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रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक उम्मीदवारों को यह कहा गया है कि सभी प्रकार के निर्वाचन व्यय के लिए एक पृथक नया बैंक खाता अनिवार्य रूप से खोलें. मौजूदा या पूर्व के बैंक खातों के जरिए निर्वाचन व्यय की अनुमति नहीं दी जाएगी. नामांकन दाखिले के कम से कम एक दिन पूर्व यह नया खाता खोलना जरूरी है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में 50 हजार रूपए से अधिक की नगद राशि लेकर चलने की अनुमति नहीं होगी. प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने राज्य स्तरीय बैंकर्स की बैठक में उम्मीदवारों के इस प्रकार के नये खाते खोले जाने के निर्देश दिए हैं.
उल्लेखनीय है कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार संबंधित अभ्यर्थी के दैनिक व्यय उनके निर्वाचन व्यय लेखा पुस्तिका में अंकित किया जाना अनिवार्य है. इसके लिए उम्मीदवार को निवार्चन व्यय किये जाने के लिए एक पृथक बैंक खाता खोला जाना अनिवार्य है. उम्मीदवार को मौजूदा या पूर्व के बैंक खातों को इस उद्देश्य के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी. समस्त व्यय इसी नये बैंक खाते के द्वारा किया जाना है. यह बैंक खाता अभ्यर्थी के नामांकन दाखिले के कम से कम एक दिन पूर्व खोला जाना अनिवार्य है. नामांकन के समय अभ्यर्थी द्वारा इस नये बैंक खाते का विवरण प्रस्तुत किया जाना है. यह बैंक खाता प्रदेश में किसी भी स्थान पर एवं किसी भी बैंक (जिसमें को-आॅपरेटिव बैंक एवं पोस्ट आॅफिस भी शामिल है) में खोला जा सकता है. बैंक खाता उम्मीदवार या उम्मीदवार और उसके एजेंट के संयुक्त नाम से खोला जा सकता है, किन्तु अपने परिवार के सदस्य के साथ संयुक्त नहीं खोला जा सकता, यदि परिवार का सदस्य निर्वाचन एजेंट नहीं है.
यह भी स्पष्ट किया गया है कि उम्मीदवार निर्वाचन के लिए समस्त व्यय इसी खाते से करेंगे. व्यय के लिए केवल बीस हजार रुपए तक की राशि का भुगतान चेक के माध्यम से किया जाना अनिवार्य है. इससे कम की राशि का भुगतान भी इसे खाते से आहरण किया जा सकता है. उक्त बैंक खातों को खोले जाने के लिए राज्य स्तरीय बैंकर्स बैठक में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ द्वारा निर्देश दिए गए हैं.
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने बताया है कि आदर्श आचरण अवधि में सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कोई भी अभ्यर्थी या उसका निर्वाचन अभिकर्ता अथवा उसके कोई भी कार्यकर्ता को निर्वाचन अवधि के दौरान संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में 50 हजार रुपए से अधिक की नगद राशि लेकर चलने की अनुमति नहीं है.
::/fulltext::नई दिल्ली। अगले महीने की 12 और 20 तारीख को छत्तीसगढ़ में वोट डाले जायेंगे। चुनावी बिगुल बजते ही सियासी गणित को लेकर नये समीकरण बनाये और बिगाड़े जाने लगे हैं। वहीं अटकलों का दौर भी तेज होता जा रहा है। किसको नफा-किसे नुकसान की चर्चाओं के बीच इस बार 23,632 मतदान केंद्रों पर वोट डाले जायेंगे, जो पिछले बार की तुलना में 10.34 फीसदी ज्यादा हैं।
छत्तीसगढ़ के सियासी हालात को देखें तो प्रदे में कुल सीटों की संख्या 90 हैं, जहां दो चरणों में 12 को 18 सीटों पर और 20 नवंबर को 72 सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे। सीटों की अगर बात करें तो सामान्य वर्ग के लिए 51, एससी की 10 और एसटी की 29 सीटें हैं। प्रदेश में पिछले 15 साल से बीजेपी की सरकार रमन सिंह के नेतृत्व में है और इस बार फिर से बीजेपी ने रमन सिंह पर ही दांव लगाया है।
