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रायपुर. अंतागढ़ टेपकांड मामले की एसआईटी जांच के आदेश का जोगी कांग्रेस ने स्वागत किया है. जोगी कांग्रेस ने कहा कि जांच का स्वागत करते है जांच करानी चाहिए, जो टेप सामने आया था उससे राजनीति उथल पुथल हुई थी. इससे पहले बीजेपी की ओर से भी बयान जारी कर कहा गया था कि सरकार सभी मामलों की एसआईटी जांच करवा ले हमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कांग्रेस सरकार मुख्य मुद्दे से भटकाने के लिए सरकार एसआईटी एसआईटी खेल रही है.
अब जोगी कांग्रेस ने कहा है कि मंतूराम ने नाम क्यों वापस लिया था उसकी क्या मजबूरी थी ये सब जांच में सामने आना चाहिए. टेप सही है या गलत इसकी जांच की मांग हम भी कर रहे थे. हम तो खुद इस पूरे मामले में जांच की मांग कर रहे थे. निष्पक्ष जांच हो जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
बता दें कि 2015 में इस टेपकांड ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया था. इस टेपकांड को इंडियन एक्सप्रेस सामने लेकर आई थी. इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर एक टेप के हवाले से छापी थी. जिसमें कथित रूप से अजीत जोगी के बेटे और तत्कालीन मरवाही विधायक अमित जोगी और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के दामाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता के बीच बातचीत का कथित ऑडियो है. जिसमें दोनों कथित रूप से रुपयों के लेनदेन की बात कर रहे हैं. ये लेनदेन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार के नाम वापिस लेने को लेकर है.
::/fulltext::पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कुंभ में स्नान किया है.
खास बातें
नई दिल्ली: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में नेता भी डुबकी लगाने में पीछे नही हैं. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुंभ पर संगम में डुबकी लगाई. इसके बाद अखिलेश ने संगम स्थित बड़े हनुमानजी के दर्शन किए और फिर राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी जी महाराज के कुंभ स्थित आश्रम में गए. इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा कि जब सम्राट हर्षवर्धन यहां आते थे तो सब कुछ दान करके चले जाते थे. सरकार ने अभी तक कुछ दान नहीं किया. हम चाहेंगे कि केंद्र सरकार यहां पर स्थित किला प्रदेश सरकार को दान कर दे. कुंभ मेले में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में इसके सचिव नरेंद्र गिरि और अन्य साधु संतों के साथ प्रसाद ग्रहण करने के बाद अखिलेश ने संवाददाताओं से कहा, “प्रदेश सरकार अगली कैबिनेट बैठक कुम्भ मेले में करने जा रही है. योगी सरकार इस कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर इसे केंद्र के पास भेज दे. कुंभ खत्म होते-होते कम से कम किला तो दिलवा दें.”सपा प्रमुख ने कहा, “फौज को अगर जगह चाहिए तो हमारे पास चंबल यमुना के पास बहुत जगह है. जितनी चाहे उतनी जगह फौज को दे दें.”
प्रदेश सरकार द्वारा अर्द्धकुंभ का नाम कुंभ किए जाने के बारे में पूछने पर अखिलेश यादव ने कहा, “संगम और अर्द्धकुंभ, नाम बदल जाए, रंग बदल जाए और कुंभ के किनारे कैबिनेट हो जाए. अगर किसान खुशहाल न हो, नौजवानों को नौकरी न मिले तो सब बातें अधूरी रह जाती हैं.” अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि से यह पूछे जाने पर क्या 2019 के आम चुनावों के लिए वह अखिलेश यादव को आशीर्वाद देंगे, नरेंद्र गिरि ने कहा, 'पूरा का पूरा आशीर्वाद है'.
रायपुर– बहुचर्चित अंतागढ़ टेपकांड की जांच के आदेश छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी ने दिए हैं. अवस्थी ने इसकी जांच का ज़िम्मा रायपुर की एसपी नीथू कमल को सौंपा है. 2015 में इस टेपकांड ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया था. इस टेपकांड को इंडियन एक्सप्रेस सामने लेकर आई थी. इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर एक टेप के हवाले से छापी थी. जिसमें कथित रूप से अजीत जोगी के बेटे और तत्कालीन मरवाही विधायक अमित जोगी और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के दामाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता के बीच बातचीत का कथित ऑडियो है. जिसमें दोनों कथित रूप से रुपयों के लेनदेन की बात कर रहे हैं. ये लेनदेन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार के नाम वापिस लेने को लेकर है.
