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आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर जगह तनाव है, यह एक ऐसा शब्द है जिसे आप हर दिन अपने आसपास रहनेवाले लोगों में से किसी ना किसी से सुन ही लेते हैं। दुनिया की 80% आबादी ने दैनिक आधार पर तनाव का अनुभव किया है। 15 से 25 साल की उम्र के कई लोगों ने तनाव के मैनेजमेंट में मदद की रिपोर्ट की है और अगर वे उस उम्र में स्ट्रेस मैनेजमेंट नहीं सीख पाते हैं, तो बाद में उनके लिये तनाव को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। तनाव के ज़्यादातर मामले की रिपोर्ट कार्यस्थलों (वर्कप्लेस) से मिलती है। युवा लोग तनावग्रस्त होने की इस बढ़ती प्रवृत्ति से पीड़ित होते दिख रहे हैं। तनाव एक तरह से संक्रामक होता है। हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि जब एक तनावग्रस्त व्यक्ति के साथ आप रहते हैं तो आपके ऊपर भी उसका प्रभाव पड़ता है।
तो, तनाव क्या है?
तनाव जीवन के अनुभव, खतरे और खतरे पर प्रतिक्रिया करने का शरीर का तरीका है। यह आपके शरीर की रक्षा करने का तरीका है। अगर स्वस्थ स्तर पर बात करें तो तनाव आपको चुनौतियों से निपटने, ध्यान केंद्रित करने, सतर्क और ऊर्जावान रहने में मदद कर सकता है। लेकिन एक सीमा के बाद ये चिंता, बेचैनी, सिर दर्द, सीने में दर्द, अवसाद, यौन इच्छा, थकान, क्रोध आदि की वजह बन सकते हैं।
तनाव आपके शरीर में हर प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। यहां देखें कैसे-
1. इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली)
2. रीप्रोडक्टिव सिस्टम (प्रजनन प्रणाली)
3. मस्कुलर सिस्टम (मांसपेशी प्रणाली)
4. डाइजेस्टिव सिस्टम (पाचन तंत्र)
5. कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम
6. श्वसन प्रणाली
7. सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र)
1. प्रतिरक्षा प्रणाली:
जैसा कि हम जानते हैं कि तनाव, त्वरित कार्रवाई के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है। यह संक्रमण और खुले घावों के मामले में सहायक हो सकता है जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर शरीर लंबे समय से तनाव में है, तो प्रभाव उल्टा हो जाता है। जो लोग लगातार तनाव में रहते हैं वे सामान्य सर्दी और फ्लू से अधिक प्रभावित होते हैं। तनाव हार्मोन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर करते हैं और जल्दी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता को भी कम करते हैं। आप यह भी देख सकते हैं कि बीमारियों से ठीक होने के लिए शरीर को ज़्यादा समय और ऊर्जा लगती है।
2. प्रजनन प्रणाली:
जब पुरुष तनाव में होते हैं तो टेस्टोस्टेरोन उच्च स्तर पर उत्पादित होता है लेकिन यह ज़्यादा समय तक नहीं रहता है, जिसका मतलब है कि आप अपनी इच्छा खो देते हैं। यह इसलिए भी है क्योंकि एक तनावग्रस्त शरीर हमेशा थका रहता है और ऊर्जा की कमी होती है। अधिक गंभीर परिस्थितियों में, इरेक्टाइल दोष का भी खतरा रहता है।
वहीं ज़्यादातर तनाव में रहने पर महिलाओं को पीरियड के दौरान सामान्य से ज़्यादा दर्द और अनियमितता की शिकायत रहती है और काम-इच्छा में कमी भी होती है।
3. मस्कुलर सिस्टम:
जब तनाव होता है, तो आपकी मांसपेशियों में दिक्कत महसूस होती है। ज़ाहिर है तनाव से छुटकारा पाने पर आपकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा। लेकिन अगर आप लगातार तनाव में रहते हैं तो निश्चित ही आपको मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहती है।
इसका मतलब है कि आपकी मांसपेशियों को लगातार सिरदर्द, ज्वाइंट इंजरी, मांसपेशी स्पैम, पीठ दर्द, कंधे के दर्द, या पूरे शरीर में दर्द का एहसास हो सकता है। ऐसे में आपको मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत होती है।
4. पाचन तंत्र:
तनाव से आपके डाइजेसटिव सिस्टम यानि कि पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है। तनाव की वजह से कब्ज़, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, मतली, आदि की शिकायत हो सकती है। तनाव के दौरान, बॉडी की आवश्यक ऊर्जा को मेंटेन करने के लिए ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
