Wednesday, 12 March 2025

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एंटीबायोटिक्स क्या हैं? एंटीबायोटिक्स सप्लीमेंट हैं जो बैक्टीरियल (जीवाणु) संक्रमण से बचाव करते हैं। वे संक्रमण को खत्म करने और इसे फैलने से रोकने का काम करते हैं।....

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एंटीबायोटिक्स क्या हैं? एंटीबायोटिक्स सप्लीमेंट हैं जो बैक्टीरियल (जीवाणु) संक्रमण से बचाव करते हैं। वे संक्रमण को खत्म करने और इसे फैलने से रोकने का काम करते हैं। हैरानी की बात है यह है कि इनका साइडइफेक्ट्स भी देखा गया है, ये लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं और दस्त की वजह बन सकते हैं। यहां, हम इस आर्टिकल में,उन खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे,जिसे एंटीबायोटिक्स लेने के बाद खाना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं के विभिन्न प्रकार हैं। कुछ व्यापक स्पेक्ट्रम हैं, जिसका मतलब है कि वे बीमारी के कारण जीवाणुओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर काम करते हैं और अन्य एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की एक निश्चित प्रजाति को मार देते हैं।

can you eat eggs while taking antibioticsa

एंटीबायोटिक गंभीर संक्रमण के इलाज में बहुत प्रभावी हैं, फिर भी वे कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स के साथ आते हैं। उदाहरण के लिए, यह आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और आपके आंतों में रहने वाले स्वस्थ बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्म जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ये बैक्टीरिया जो आपकी आंतों में रहते हैं वे इंटेस्टाइन माइक्रोबायोटा हैं। एक सप्ताह तक एंटीबायोटिक्स लेने पर वो एक साल तक आंत माइक्रोबायोटा के मेकअप को बदल सकते हैं। प्रारंभिक लाइफ में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से मोटापे और वजन बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है। एंटीबायोटिक्स के सेवन से आंतों में रहने वाले जीवाणुओं के प्रकार भी बदलती है, जो दस्त का कारण बन सकती हैं।

एंटीबायोटिक्स लेने के बाद इन फूड को खाना चाहिए।

1. दही

2. लहसुन

3. बादाम

4. उच्च फाइबर फूड्स

5. सॉकरकट

6. रेड वाइन

7. कोको

1. दही

दही प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों की सूची में सबसे ऊपर है और निश्चित रूप से एंटीबायोटिक्स लेने के बाद खाने के लिए सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से एक है। दूध को प्रोबायोटिक बैक्टीरिया का उपयोग करने वाले फर्मेंटेशन की प्रक्रिया के माध्यम से दही में बदल दिया जाता है। उनमें कई स्वस्थ जीवाणु प्रजातियां भी शामिल हैं, जैसे लैक्टोबैसिलि, जो आंत माइक्रोबायोटा को स्वस्थ स्थिति में लाने में मदद करती है। तो, एंटीबायोटिक दवा लेने के बाद दही खाना आंत के लिये अच्छा होता है।

2. लहसुन

लहसुन एक और प्रीबायोटिक फूड है जिसे आप एंटीबायोटिक दवाओं के बाद खा सकते हैं। प्रीबायोटिक्स पचाने योग्य कार्बोस नहीं हैं,जो प्रोबायोटिक बैक्टीरिया को आपके पाचन तंत्र में बढ़ने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक के लिए प्रीबायोटिक खाद्य सोर्स के रूप में काम करता है। 4 से 8 ग्राम तक प्रीबायोटिक फूड की सलाह दी जाती है और यह पाचन क्रिया के समर्थन करने के लिए पर्याप्त है। तीन बड़े लहसुन के दाने लगभग 2 ग्राम प्रीबायोटिक्स देते हैं।

3. बादाम

वैज्ञानिकों के एक समूह ने पाया कि बादाम की गिरी, फायदेमंद आंत बैक्टीरिया के स्तर में बढ़ोतरी करने का काम करता है। एक उल्लेखनीय अध्ययन में यह भी पाया गया कि बादाम सामान्य कोल्ड और फ्लू जैसे वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। यहां तक कि आंत में बादाम पचने के बाद भी, शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

4. उच्च फाइबर फूड्स

फाइबर शरीर द्वारा पचाने में सक्षम नहीं है, लेकिन इसे आपके आंत के बैक्टीरिया से पचाया जा सकता है, जो उनके विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। रेशेदार खाद्य पदार्थ एंटीबायोटिक दवाओं के बाद आंत के स्वस्थ बैक्टीरिया को बहाल करने में मदद कर सकते हैं। हाई फाइबर से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, ड्राई फ्रूट्स, मसूर, सेम, बीज, केला, बेरीज, मटर, और ब्रोकोली एंटीबायोटिक लेने के बाद खाया जा सकता है । ये खाद्य पदार्थ हानिकारक बैक्टीरिया को भी बढ़ने से रोकते हैं।