इस ऑडियो में 2014 में कांकेर ज़िले के अंतागढ़ में हुए उपचुनाव के दौरान की बातचीत है. जब कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पवार ने रहस्यमयी तरीके से नाम वापसी के दिन अपना नाम वापिस ले लिया. जिसके बाद बीजेपी उम्मीदवार भोजराम नाग चुनाव जीत गए.
अंतागढ़ टेपकांड में इस कथित ऑडियो के सामने आने के बाद इस कथित बातचीत के आधार पर ये बात सामने आई कि अमित जोगी ने कांग्रेस को वहां हराने के लिए मंतूराम पवार से नाम वापिस करवाया. इसके बाद कांग्रेस ने अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल हाईकोर्ट जांच की मांग को लेकर गए. जब यहां मांग खारिज़ हो गई तो भूपेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। यहाँ मामला अभी लंबित है। इस बीच राज्य पुलिस की ओर से ये बड़ा एलान हो गया.
::/fulltext::रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार आने के बाद मंत्रालय से हकाले गए आईएफएस अफसरों की स्थिति बड़ी बुरी हो गई है। एक तरह से कहें तो सड़क पर आने जैसी। कुछ अफसरों को तो मंत्रालय से निकले एक महीने हो गए। लेकिन, अभी तक पोस्टिंग नहीं मिली है।
याद होगा, नई सरकार के शपथ ग्रहण के दो दिन बाद पहली सूची में आईएफएस संजय शुक्ला और पीसी मिश्रा को सरकार ने वन विभाग लौटाया था। एशिनल पीसीसीएफ लेवल के ये दोनो अधिकारी मंत्रालय में प्रिंसिपल सिकरेट्री थे। फॉरेस्ट सर्विस के इन दोनों अफसरों को अभी तक वन मुख्यालय में पोस्टिंग नहीं मिली है। इसके बाद दो फेज में पांच और आईएफएस अफसरों को मूल विभाग वापिस भेजा गया। इनमें सुधीर अग्रवाल, संजय ओझा, रामाराव, नरसिम्हाराव, सुनील मिश्रा और नरेंद्र पाण्डेय वन विभाग भेजे गए।
इनमें से किसी को भी अभी तक पदास्थापना नहीं मिली है। पद नहीं है तो गाड़ी भी नहीं मिल सकती। इन अफसरों को अब अपनी गाड़ी से चलना पड़़ रहा है। क्योंकि, मंत्रालय एवं बोर्डों में सरकारी पुल की गाड़ियां मिली हुई थी। और, वह अब उनके पास रही नहीं। पता चला है, इतनी संख्या में अफसर वापिस लौट आएं हैं कि वन मुख्यालय में पोस्ट ही नहीं है। एडिशनल पीसीसीएफ के तीन पद खाली हैं और अफसर हैं छह। तीन को कहां भेजा जाए। वैसे, जितने पद हैं, उन पर भी पोस्टिंग नही हो रही। उपर से अभी आधा दर्जन आईएफएस अभी और मंत्रालय एवं विभिन्न बोर्डों में हैं। उनमें भी तीन एडिशनल पीसीसीएफ लेवल के हैं। कहीं ये भी लौट गए कि तो और मुश्किल हो जाएगी।
सरकार के करीबी सूत्रों का कहना है कि इन अफसरों ने लंबे समय तक डेपुटेशन पर सरकार में काम किया है। और, सभी उच्च और महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इसलिए, सरकार चाह रही कि इन्हें कुछ आराम करने दिया जाए। इसलिए, पोस्टिंग आर्डर नहीं निकल रहा। लेकिन, कोई इन अफसरों से पूछे कि उन पर क्या गुजर रही। कोई इनसे पूछता है, कहां हैं….? तो जवाब देना मुश्किल हो जाता है…कैसे बताएं अभी कहीं नहीं हैं। न सरकार में और ना वन विभाग में। सिर्फ आईएफएस हैं। इसे ही कहते हैं वक्त का फेर।
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