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रायपुर. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आप विधायक अलका लांबा रायपुर दौरे पर चल रहे है. इस दौरान उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि पूरे हिंदुस्तान में भाजपा कांग्रेस के बाद अब पूरे देश में तीसरा विकल्प आप पार्टी बन रही है. हम छग में पूरे दमदारी के साथ चुनाव लड़ेंगे. लोकसभा के 100 सीट पर पार्टी चुनाव लड़ेगी. भाजपा कांग्रेस में सभी फैसले दिल्ली से होते है, लेकिन हम छग से फैसला करेंगे.
अलका लांबा ने कहा कि सरकार के आंकड़े बताते है कि 22 लाख युवा छग में बेरोजगार है. इसलिए युवा संवाद करने की जरूरत हमें पड़ी. हमारी सीधी लड़ाई भाजपा से है. छग में काँग्रेस के होते हुए भी वो विकल्प नहीं बन पाई. विपक्ष का किरदार नहीं निभा पाई. दिल्ली सरकार ने 3 साल के शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र के जो काम किये है वो बीजेपी के 15 साल की सरकार में नहीं हुआ है. छग में लोग परेशान है. मैं सरकार को आमंत्रित करती हूं कि वो दिल्ली आकर सरकार के विकास और वहां के मोहल्ला क्लिनिक को देखे.
आगे उन्होंने कहा कि हमारे पार्टी के सभी फैसले छग से ही होंगे. पढ़े लिखे युवा को आमंत्रित करती हूं कि हमने अभी 68 उम्मीदवार घोषित किया है. आप हमारी पार्टी में आये आपको उम्मीदवार बनाया जाएगा. दिल्ली सरकार ने रोजगार के लिए बहुत काम किया है. स्कूल के जरिये हमने युवाओ को ट्रेनिंग दी है. दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए परेशानी है. छग में बिचौलिए काम कर रहे है. बाहरी लोगों को नौकरी दी जा रही है. युवाओ के साथ शोषण किया जा रहा है. यही सब मुद्दों पर युवा संवाद पर चर्चा होगी. मीडिया पर काफी दबाव डाला जा रहा है. लेकिन मीडिया को सलाम करती हूं इस दबाव के बावजूद मीडिया सच्चाई बता रही है. छग के हमारे लिए चुनौती है. हमारा संगठन मजबूत होकर खड़ा है.
उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ कोई आवाज उठा रहा है तो उसको जेल में डाल दिया जा रहा है. सरकार ने अपने पिछले साढ़े चार साल में देश को बर्बाद कर दिया. इनके ही विधायक रेप के मामले के लिप्त रहते है. महिलाएं सुरक्षित नहीं है. छग में हमने विकल्प दिया है. हमारी सरकार छग में जरूर बनेगी. सत्ता परिवर्तन के लिए हम लड़ रहे है. छग के लोग विकल्प चाहते है. और हम विकल्प के तौर पर खड़े है. और जनता परिवर्तन जरूर करेगी.
::/fulltext::सुकमा। जिले में स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीण किस तरह तरस रहे हैं इसका अंदाजा तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। जिले के बड़े हिस्से ऐसे हैं जहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण जीने मजबूर हैं। सुकमा जिले में विकास की बात अब तक बेमानी है। मरईगुड़ा थाने का इरापुरम ऐसा ही गांव है, जहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। यहां तीन दिन से एक गर्भवती महिला दर्द से कराह रही थी। कोई साधन न होने के कारण गांव से बाहर निकलना मुश्किल था।
इस बात की सूचना कोंटा पहुंची जहां से 102 महतारी एक्सप्रेस को रवाना किया गया। सड़क न होने के कारण उसे रुकना पड़ा। ईएमटी हरखराम जायसवाल व प्रमोद शर्मा पैदल ही गांव पहुंचे। गर्भवती महिला सोढ़ी आयते (22) की हालत नाजुक थी। प्राथमिक उपचार देकर सोढ़ी को खाट में डालकर कावड़ के रूप में छह किमी की पैदल यात्रा शुरू हुई। घने जंगल व पहाड़ से गुजरते महिला को 102 एम्बुलेंस तक लाया गया। मरईगुड़ा की ओर निकले ही थे कि महिला की हालत बिगड़ने लगी। उसकी स्थिति को देखते जंगल में वाहन रोककर महिला का प्रसव कराया गया।
सीआरपीएफ जवानों ने गर्भवती को पहुंचाया अस्पताल
इधर बीजापुर में सीआरपीएफ 168 वाहिनी तर्रेम के जवानों ने संवेदनशीलता की मिसाल पेश की है। जवानों ने एक गर्भवती महिला और कुल्हाड़ी के घाव से पीड़ित एक अन्य आदिवासी महिला को सुरक्षित व उचित उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। जिले के अति संवेदनशील व दुर्गम तर्रेम गांव में एक गर्भवती महिला की गंभीर हालत की सूचना मिलते ही सुरक्षाबल के जवान तेजचरण रेड्डी समवाय अधिकारी, प्रभारी तर्रेम कैंप ने महिला को तुरंत गांव से लेकर कैंप पहुंचे।