5. सॉकरकट

सॉकरकट एक अच्छी तरह से कटा हुआ गोभी है जिसे विभिन्न लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा अपने ही जूस में फर्मेंटेड होता है। एक प्रसिद्ध अध्ययन के अनुसार, कच्चे सायरक्राट (पत्तागोभी) में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया की 13 से अधिक विभिन्न प्रजातियां हो सकती हैं। आंत के लिये फायदेमंद ये बैक्टीरिया पाचन में भी मदद करते हैं।

6. रेड वाइन

रेड वाइन में एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनॉल होते हैं जो मानव कोशिकाओं द्वारा पचाने में असमर्थ होते हैं, इन्हें केवल स्वस्थ आंत बैक्टीरिया द्वारा पचाया जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि कम से कम चार हफ्तों के लिए रेड वाइन पॉलीफेनॉल एक्सट्रैक्ट पीने से आंतों में स्वस्थ बिफिडोबैक्टेरिया की मात्रा, लोअर ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल में काफी वृद्धि हो सकती है।

7. कोको

कोको एक और फूड है जिसे एंटीबायोटिक्स लेने के बाद खाया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनॉल होते हैं जिनके पास आंत माइक्रोबायोटा पर फायदेमंद प्रीबायोटिक प्रभाव होते हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि कोको पॉलीफेनॉल भी आंत में लैक्टोबैसिलस और बिफिडोबैक्टेरिया जैसे स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं और क्लॉस्ट्रिडिया और अन्य जैसे कुछ अस्वास्थ्यकर बैक्टीरिया को कम करते हैं।

एंटीबायोटिक दवा लेने के बाद कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए जैसे एसिडिक फूड, अल्कोहल, पके हुए फल के साथ कैलशियम और आयरन से युक्त फल।

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शरीर के कुछ सेंसेटिव पार्ट को बार बार छूने से आप बीमार पड़ सकते हैं।..... 

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आपने अपने आसपास नोटिस किया होगा कि कई बार आप या दूसरे लोग खाली वक्‍त पर या तो कान खुजला या नाक में अंगुली कर रहे होते है। आपको मालूम नहीं होगा लेकिन बेवजह अपने अंगों को हाथ लगाना आपके ल‍िए खतरनाक साबित हो सकता है। जी हां, आपने सही सुना बार-बार अंगों के साथ छेडछाड आपको बीमार कर सकता है। कुछ रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि शरीर के कुछ सेंसेटिव पार्ट को बार बार छूने से आप बीमार पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं शरीर के वो पांच अंग जिनको बार-बार टच करने से आपको गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

चेहरे पर

अगर आप बार बार चेहरे पर बिना वजह से हाथ लगाते है तो इससे चेहरे पर मुंहासों सम‍ेत कई तरह की समस्‍या हो सकती है। क्‍योंकि आप दिनभर में सैकड़ों जगह बैठते है और आप दूसरी जगहों को हाथ लगाते है, बिना हैंडवॉश किए चेहरे को छूने से कई तरह के इंफेक्‍शन की वजह बन सकते हो।

आंख

आंखें शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंग होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा संवेदशील भी होती हैं आंखें इसलिए इसको लेकर हमेसा शतर्क रहना चाहिए। ज्यादातर लोग बार-बार आंखों को मलते रहते हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि आंखों में बहुत जल्द इंफेक्शन हो जाता है।

नाक

आंख, कान की ही तरह नाक भी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। अक्सर लोगों को नाक में उंगली डालकर साफ करते हुए देखा जा सकता है। नाक में उंगली डालकर साफ करने की आदत से बचना चाहिए यह नोजल इंफेक्शन का कराण बन सकता है।

मुंह

कई लोगों में यह आदत पायी जाती है कि वो अपने मुंह में बार-बार उंगली या हाथ डालते रहते हैं। यह हेल्थ के लिए बहुत खतरनाक होता है। भले ही आपका हाथ साफ हो लेकिन आप काम करते हुए हाथ में कई तरह के बैक्टीरिया को लेकर चलते हैं जो मुंह में हाथ डालने पर अंदर चले जाते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं।

कान

आपने देखा होगा कि लोग ज्यादातर बार-बार कानों में अंगुली डालते रहते हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए नहीं तो आपके हाथों की गंदगी से आपके कान में इंफेक्शन का खतरा रहता है। कुछ लोग कान को साफ करने के लिए माचिस की तिलीयों का प्रयोग करने लगते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें आपके कान का ईयर कैनाल डैमेज हो सकता है।

एनल

हमारी रोजाना की दिनचर्या में एनल का ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है। एनल में हाथ लगाना बीमारियों को दावत देना होता है क्योंकि एनल में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं इसलिए उसके छुने के बाद आप शरीर के किसी भी अंग को या कपड़ो के संपर्क में आते हैं तो इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

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चूने में ऐसे गुण पाए जाते है जो शरीर के 70 प्रतिशत तक बीमारियों को खत्‍म कर सकता है। जैसे अर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द, नपुसंकता और बांझपन की समस्‍या।....