यदि यह एक निश्चित स्तर को पार करता है तो आप डायबिटीज़ से पीड़ित हो सकते हैं। तेज़ी से सांस लेना, दिल की धड़कन का बढ़ना और हार्मोन में शुगर की वृद्धि आपके डाइजेस्टिव जूस प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकती है, जिससे आपकी छाती में जलन और एसिडिटी की संभावना बढ़ जाती है।
5. कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम:
तनाव के दौरान जब आपकी हृदय गति बढ़ जाती है तो कोशिकाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिये शरीर के माध्यम से अधिक रक्त पंप किया जाता है। मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, मस्तिष्क कोशिकाओं को प्रॉसेस करने के लिए ज़्यादा ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिससे उच्च रक्तचाप होता है और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
6. श्वसन प्रणाली:
तनाव हार्मोन आपके श्वसन तंत्र में विनाश का कारण बनता है। ऐसे में लोग तेज़ी से सांस लेते हैं और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर के माध्यम से अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त को ले जाने की ज़रूरत होती है। यदि आपको पहले से ही श्वास की दिक्कत हैं, तो लक्षण और बढ़ सकते हैं।
7. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम):
यह प्रणाली काफी अहम है। तनाव की स्थिति में आपका शरीर जिस तरह से काम करता है या रिस्पॉन्स करता है उसके लिये यही सेंट्रल नर्वस सिस्टम ज़िम्मेदार है। हाइपोथैलेमस को स्ट्रेस हार्मोन - कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन रिलीज़ करने के लिए सतर्क किया जाता है। ये हार्मोन रक्त में अधिक ऑक्सीजन को अवशोषित करते हुए पूरे शरीर में काम करता है और त्वरित प्रतिक्रियाओं के लिये प्रेरित करता है। जब तनाव से छुटकारा पा लिया गया है तो हाइपोथैलेमस को फिर से शरीर को सामान्य रूप से वापस लाने के लिए संदेश भेजना होता है। क्रोनिक स्ट्रेस के तहत, ऑर्गन की यह क्षमता कभी-कभी बाधित हो जाती है और यह पूरे शरीर के लिए घातक हो सकता है।
क्रोनिक स्ट्रेस यानि की लंबे समय से तनाव में रहने की वजह से ओवरइटिंग, शराब की लत, नशीली दवाओं का इस्तेमाल, बहुत कम खाना और समाज से अलग रहने जैसी आदतें उत्पन्न होती हैं। यह देखते हुए कि पूरे शरीर को तनाव कैसे प्रभावित कर सकता है, हमें इसे कम करने और आसपास के अन्य लोगों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है। आपको निश्चित ही ऐसा करना चाहिए क्योंकि कोई भी अपने शरीर को खतरे में डालकर जीवन नहीं जीना चाहता है।
ऐसे कई आसान तरीके हैं जिनकी मदद से आप तनाव को कम कर सकते हैं-
• कम से कम 5 मिनट के लिए मेडिटेशन करें और गहरी सांस लें।
• मेडिटेशन धीरे-धीरे करें और उस पल को महसूस करें।
• यदि ज़रूरी हो, तो किसी पेशेवर या प्रियजन से मदद लें।
• अपने शरीर की आवश्यकता को समझें।
• आपके पास जो कुछ है उसके लिए आभारी रहें और उन चीज़ों के पीछे ना भागें जिससे आपके शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है।
पहली बार मां बनना खुद और पूरे परिवार के लिए बहुत खुशी का पल होता है। इस दुनिया में एक नई ज़िंदगी को लाना और अपने गर्भ में छोटी सी जान को पालने के अहसास को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। कई महिलाओं को ये जानने की उत्सुकता होती है कि उनका शिशु गर्भ में क्या करता है और इसीलिए आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताने वाले हैं कि गर्भ के अंदर शिशु क्या करता है।विशेषज्ञों की मानें तो शिशु ना केवल उंगलियों, पैर और अंगों को चलाना सीखता है बल्कि वो सपने भी देखता है और जम्हाई भी लेता है, अंगूठा भी चूसता है और ऐसी कई सारी चीज़ें करता है जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगें।
अगर आप अल्ट्रासाउंड के दौरान करीब से देखें तो आप गर्भ के अंदर अपने नन्हे से शिशु को देख सकते हैं। कई बार भ्रूण लगतार घूमता रहता है और पेट में लात भी मारता है।विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रूण जम्हाई लेने और किक मारने से ज़्यादा भी गर्भ के अंदर हरकतें करता है। अगर आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो जान लीजिए कि गर्भ के अंदर आपका शिशु क्या कुछ करता है।
