Wednesday, 12 March 2025

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विटामिन डी की शरीर में पूर्ति के लिए 40 मिनट तक धूप के संपर्क में रहना जरूरी है।....

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वाराणसी। भारत में हुए एक नए शोध में पता चला है कि पिछले दो दशक से करीब 90 फीसदी विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित एक सत्र के दौरान नई दिल्ली स्थित एम्स के अस्थि रोग विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. विवेक दीक्षित ने यह दावा किया। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में कैल्शियम जमा रहता है लेकिन विटामिन डी के प्रचुर मात्रा में ना मिलने से कैल्शियम प्रॉसेस नहीं हो पाता।
 
उन्होंने कहा कि सर्वे में यह भी सामने आया है कि खेत में काम करने वाले मजदूरों, धूप में काम करने वाली गृहणियों यहां तक की अर्धसैनिक बलों में भी विटामिन डी की कमी है। हालांकि उनमें यह कमियां वंशानुगत कारणों से होती है। अन्य बड़ी वजहों में उन्होंने खाद्य पदार्थों को और परिधान को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विटामिन डी की शरीर में पूर्ति के लिए 40 मिनट तक धूप के संपर्क में रहना जरूरी है।
 
 डॉ दीक्षित ने कहा कि शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा मधुमेह, बाल झड़ने, त्वचा रोग आदि से बचाव में मददगार होती है। साथ ही विटामिन डी तंत्रिका संबंधी दवाओं से होने वाली विटामिन की कमी को भी नियंत्रित करता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा विटामिन डी की कमी का ज्यादा खतरा रहता है। उन्हें समय समय पर विटामिन डी के स्तर की जांच करानी चाहिए।
 
 नए शोध का हवाले से उन्होंने कहा कि सुबह सात से लेकर 11 बजे के बीच धूप के संपर्क में रहने से विटामिन डी नहीं मिलता। इसके लिए सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक का समय सही है।
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गैस और अपच के ईलाज में अजवायन और हींग का प्रयोग बहुत लो‍कप्रिय है।......


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गैस और अपच के ईलाज में अजवायन और हींग का प्रयोग बहुत लो‍कप्रिय है। ओवरईटिंग, धूम्रपान या खाने के बीच लंबे अंतराल की वजह से अपच या बैस की समस्‍या हो जाती है। गैस और अपच कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये तो सामान्‍य पाचन प्रक्रिया का एक हिस्‍सा है जिसकी वजह से पेट में दर्द या असुविधा हो सकती है।

जी मितली, पेट दर्द और पेट में मरोड़ उठना आदि गैस और अपच के कुछ सामान्‍य लक्षण हैं। आज इस पोस्‍ट के ज़रिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे अजवायन और हींग से आप गैस और अपच से राहत पा सकते हैं। हींग और अजवायन को जी मितली और अपच जैसी समस्‍याओं के ईलाज के लिए जाना जाता है।

अजवायन

आयुर्वेद के अनुसार अजवायन में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। ये स्‍वाद में कड़वी और गर्म तासीर की होती है। गैस और अपच से राहत पाने के लिए एक चम्‍मच अजवायन के पाउडर में 1 चम्‍मच सूखी अदरक का पाउडर डालें। इसमें एक चुटकी काला नमक मिलाएं। अब इस मिश्रण की एक चम्‍मच पानी में घोलकर पी लें। इससे गैस और अपच से राहत मिलेगी। अजवायन में थाइमोल नामक यौगिक होता है जोकि गैस्ट्रिक रस को स्राव करने में मदद करता है और पाचन को मजबूत करता है। अगर आपको रोजाना गैस की समस्‍या रहती है तो आपको नियमित अजवायन का पानी पीना चाहिए। गर्म पानी में अजवायन डालकर पी लें। इससे गैस और अपच में आराम मिलता है। आप चाहतें तो एक चुटकी अजवायन में थोड़ा सा काला नमक डालकर भी खा सकते हैं। अपच और गैस से आराम दिलाने का ये असरकारी नुस्‍खा है।

गैस्ट्रिस से ग्रस्‍त लोगों को भी अजवायन से फायदा मिलता है। अजवायन पेट फूलने की समस्‍या का असरकारी प्राकृतिक ईलाज है। नीबू के रस में अजवायन को भिगो दें और इसमें काला नमक डालें। इस मिश्रण को दिन में दो बार लेने से पेट फूलने और गैस से आराम मिलता है।