सीआरपीएफ के वाहन से महिला को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचाकर उसकी जान बचाई। माओवादी प्रभावित क्षेत्र बासागुड़ा के कोरसागुड़ा की पटेलपारा निवासी आदिवासी महिला के पैर में गैंगरीन के फैलाव को देखते तुरंत आर्थिक सहायता देकर वाहन से जिला अस्पताल भिजवाया।
::/fulltext::कांकेर। बारिश के मौसम में जल जनित बीमारियां तेजी के साथ फैल रही हैं। नक्सल प्रभावित बस्तर के कांकेर जिले के सुदूर गांवों में भी मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का प्रकोप है। कई पहुंच विहीन गांवों में लोग बीमारियों से जूझ रहे हैं। बरसात में कई सड़कें पूरी तरह बंद हैं।
जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में मेढ़की नदी उफान पर है। स्वास्थ्य अमला अब पूरी तरह जिले में सतर्क हो गया है। यहां से एक स्पेशल मेडिकल टीम सुदूर गांवों तक पहुंचने के लिए रवाना की गई। टीम में डाक्टरों के साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ ने प्रभावित गांवों तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत की। कीचड़ भरे रास्तों पर पैदल चलने के साथ ही टीम ने उफान मारती मेढ़की नदी को नाव के सहारे पार किया और दूसरे किनारे से लगे गांवों में पहुंचकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच की। उन्हें दवाएं मुहैया कराई गई और बीमारी से बचाव के उपाय बताए गए।
ट्रैक्टर से पहुंचाई दवा की खेप
कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के पानीडोबीर, चिलपरस, आलपरस, पटेल पारा, केसेकोडी आदि नक्सल प्रभावित गांवों में चिकित्सा शिविर लगाकर 230 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। यहां पहुंची मेडिकल टीम के डॉक्टरों ने कहा ग्रामीण बीमारी से उबरने के लिए दवा की जगह झाड़फूंक करा रहे थे।
उन्हें समझाइश दी गई है कि इन अंधविश्वास की बातों पर भरोसा न करें और बीमारी की हालत में तुरंत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से संपर्क करें। बीएमओ डॉ एनआर नवरतन ने खुद इस चिकित्सा शिविर का मोर्चा संभाला है। उन्होंने बताया कि फिलहाल खतरे के हालात नहीं हैं। क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है।
::/fulltext::बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में प्लास्टिक कैरी बैग पर लगे प्रतिबन्ध का पालन कराने हेतु दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश अजय कुमार त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति पी.पी.साहू की युगलपीठ ने प्रत्येक पंचायत और नगरीय निकायों में प्लास्टिक कैरी बैग, होर्डिंग और प्रचार सामग्री के फ्लेक्स और डिस्पोजल, कप, ग्लास, प्लेट पर लगे प्रतिबन्ध के क्रियान्वयन हेतु कमेटी गठित करने के आदेश देते हुऐ 6 हफ्ते में शासन से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर के पास अन्य बहुत काम होेते हैं अतः इन कमेटियों में जिले के कलेक्टर नहीं होंगे.
गौरतलब है कि 1 जनवरी 2015 से प्रदेश में प्लास्टिक कैरी बैग का निर्माण, विक्रय, परिवहन तथा उपयोग को प्रतिबंधित करने के बावजूद प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग धडल्ले से होने कारण नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका लगा कर बताया था कि नगर निगम तथा पर्यावरण संरक्षण मंडल अधिकार नहीं होने के बावजूद मनमानी पेनाल्टी लगा कर दोषियों को छोड़ देते हैं.
कोर्ट द्वारा तब नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के विशेष सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिये थे. विशेष सचिव ने पूर्व में कोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत करके बताया था कि प्रदेश भर में 13 दिनों में 905 व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही की है जिनके विरूद्ध स्थानीय कोर्ट में शिकायत प्रस्तुत की जावेगी.
प्रतिबन्ध कब-कब लगाया