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कांकेर. जिले के आदेश्वर नार्सिंग कॉलेज में पढ़ाई करने वालों विद्यार्थियों को कालेज प्रबंधन के द्वारा परेशान करने का मामला सामने आया है. वहीं कालेज प्रबंधन की तानाशाही रवैया दिखाते हुए, मंगलवार को कालेज के विद्यार्थियों को कमरे के अंदर कैद कर दिया. कैद करने का विरोध के लिए आए कालेज के छात्राओं को भी कालेज प्रबंधन के द्वारा डराया धमकाया गया. कालेज प्रबंधन की तानाशाह रवैये का विरोध कर रहे इन विद्यार्थियों ने परिसर के अंदर ही संगठित होकर जमकर नारेबाजी किये. आक्रोशित छात्र-छात्राओं ने कहा कि यदि कालजे इसी रवैये पर रहेगा तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. वहीं कालेज के जिम्मेदार अधिकारियों से जब इस संबंध में बात की गई तो पल्ला झड़ते नजर आये.
यह था मामला
आदेश्वर नार्सिंग में पढाई कर रहे इन विद्यार्थियों ने बताया कि बीते दिनों पहले कालेज प्रबंधन के द्वारा प्रयोगिक परीक्षा का नाम से 2000 हजार रुपए की जबरन वसूली की गई. इसके बाद कॉलेज के हास्टल में रहने वाले विद्यर्थियों से बिजली के बिल की राशि वसूलने की बात भी कहे. पीड़ित विद्यर्थियों ने बताया कि प्रत्येक से 500 रुपए की जबरन वसूली की गई थी.
जिला प्रशासन से कर चुके है शिकायत
कालेज प्रबंधन के तानाशाह रवैये से परेशान छात्र-छत्राओं ने बचाया कि बीते दिनों घटना की जानकारी जिला प्रशासन से मिल कर समस्यां बताये थे. जिला प्रशसान के द्वारा तत्काल समस्या का निराकरण करने का आश्वसन दिया गया था. मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिला प्रशासन के बाद भड़का कालेज प्रबंधन इन विद्यर्थियों को 9 अक्टूबर को कई घंटों तक भूखा प्यासा कमरे में कर दिये.
::/fulltext::रायपुर . आगामी माह में देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और चुनावी माहौल के बीच ईवीएम का मसला हर बार गर्माता है. बीजेपी सरकार पर ईवीएम मशीन पर छेड़-छाड़ करने के आरोप लगते रहे हैं. दिल्ली चुनाव में आप पार्टी और कांग्रेस ने भी बीजेपी पर ईवीएम हैक करने का आरोप लगाया था इसलिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं का चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बनाए रखने अब चुनावों में वीवीपैट मशीन लेकर आ रही है जिससे मतदाता अपने वोट को लेकर निश्चिंत रहे.
क्या है वीवीपीएटी- वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) एक तरह की मशीन होती है. इसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है. इसका लाभ यह होता है कि जब कोई भी व्यक्ति ईवीएम का इस्तेमाल करते अपना वोट देता है तो इस मशीन में वह उस प्रत्याशी का नाम भी देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है. वीवीपीएटी मशीन के तहत वोटर विजुअली सात सेकंड तक यह देख सकेगा कि उसने जो वोट किया है क्या वह मत उसके इच्छानुसार उसके प्रत्याशी को मिला है या नहीं. इस मशीन के जरिए मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देगा.
सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए. चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया किया अागामी चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा. आयोग ने इसके लिए केंद्र सरकार से 3174 करोड़ रुपए की मांग की. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिज़ायन की. साल 2016 में 33,500 वीवीरपैट मशीन बनाईं. इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में 2017 में भी किया गया.
यदि कोई शख्स चुनाव के दौरान वीवीपैट की पर्ची में अपने द्वारा किसी अलग उम्मीदवार का नाम आने की बात करता है, तो चुनाव अधिकारी उस मतादाता से पहले एक हलफनामा भरवाते हैं. इसके तहत मतदाता को बताया जाता है कि सूचना के गलत होने उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान है. इसके बाद चुनाव अधिकारी सभी पोलिंग एजेंटों के सामने एक रेंडम टेस्ट वोट डालते हैं. जिसे बाद में मतगणना के वक्त घटा दिया जाएगा. इस वोट से वोटर के दावे की सच्चाई का पता लगाया जा सकेगा.
वीवीपैट में उम्दा क्वालिटी का एक प्रिंटर इस्तेमाल होता है. जिसकी वजह से उससे छपी पर्चियों पर से कई सालों तक स्याही नहीं मिटती है. प्रिंटर में एक खास सेंसर भी लगा रहता है जो खराब क्वालिटी की पर्ची आने पर प्रिंटिंग अपने आप बंद कर देता है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार थर्ड जनरेशन ईवीएम मशीनों का उपयोग किया गया था. इसपर आयोग का कहना था कि इसमें लगी चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है. चिप के सॉफ्टवेयर कोड को ना तो पढ़ा जा सकता और ना ही इसे दोबारा लिखा जा सकता है. इसे किसी इंटरनेट या सॉफटवेयर के जरिए भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता. आयोग ने दावा किया था कि इनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ होने पर यह अपने आप बंद हो जाती हैं.