हींग

गैस और अपच से राहत दिलाने में हींग भी बहुत असरकारी होती है। आप पाचन संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए हींग और अजवायन का एकसाथ सेवन भी कर सकते हैं। हींग का सेवन करने से पेट फूलने की समस्‍या से भी राहत मिलती है और इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लामेट्री, एंटी माइक्रोबियल, एंटीपास्‍मोडिक तत्‍व मौजूद होते हैं। हींग का सेवन करने से तनाव भी कम होता है। हिंग श्लेष्म झिल्ली के स्थानीय उत्तेजक के रूप में भी काम करती है, खासतौर पर एलिमेंट्री ट्रैक्‍ट में। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है। गैच और अपच से राहत पाने के लिए एक चुटकी हींग में एक चौथाई चम्‍मच अदरक का पाउडर डालें। इसमें थोड़ा सा काला नमक भी मिलाएं और इसे गुनगुने पानी के साथ पी लें। इससे पेट फूलने की समस्‍या से भी आराम मिलता है। छाछ में एक चुटकी हींग डालकर पीना भी गैस और जी मितली का प्राकृतिक और असरकारी नुस्‍खा है। अपच की वजह से पेट दर्द होता है। पानी में एक टुकड़ा हींग का डाल दें। इस पानी को छान लें और पेट पर इससे सिकाई करें। अपच के कारण हो रहे पेट दर्द से राहत मिलेगी।

इसके अलावा अपच और गैस की समस्‍या से राहत पाने के निए एक चम्‍मच सूखी अदरक, मिर्च, करी पत्ता, अजवायन, काली मिर्च और जीरा लें। इन्‍हें तिल के तेल में एक चम्‍मच हींग के साथ फ्राई करें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक भी डालें। पाचन से संबंधित कई विकारों में ये घरेलू नुस्‍खा कारगर साबित होता है।
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नीम की पत्तियों और फूल से प्राप्त होने वाले रासायनिक यौगिक के इलाज में प्रभावी रूप से कारगर हो सकता है।....

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हैदराबाद। हैदराबाद स्थित (एनआईपीईआर) के वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने का दावा किया है कि नीम की पत्तियों और फूल से प्राप्त होने वाले रासायनिक यौगिक निमबोलिड के इलाज में प्रभावी रूप से कारगर हो सकता है। 

वैज्ञानिक चंद्ररैयाह गोडुगू ने कहा कि वे आगे के अनुसंधान और क्लीनिकल परीक्षण के लिए धनराशि के वास्ते जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आयुष और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसी विभिन्न एजेंसियों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनआईपीईआर वैज्ञानिकों ने पाया कि निमबोलिड स्तन कैंसर वृद्धि को रोकता है।

क्लीनिकल परीक्षण में सहायता के लिए आगे का अध्ययन किया गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्पादन की उन्नत तकनीकी प्रक्रियाओं को लागू करने से हो सकता है कि यह सबसे सस्ती कैंसर निरोधक दवा हो क्योंकि नीम का पेड़ भारत में काफी मात्रा में पाया जाता है। 

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रिसर्च, कैंसर से बचा सकता है गौ मूत्र?, जान‍िए क्‍या कहते है विशेषज्ञ......


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गाय के पेशाब को गाय का मूत्र या गौमूत्र कहते हैं और आयुर्वेद में इसका प्रयोग कई रोगों के ईलाज के लिए किया जाता है। गुजरात की जूनागढ़ यूनिवर्सिटी के बायोटेक्‍नोलॉजी वैज्ञानिक का दावा है कि गौमूत्र से मुंह, फेफडों, किडनी, त्‍वचा, सर्विक्‍स और ब्रेस्‍ट कैंसर का ईलाज संभव है। रिसर्च टीम में श्रद्धा भट्ट और रूकमसिंह तोमर के साथ कई अन्‍य शोधकर्ता भी इस रिसर्च में शामिल थे और इस निष्‍कर्ष तक पहुंचने के लिए उन्‍होंने सालों तक इस विषय पर अध्‍ययन किया है।

श्रद्धा भट्ट का कहना है कि ' ये रिसर्च जोखिमभरी थी क्‍योंकि इसमें हमने सीधाी कैंसर की कोशिकाओं को एक बोतल में भरकर उस पर अध्‍ययन किया था। हमने रिसर्च में पाया कि एक दिन में कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए गौ मूत्र प्रभावशाली होता है। इस रिसर्च से जुड़े अन्‍य सदस्‍य का कहना है कि कीमोथेरेपी हैल्‍दी सेल्‍स को भी नष्‍ट कर देती है जबकि गौ मूत्र सिर्फ संक्रमित कोशिकाओं को ही खत्‍म करता है।

