर्मोन बनता है। इस परिस्थिति में ऐसी दवाओं की जरूरत होती है, जो आपके शरीर में थायराइड हार्मोन का उत्पादन बढ़ा सकें। हाइपरथायरायडिज़्म इसके विपरीत होता है। इसमें थायराइड हार्मोन आवश्यकता से अधिक बनने लगता है। हार्मोन के अत्यधिकउत्पादन से रोकने के लिए समय पर एंटी थायराइड दवाईयां लेनी चाहिए।
::/fulltext::
बरसात का मौसम चाहे कितनी राहत और ठंडक क्यों न लेकर आएं, लेकिन साथ ही ये मौसम कई तरह की बीामरियां लेकर आता है। इस मौसम में मौसमी बीमारी होने का डर तो रहता ही है साथ ही मौसम में मच्छर, कीट, कीड़े और मकौड़े होने का डर भी ज्यादा रहता है। इस मौसम में इनसेक्ट बढ़ जाते है जो इस मौसम में काट लेते है या डंक मार देते है। अगर इस मौसम में आपको भी कीड़े या कोई कीट जैसे मधुमक्खी, मच्छर या चींटी काट ले तो जानिए क्या कैसे घर बैठे इसका ईलाज करें।
चींटी या मधुमक्खी
बारिश के दिनों चीटियां बहुत ही ज्यादा दिखने लगती है और इस मौसम में वो उड़ने भी लगती है, अगर इस मौसम में चींटी या मधुमक्खी ने डंक मार दिया है तो घर में मौजूद कोई भी मिंट वाली चीज जैसे टूथपेस्ट आदि या पान पर लगाने वाला चूना लगा लें। इसके अलावा आप चाहे तो प्याज का रस भी लगा सकते हैं।
मच्छर या मक्खी
मच्छर-मक्खी से बचने का सबसे बेहतर उपाय है घर को और खुद को इनसे बचाकर रखना। बरसात जाली के दरवाजे हमेशा बंद रखें। बच्चों को और खुद को पूरी तरह ढंक कर रखें। बच्चे अगर खेलने बाहर जाएं तो मच्छर से बचाने वाली क्रीम जरूर लगाएं। रात में सोते हुए भी मच्छरदानी आदि का इस्तेमाल करें। मच्छर के काटने पर तुलसी के पत्ते पीसकर उनका रस लगाने से लाभ होता है।
कीड़े-मकोड़े
कीड़े-मकोड़ों के लिए भी बारिश ब्रीडिंग सीजन होता है। इस समय वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है अगर गलती से कोई बरसाती कीड़ा काट दे तो आप कुछ प्रभावी उपाय से तुरंत राहत पा सकते है। बरसाती कीड़ा कटाने की वजह से उनका डंक अंदर रह जाता है जिस वजह से खुजली, जलन या सूजन हो जाती है। काटे हुए स्थान पर गाय के घी में थोड़ा-सा कपूर पीसकर मिला लें | उसे डंक वाले स्थान पर थोड़ी देर तक मलें|
सांप काटनें पर
वैसे तो 90 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं। फिर उनके जहर का हम कोई अंदेशा नहीं लगा सकते है। अगर किसी को सांप काट ले तो थोड़ा सब्र से काम लें। सबसे पहले तो सांप के काटने वाले स्थान को दोनो ओर कपड़े या डोर से कस कर बांध दें ताकि रक्त प्रवाह धीमा हो जाये और जहर ना फैले। इसके बाद 50 ग्राम देशी घी में करीब 1 ग्राम फिटकारी अच्छी तरह पीसकर मिला लें। इसे सांप के काटने वाली जगह पर लगाएं, इससे जहर उतर जायेगा।
मकड़ी के चलने पर
मकड़ी बहुत कम ही काटती है पर अगर वो आपके शरीर पर गिर जाएं या वो आपके शरीर में काफी देर तक रेंगती रहती है। इस वजह से इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। ऐसे में संक्रमण वाले स्थान पर अमचूर या पिसी खटाई को पानी में मिला कर उसका पेस्ट लगाने से आराम मिलेगा।
चूहे के काटने पर
अगर चूहा काट ले तो घर में रखे पुराने नारियल जो लाल हो कर खराब हो गया हो थोड़ा सा घिस लें और इसके अलावा मूली का रस मिला कर लगाने से भी राहत मिलती है। आप चौलाई की जड़ को पीस कर शहद के साथ दिन में तीन चार बार खायें, उससे भी चूहे के काटने के दुष्प्रभाव नहीं होते।
::/introtext::
हम में से कई लोग होते है जो टॉयलेट में टॉयलेट सीट पर ज्यादा समय बैठकर बिताते है। इसलिए नहीं क्योंकि आपको फ्रेश होने में दिक्कत आ रही है बल्कि हम में से कई लोग टॉयलेट सीट पर बैठे बैठे फोन सर्फिंग में खो जाते है या वीडियो गेम्स खेलने में ही बिजी हो जाते है। कुछ लोग तो न्यूज पेपर भी साथ लेकर जाते है जब तक पूरा न्यूज पेपर वो अच्छे से खंगाल न लें, टॉयलेट सीट छोड़ने का नाम ही नहीं लेते है।
आजकल लोगों के लिए टॉयलेट एक ब्रेक लेने वाली जगह बन चुका है। जहां लोग आराम से जाकर अपना पसंदीदा काम जैसे गेम्स, पढ़ना या चैट करना पसंद करते है बिना किसी दखल के। लेकिन आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि टॉयलेट सीट पर जरुरत से ज्यादा समय बिताना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हीं नहीं गम्भीर भी हो सकता है, आइए जानते है कि कैसे टॉयलेट सीट में लम्बा बैठना आपके लिए हो सकता है खतरनाक।
क्या कहते है विशेषज्ञ
विशेषज्ञों को कहना है कि टॉयलेट सीट पर 10 मिनट से ज्यादा समय नहीं बिताना चाहिए। इससे कम समय ठीक है लेकिन ज्यादा देर बैठने से कई इंफेक्शन हो भी होने का खतरा रहता है।
बैक्टीरिया और जर्म्स
अगर आप टॉयलेट सीट पर मिनटों बैठकर फोन पर लगे रहते है तेा आपको जानना होगा टॉयलेट की वजह से आपका फोन और आपके फोन से आपके शरीर तक 18 गुना अधिक बैक्टीरिया और जर्म्स आप तक पहुंचकर आपको अतिसंवेदनशील बना सकते है। हो सकता है बवासीर इसके अलावा एक और कारण है कि आपको टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से आपको बवासीर हो सकता है और गुदा के चारों ओर रक्त वाहिकाएं आगे की तरफ उभरकर निकल सकती है। आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन हाँ, ऐसा होता है।
मल त्यागने में समस्या
इसके अलावा जो सबसे बड़ा कारण है, जिसकी वजह से आपको टॉयलेट में ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए क्योंकि इससे आपके मलाशय पर दबाव बनता है। ज्यादातर देर बैठने से आपके बाउलिंग मूवमेंट पर इसका असर पड़ता है। जितनी देर तक आप बाथरुम में रुककर बैठते हो उतनी देर तक आपको अपने मलाशय के नसों को दबाकर रखना पड़ता है, जिससे आपके मलाशय पर असर पड़ता है। जिस वजह से आपको मल त्यागने में दिक्कत हो सकती है।