रायपुर. मुख्य निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया में फर्जी ख़बरों को लेकर चेतावनी दी है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि समाचार पत्र, वेब पोर्टल और न्यूज़ चैनल ख़बरों की पुष्टि करने के बाद ही उसे वायरल करें. दरअसल, सोशल मीडिया पर एक बड़े न्यूज़ चैनल की फोटो के साथ फर्जी सर्वे चल रहा है जिसमें बीजेपी को 66 सीटें जीतते बताया गया है. जबकि इस चैनल ने कोई सर्वे अभी तक दिखाया ही नहीं है.
इसे लेकर चैनल के संवादादाता ने मौखिक शिकायत चुनाव आयोग से की है. चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के साथ भी बैठक की जिसमें उन्होने कहा कि जब मतदाता स्लिप देने बीएलओ जाएं तो उनके साथ राजनीतिक पार्टियां अपने बीएलए को भी भेजें. सुब्रत साहू ने बताया कि चुनाव आयोग ने हर विधानसभा में चेकिंग वीडियोग्राफी के साथ तीन फ्लाइंग स्कवॉयड बनाए हैं.
मंत्रियों की होर्डिंग अभी तक शहर में लगे रहने पर आयोग ने कहा कि इस पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि 134578 यूनिट वाल पेंटिग, होर्डिंग्स को अब तक प्रदेश भर में हटाए जा चुके हैं.
::/fulltext::रायपुर । 5 राज्यों में चुनावी बिगुल फूंकने के बाद अगल-अलग न्यूज चैनलों के सर्वे सामने आ रहे हैं। हालांकि अधिकांश सर्वे में छत्तीसगढ़ सहित राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा में बराबरी का मुकाबला दिखाया जा रहा है। हालांकि कुछ सर्वे में तीनों राज्यों में सत्ता परिवर्तन के आंकड़े भी बताये जा रहे हैं। उस लिहाज से पिछले दिनों एबीपी और सी वोटर सर्वे भाजपा के लिहाज से छत्तीसगढ़ में बेहद निराशाजनक रहा, लेकिन आज टाईम्स नाउ पर दिखाये गये “वाररूम” सर्वे में भाजपा के चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान बिखेर दी है। वाररूम स्ट्रेटेजीज और मध्यप्रदेश ओआरजी के संयुक्त सर्वे में छत्तीसगढ़ में भाजपा एक बार फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है।
सर्वे के मुताबिक 16 अगस्त से लेकर 30 सितंबर तक कराये गये सर्वे पांचों संभाग के 27 जिलों की 90 सीटों पर कराये गये हैं। ये सर्वें लोकसभा और विधानसभा दोनों के साथ-साथ कराये गये हैं। विधानसभा की अगर बात करें तो भाजपा को 47 सीटों के साथ चौथी बार सरकार बनाते हुए देखने का दावा वाररूम सर्वे कर रहा है। जबकि कांग्रेस को 33 सीट कांग्रेस को, जो पिछली बार की तुलना में 6 सीटें नुकसान की बतायी जा रही है, जबकि अन्य के खाते में 10 सीट हैं, जिसमें बसपा, जोगी कांग्रेस और अन्य दल शामिल हैं। पिछली बार अन्य का आंकड़ा सिर्फ 2 था।
वहीं लोकसभा में भाजपा के खाते में 8 सीट और कांग्रेस के खाते में 3 सीटें बतायी गयी है।
वहीं मत प्रतिशत भाजपा के खाते में 43 फीसदी जाता दिख रहा है, वहीं कांग्रेस के खाते में 39 फीसदी और अन्य के खाते में 18 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं। सबसे कमाल की बात ये है कि भाजपा के वोट प्रतिशत उसके सीट में तब्दील हो रहे हैं, जबकि कांग्रेस और अन्य का वोट प्रतिशत सीटों में बदल नहीं पा रहा है।
वहीं मुख्यमंत्री के रुप में एक बार फिर रमन सिंह प्रदेश का सबसे बड़ा चेहरा बनकर सामने आये हैं। रमन सिंह को वाररूम सर्वे में 55 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर से देखना चाहते हैं, जबकि टीएस सिंहदेव को 15 फीसदी, अजीत जोगी को 10 फीसदी, भूपेश बघेल को 8 फीसदी और सरोज पांडेय को 5 फीसदी लोग मुख्यमंत्री के रुप में पसंदीदा चेहरा मान रहे हैं।
वोट देने का आधार सर्वे के अनुसार मतदाताओं ने 40 फीसदी पार्टी के आधार पर, विकास कार्यों के आधार पर 23 फीसदी और रमन सिंह को देखकर 10 फीसदी वोटरों ने वोट देने की बात कही है। 31 फीसदी वोटरों ने माना है कि रमन सिंह का सरल स्वभाव देखकर वो उन्हें पसंद करते हैं, वहीं कांग्रेस की नापंसदी की वजह रमन सिंह जैसे बड़े कद के नेताओं का अभाव को सबसे ज्यादा माना जा रहा है।
वहीं सर्वे में खास सवाल कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर पूछा गया, जिसमें 50 फीसदी वोटरों ने माना है कि कांग्रेस को टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहिये, जबकि भूपेश बघेल को 20 फीसदी लोग अपनी पसंद मानते हैं, वहीं रविंद्र चौबे को 12 और चरणदास महंत 8 फीसदी लोगों के चहेते हैं।
45 फीसदी लोग तीसरी शक्ति की ताकत को निर्णायक मानते हैं, जबकि 45 फीसदी की राय ना में भी है।
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