गर्भ में रोना
ये जानकर आपका दिल टूट सकता है लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अल्स्ट्रासाउंड से ये बात सामने आई है कि शिशु गर्भ के अंदर भी रोते हैं।
गर्भ में बॉन्डिंग
अगर आप जुड़वा बच्चों की मां बनने जा रही हैं तो गर्भ के अंदर आपके दोनों शिशुओं की बॉन्डिंग हो जाएगी। हालांकि, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि ये बॉन्डिंग मां के साथ भी होती है। गर्भावस्था के आखिरी 10 हफ्तों में शिशु अपनी मां की आवाज़ को सुन सकता है।
हिचकियां लेना
गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान ही शिशु हिचकियां लेना शुरु कर देता है। आपको इसका अहसास नहीं होता लेकिन गर्भावस्था के अंतिम चरण तक आपको भी ये पता चलने लगता है। अगर आप ध्यान दें तो कई बार आप अपने गर्भ में शिशु की हिचकियों को महसूस कर सकती हैं।
गर्भावस्था के 26वें हफ्ते में शिशु कई चीज़ों पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगता है। इस दौरान बच्चा मुस्कुराता भी है।
जम्हाई लेना
गर्भ के अंदर शिशु जम्हाई भी लेता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भ के अंदर बच्चा सबसे ज़्यादा सोता है और जब वो गर्भ के अंदर मूव करता है तो थक जाता है और उसे जम्हाई आने लगती है।
मूत्र भी करता है
जी हां, शिशु गर्भ के अंदर मूत्र यानि पेशाब भी करता है। पहली तिमाही के अंत में शिशु पेशाब करना शुरु कर देता है।
गर्भ में आंखें खोलना
गर्भावस्था के 28वें हफ्ते में शिशु गर्भ के अंदर आंखे खोलने लगता है। वो तेज़ रोशनी पर प्रतिक्रिया भी देने लगता है लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि इससे शिशु बाहरी दुनिया की जानकारी लेता है।
मां जो कुछ भी खाती है वो शिशु को जाता है और एमनिओटिक फ्लूइड के ज़रिए बच्चा इसके फ्लेवर का स्वाद चखता है। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि 15वें हफ्ते में भ्रूण को मीठे का स्वाद पसंद आने लगता है और जब मीठा होता है तो शिशु ज़्यादा फ्लूइड लेता है।
::/fulltext::गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना सामान्य है क्योंकि आपके बच्चे का विकास हो रहा होता है। हालांकि, यह केवल आपके बच्चे के विकास का कारण नहीं है बल्कि आपका शरीर एक अतिरिक्त ऊतक विकसित कर रहा होता है, जिसमें बड़े स्तन और गर्भाशय शामिल हैं, जिसमें प्लेसेंटा, अतिरिक्त तरल पदार्थ और रक्त भी शामिल है।
हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि आप गर्भावस्था के दौरान अच्छी तरह से खाएं, ताकि आपके बच्चे को स्वस्थ शुरुआत मिल सके। अक्सर लोगों की अवधारणा होती है कि 'दो के लिये खाना'। इस तरह के माइंड-सेट से आपको केवल गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त वजन प्राप्त करने का मौका मिलेगा, जिसे बाद में कम करना मुश्किल हो सकता है।यहां हम आपको प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने के लाभ और उसे मैनेज करने के बारे में बताने जा रहे हैं।
गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ाने वाले कारक:
जबकि गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाओं का वजन 12 किलोग्राम से 16 किग्रा बढ़ता है, गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ना निम्नलिखित कारकों से प्रभावित हो सकता है: गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ना आपके पूर्व-गर्भावस्था के वजन पर भी निर्भर हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप प्रेग्नेंसी से पहले कम वजन वाले थे, तो आपको थोड़ा और वजन बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। दूसरी तरफ, यदि आप अधिक वजन रखते हैं, तो आपको सावधानीपूर्वक अपना वज़न बढ़ाना चाहिए।
यदि आपके जुड़वा हैं तो प्रेग्नेंसी के दौरान आदर्श वजन बढ़ाना आपके लिए मुश्किलभरा काम होगा। गर्भावस्था के दौरान जब आप सुबह मितली और बीमारी से जूझ रहे हो तो आप शुरूआत में वजन कम कर सकते हैं, और एक बार जब आप चार महीने बाद इस बीमारी से उबर आएं तो अपना वजन बढ़ाने की शुरूआत कर सकते हैं। यह प्री-प्रेग्नेंसी बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और आपके दैनिक ऊर्जा सेवन पर भी निर्भर करता है।