गौ मूत्र से कैंसर के मरीज़ों का ईलाज करने की प्रक्रिया कुछ अलग है। आसवन के माध्‍यम से गौ मूत्र को शुद्ध और परिष्‍कृत किया जाता है और ये सूर्यास्‍त के समय कैंसर मरीज़ों को दिया जाता है। संस्थापक, एमडी और वरिष्ठ आयुर्वेदिक परामर्शदाता डॉ. शांतारमन का कहना है कि उन्‍होंने जरूरत के अनुसार गौ मूत्र में कई जडी बूटियों को मिलाया है। गौ मूत्र के औषधीय गुणों के बारे में पूछने पर उन्‍होंने बताया कि गाय के कूबड़ को सूर्य की किरणों से औषधीय गुण प्राप्‍त होते हैं। इससे गौ मूत्र बनता है जिसमें औषधीय यौगिक होते हैं जोकि कई तरह के जीवाणुओं को नष्‍ट करने के साथ-साथ कैंसर से भी रक्षा करता है।

गाय की रासायनिक संरचना क्या है?

गाय के मूत्र में 95 प्रतिशत पानी के साथ 2.5 पर्सेंट यूरिया, खनिक, 2.5 प्रतिशत एंजाइम्‍स, हार्मोंस और 24 तरह के नमक मौजूद होते हैं। इसके अलावा गाय के मूत्र में कैल्शियम, आयरन, फास्‍फोरस, पोटाशियम, कार्बोनिक एसिड, नाइट्रोजन, मैंगनीज़, सल्‍फर, अमोनिया, फास्‍फेट, यूरिया, अमीनो एसिड एंजाइम्‍स, यूरिक एसिड, साइटोकिन और लैक्‍टोज़ होता है। चलिए जानते हैं कि गाय के मूत्र के स्वास्थ्य लाभों के बारे में विज्ञान का क्या कहना है :

गौ मूत्र में एंटीमाइक्रोबियल यौगिक होते हैं

गाय के मूत्र में एंटी माइक्रोबियल यौगिक मौजूद होते हैं और यूरिया, ओरम हाइड्रोक्‍साइड, क्रिएटिनाइन, कार्बोलिक एसिड, कैल्शियम, मैंगनीज़ और फेनॉल्‍स की वजह से इसमें कीटाणुनाशक यौगिक भी मौजूद होते हैं। इसमें तेज एंटीमाइक्रोबियल शक्‍ति होती है जोकि ई कोलि, साल्‍मोनेला टाइफी, प्रोटिअस वल्‍गैरिस, एस ओरिअस, बैकिलस सेरिअस और स्‍टैफिलोकोकस एपिडर्मिस जैसे पेथोजन को रोकता है।

फंगस को नष्‍ट करने में असरकारी

एक स्‍टडी के मुताबिक गौ मूत्र डैंड्रफ के ईलाज में नीम की पत्तियों और नीबू के रस से ज्‍यादा असरकारी होता है। डैंड्रफ पैदा करने वाले मैलासिजिआ फंगी को बढ़ने से भी गौ मूत्र रोक सकता है। इसके अलावा ये अन्‍य फंगल इंफेक्‍शन से भी लड़ने में मदद करता है।

बढिया एंटीसेप्टिक है

गौ मूत्र का एक फायदा ये भी है इसकी प्रकृति एंटीसेप्टिक होती है। घाव के ऊपर गौ मूत्र लगाने से वो जल्‍दी भर जाता है।

पैरासाइट्स से भी गौ मूत्र रक्षा करता है

आंत्र परजीवी कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे पेट में दर्द, पेचिश और शरीर में कई पोषक तत्‍वों की कमी का कारण होते हैं। एक स्‍टडी में सामने आया है कि इन रोगों में परजीवी को प्रभावी ढंग से गाय के मूत्र से नष्‍ट किया जा सकता है।

इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करता है

भारत की प्राचीन किताबों में लिखा है कि गौ मूत्र से शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूती मिलती है और वो कई तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम हो पाता है। संक्रमण से लड़ने में भी गौ मूत्र मदद करता है।

 बायोएनहैंसर के रूप में करता है काम

बायोएनहैंसर का मतलब है एक पदार्थ जो एक साथ मिश्रित होने पर किसी अन्य पदार्थ की दक्षता में वृद्धि करने में सक्षम है। जैसे कि दूध और हल्‍दी। आयुर्वेद में गौ मूत्र को एकमात्र ऐसा पशु उत्‍पाद बताया गया है जोकि कई एंटी फंगल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीकैंसर यौगिकों के बायोएनहैंसर के रूप में कार्य करता है।

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R.O.NO.13073/4 " B
RO No 13073/4 A
RO no 13129/5 D
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