इस बार के चुनाव में जो सबसे खास बात है, वो जोगी कांग्रेस का एक बड़ा जनाधार खड़ा करना और उसका बसपा के साथ गठबंधन करना। सियासी पंडितों के लिहाज से ये गठबंधन ऐसा है, जिसने कई प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है। आंकड़े बताते हैं कि जोगी कांग्रेस अगर खुद नहीं भी जीत पायी, तो दूसरे की हार की बड़ी वजह बन सकती है। 2013 के विधानसभा चुनाव पर अगर नदजर डालें तो कुल 90 सीटों में से बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को 39 सीटों से संतोष करना पड़ा था, बीएसपी को एक और एक सीट पर निर्दलीय के खाते में गई थी।
2013 में वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस में ज्यादा फर्क नहीं रहा था। बीजेपी को 42.3 फीसदी और कांग्रेस को 41.6 फीसदी मत मिले थे। बीएसपी को सीट केवल एक मिली थी लेकिन उसका मत प्रतिशत 4.4 प्रतिशत रहा था और यही वजह थी की कांग्रेस बीएसपी को साथ लेना चाहती थी। अगर इस बार दोनों का मत प्रतीशत एक साथ जुड़ जाता तो जाहिर तौर पर कांग्रेस के 15 साल के वनवास के खत्म होने की उम्मीद ज्यादा बढ़ जाती।
बीएसपी और अजीत जोगी की जोड़ी अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। एससी की 10 में से 9 सीटों पर अभी बीजेपी का कब्जा है। इसी तरह एसटी की 29 सीटों में से बीजेपी के पास 11 और कांग्रेस के पास 18 सीटे हैं। जोगी का पूरे प्रदेश में असर नहीं है लेकिन आदिवासी और दलितों के बीच उनकी पकड़ अच्छी है। इसलिए अब बीएसपी और जोगी की जनता कांग्रेस एससी की 10 और एसटी की 29 सीटों पर असर डाल सकती हैं।
::/fulltext::सुकमा। सुकमा से एक बड़ी खबर आ रही है। खबर है कि एक छात्र की नक्सलियों ने नृशंस हत्या कर दी है। छात्र का नाम कुंजामी शंकर बताया जा रहा है। इस युवक का अपहरण कल ही कर लिया गया था, आज युवक का शव जंगल में पड़ा मिला है।
हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस की तरफ से किसी भी तरह की कोई जानकारी नही मिल पा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक कुंजामी शंकर लाइवलीहुड कॉलेज में पढ़ता था, कल अचानक देर शाम कुन्दनपाल एरिया से शंकर का अपहरण नक्सलियों ने कर लिया। अपहरण के बाद से ही छात्र का कोई पता नहीं चल रहा था, आज उस युवक का शव कुछ लोगों ने जंगल में देखा, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी।
इस पहले भी बस्तर क्षेत्र में एक छात्र का अपहरण का कर लिया गया था, जिसके बाद स्थानीय संगठन और छात्रों ने रैली निकालकर छात्रों की रिहाई की अपील की। दवाब बढ़ने के बाद नक्सलियों ने उस छात्र को देर रात रिहा कर दिया था। इस घटना के बाद एक बार फिर नक्सलियों का क्रूर चेहरा सामने आया है। जानकारी मिली है कि नक्सलियों ने मुखबिर के शक में छात्र को मौत के घाट उतारा हो।
::/fulltext::रायपुर. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल की किस्मत पर आज को बड़ा फैसला आ सकता है. दिल्ली के सूत्रों के मुताबिक पैसे के लेनदेन वाले स्टिंग पर जांच का ज़िम्मा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिया गया है. इस वक्त पार्टी के सभी बड़े नेता दिल्ली से बाहर हैं. उनके लौटते ही इस पर पार्टी निर्णय लेगी. सूत्रों के मुताबिक इस मामले को लेकर भूपेश पर गाज़ गिरनी तय है. लेकिन ये साफ नहीं है कि भूपेश को हटाया जाता है या उनके अधिकार कम किए जाते हैं.
कांग्रेस के भीतर इस मामले में आलाकमान के फैसले पर सुगबुगाहट काफी तेज़ है. लेकिन सबकी नज़र दिल्ली पर है. बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान के सामने चुनाव को देखते हुए फैसला लेना आसान नहीं है. चर्चाओं के मुताबिक या तो भूपेश बघेल को हटाया जा सकता है. दूसरा विकल्प है कि भूपेश बघेल को हटाए बिना उन पर नकेल कस दी जाए.
रायपुर में दिल्ली से आने वाले फैसले पर सबकी नज़र है. इस मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं ने ग्रुपों में मुलाकात की थी. ख़बर है कि सभी नेताओं ने राहुल गांधी से इस एपिसोड को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है.
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