गर्भावस्था के दौरान आदर्श वजन क्या होना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान, आप तिमाही में वजन बढ़ा सकती हैं। लेकिन आपको प्रत्येक तिमाही के दौरान आदर्श वजन बढ़ाने के बारे में अवगत होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि, गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने से, मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।गर्भावस्था की शुरुआत में, अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जांच करना आवश्यक है, और इसके आधार पर, आप स्वस्थ वजन बढ़ाने के कार्यक्रम की योजना बना सकते हैं। बीएमआई आपकी ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर की वसा जांचने का एक तरीका है, और यह निर्धारित करने में मदद करता है कि आप कम वजन वाले, सामान्य या अधिक वजन वाले हैं या नहीं।
अपने बीएमआई को खोजने के लिेए, अपने वजन को किलोग्राम में, ऊचांई को मीटर में बांट लें, और आपको अपना BMI मिल जाएगा।अन्यथा, वैल्यू जानने के लिए ऑनलाइन बीएमआई कैलक्यूलेटर का उपयोग करें।यदि आपका प्रेग्नेंसी से पहले सामान्य वजन है तो आपका वजन बढ़ाना आदर्श रूप से 11.5 किलोग्राम और 16 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। इसे डिलीवरी तक हर महीने 1.5 किलोग्राम से 2 किलो वजन में विभाजित किया जा सकता है। यदि प्रेग्नेंसी से पहले आपका वजन अधिक है तो आपको कम वजन बढ़ाना होगा। अन्यथा, यदि आप कम वजन रखते हैं, तो आप और अधिक प्राप्त कर सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान अपना वजन कैसे बढ़ाएं?
आपके वजन के बावजूद, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप एक स्वस्थ, पौष्टिक आहार खाते हैं जिसमें फलियां, अनाज, मछली, मांस और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों के अलावा ताजा सब्जियां, साबुत अनाज और ताजे फल सम्मिलित होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये खाद्य पदार्थों प्रेग्नेंसी के दौरान आपका वजन बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे। स्वस्थ पोषक तत्वों के लिए हमेशा अपना आहार जांचें, क्योंकि आपके और आपके बच्चे को स्वस्थ रहने के लिए यह आवश्यक है। इससे आपके बच्चे को पर्याप्त आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयोडीन और प्रोटीन के साथ स्वस्थ शुरुआत करने में भी मदद मिलेगी।
इस बीच आपको नियमित रूप से कुछ प्रेग्नेंसी एक्सरसाइज भी शामिल करनी चाहिए। जैसे- चलना। यदि आप योग-उत्साही हैं, तो अपने डॉक्टर और अपने योग प्रशिक्षक से उचित अभ्यास के बारे में बात करें जो अतिरिक्त वजन बढ़ने के बिना आपके शरीर को लचीला रखने में आपकी मदद कर सकती है। सख्ती से तले हुए भोजन, फ्रोजन फूड्स, फैटी और पेय पदार्थों से बचें। गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है क्योंकि आप मितली करते हैं इसलिये जरूरी है कि आप दिन में लगभग दो लीटर पानी पीएं। यदि आप पर्याप्त तरल पदार्थ बनाए रखने में असमर्थ हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें।
गर्भावस्था के दौरान आदर्श वजन प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण पहलू है। सामान्य से अधिक वजन प्राप्त करने से मां और बच्चे के लिए कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, उच्च रक्तचाप संबंधी विकार और प्री-टर्म डिलीवरी का जोखिम, और यदि आप वजन कम बढ़ाते हैं तो आपक बच्चा अंडरवेट पैदा हो सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से गर्भावस्था के इस महत्वपूर्ण पहलू पर जरूर चर्चा करें, और आदर्श शरीर के वजन का आकलन करने के लिए डिलीवरी से पहले नियमित जांचें करवाते रहें। हालांकि, अपने वजन के बारे में ज्यादा तनाव न लें। पौष्टिक आहार, अच्छी तरह से आराम करें, सक्रिय रहें और अपनी गर्भावस्था के वजन बढ़ाने के बारे में अपने डॉक्टर की सलाह का पालन जरूर करें।