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चूना या केल्शियम कार्बोनेट, ये हमारे शरीर के सबसे जरुरी पोषक तत्‍वों में से एक है। सामान्‍यता भारत में लोग चूना पान के पत्तों के साथ लगाकर खाना पसंद करते है। लेकिन आपको ये जानना जरुरी है कि प्राकृतिक तौर पर चूने में ऐसे गुण पाए जाते है जो शरीर के 70 प्रतिशत तक बीमारियों को खत्‍म कर सकता है। जैसे अर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द, नपुसंकता और बांझपन की समस्‍या। प्राकृतिक चूना महिलाओं के शरीर के अंदर अंडाणु को विकसित करने में मदद करता है साथ ही ये मासिक धर्म की समस्‍याओं से निजात दिलाता है। ये साथ ही साथ याददाश्‍त बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा गर्भावस्‍था के दौरान इसके सेवन से डिलीवरी आसानी से होती है। चूने में कैल्शियम कार्बोनेट और मैग्नीशियम कार्बोनेट जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो बॉडी को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। आइए जानते है कि चूना खाने से शरीर में और क्‍या फायदा होते है।

बढ़ाता है लम्‍बाई

जिन बच्‍चों की लम्‍बाई नहीं बढ़ रही है। उनके ल‍िए चूना किसी अमृत से कम नहीं है। गेंहू के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के या पानी में मिला के लिया जा सकता है, इसके रोजाना सेवन से एक या दो महीनें में बच्‍चों की लम्‍बाई में फर्क देखा जा सकता है।

स्‍पर्म काउंट बढ़ाता है चूना

पुरुषों में स्‍पर्म काउंट बढ़ाने के ल‍िए सबसे बेहतरीन उपाय है। अगर किसी पुरुष के शुक्राणु नहीं बन रहे हैं तो उसको गन्ने के रस या दाल में गेंहू के दाने जितना साथ चूना मिलाकर पिलाने से सालभर में डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे।

बांझपन दूर करता है

जो महिलाएं इनफर्टिल‍िटी की समस्‍याएं से गुजर रही हैं उन्‍हें भी नियमित रुप से चूने का सेवन करना चाह‍िए। इसके सेवन से शरीर में अंडे बनने लगते है।

प्रेगनेंसी में चूना खाने के फायदें

आपने देखा या सुना होगा कि गर्भावस्‍था के दौरान कई मह‍िलाएं दिवार से चूना खाने लग जाती है। क्‍योंकि उनके शरीर में केल्शियम की कमी हो जाती है। केल्शियम की कमी को दूर करने के ल‍िए महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान चूना खाना चाह‍िए। चूना केल्शियम का सबसे मुख्‍य स्‍त्रोत है। अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे - पहला फायदा होगा इससे डिलीवरी के समय कोई समस्‍या नहीं होगी। इसके सेवन से बच्‍चा तंदरुस्‍त पैदा होगा। इसके सेवन से होने वाले बच्‍चें का द‍िमाग बहुत ही तेज होगा।

हड्डियों का दर्द हो जाता है गायब

आपने देखा होगा कि जब कभी शरीर के ह‍िस्‍सें की कोई हड्डी टूट जाती है तो चूने से प्‍लास्‍टर किया जाता है टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत चूने में होती है। इसके सेवन से घुटने का दर्द, कमर का दर्द , कंधे का दर्द ठीक हो जाता है। कई बार हमारे रीढ़ की हड्डी में जो मनके होते है में गैप आ जाता है जिसे चूनें से ही ठीक किया जा सकता है। इसके लिए खाली पेट पानी या जूस में मिलाकर चूने का सेवन सुबह खाली पेट करना चाह‍िए।

बढ़ती है स्‍मरण शक्ति

जिन बच्‍चों की याददाश्‍त कम होती है जिनकी स्‍मरण शक्ति बहुत ही कम होती है। इसे खाने से स्‍मरण शक्ति में इजाफा होता है।

मासिक धर्म में देती है राहत

मासिक धर्म के समय अक्‍सर कई मह‍िलाएं कमर दर्द, ऐंठन जैसी समस्‍याएं होती है। इसके ल‍िए दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में चूने को चुटकी भर घोल के पीने से सभी समस्‍याएं छूमंतर हो जाती है। इसके अलावा मेनोपॉज में भी चूने के सेवन से महिलाओं कई फायदें मिलते है। इससे ओस्टीओपोरोसिस होने की संभावना भी नहीं रहती है।

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