::/fulltext::प्रेगनेंट महिलाओं को अकसर कुछ अजीबोगरीब चीज़ें खाने की इच्छा होती है। जहां कुछ महिलाएं खट्टी चीज़ें खाना पसंद करती हैं तो वहीं कुछ को इस दौरान मीठी चीज़ें भाती हैं। ऐसी चीज़ों को खाने की इच्छा होना या क्रेविंग होना गर्भवस्था में आम बात होती है। कई बार औरतों को ऐसी चीज़ें खाने का मन करने लगता है जो प्रेगनेंट होने से पहले उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन प्रेगनेंसी में वही चीज़ उनकी मनपसंद बन जाती है।
ऐसा भी देखा गया है कि कुछ महिलाएं मांस मछली छोड़ कर शुद्ध शाकाहारी बन जाती हैं लेकिन गर्भवस्था में अचानक उन्हें नॉन वेज खाने का मन करने लगता है। जहां एक ओर यह माना जाता है कि आयरन की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को अजीबोगरीब चीज़ें खाने की इच्छा होती है तो वहीं दूसरी ओर कुछ अध्ययनों से इस बात का खुलासा हुआ है कि शरीर में जिन चीज़ों की कमी होती है शरीर उन चीज़ों की कमियों को दूर करने के लिए इन्द्रियों को प्रेरित करता है जिसके कारण महिलाओं के साथ गर्भावस्था में ऐसा होता है। लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी भी होती हैं जिनका सेवन आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो बेहतर यही होगा कि आप इस तरह के खाने पीने की चीज़ों से दूर ही रहें ताकि आप और आपका बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। आज हम आपको ऐसे ही कुछ खाने की चीज़ों के बारे में बताएंगे जिनका सेवन प्रेगनेंसी में खतरनाक साबित हो सकता है।
कच्चा केक
कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिन्हें पकी हुई चीज़ों से ज़्यादा कच्ची चीज़ें पसंद आती है। उदाहरण के तौर पर अगर केक बनने की तैयारी हो रही है तो उन्हें उसके मिश्रण को पहले ही चखने में बहुत आनंद आएगा लेकिन क्या आप यह जानती हैं कि यह आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा कूकीज़ बनाने के लिए तैयार किया हुआ आटा भी आपके और आपके होने वाले बच्चे की सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि केक कच्चे केक के मिश्रण में और कूकीज के आटे में कच्चे अंडे मिले होते हैं जिसमें साल्मोनेला और कई नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया होते हैं। इससे गंभीर इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है जिससे गर्भपात भी हो सकता है।
जंक फूड
शायद ही ऐसी कोई गर्भवती महिला होगी जिसे प्रेगनेंसी के दौरान जंक फूड खाने की इच्छा नहीं हुई होगी। जहां कुछ जंक फूड आपको सीधे नुकसान नहीं पहुंचाते वे ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स को कम कर देते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप इस तरह के खाने की चीज़ों से परहेज करें और इनकी जगह पौष्टिक आहार का सेवन करें। जैसे की हमने आपको बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान इस तरह की चीज़ों को खाने की इच्छा आम बात होती है इसलिए ध्यान रहे कि इन चीज़ों का सेवन आप ज़रुरत से ज़्यादा न करें।
पहले से कटे हुए फल और सलाद
प्रेगनेंसी में हरी सब्जियों और फलों का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप बिल्कुल ताज़ी सब्जियों और फलों का सेवन कर रही हों। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पहले से ही काट कर फलों और सब्ज़ियों को न रखें। इसके अलावा पैकेज सलाद भी आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि इसमें बैक्टीरिया होते हैं जो आप दोनों की सेहत के लिए किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं होता।
कैफीन
प्रेगनेंसी के दौरान एक कप कॉफी कई महिलाओं को राहत दिलाती है लेकिन क्या आप यह जानती हैं कि इसमें जो कैफीन होता है वह आपके बच्चे के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे गर्भवती स्त्री का ब्लड प्रेशर बढ़ता है। साथ ही इसके सेवन से आपको बार बार पेशाब लगता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी होती है और आप डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर प्रेगनेंसी के दौरान ज़्यादा कैफीन का सेवन करने से जन्म के समय शिशु का वज़न कम हो सकता है।
अशोधित डेरी उत्पाद
गर्भावस्था में डेरी उत्पाद बेहद लाभकारी माने जाते है लेकिन ध्यान रहे कि आप जो भी उत्पाद खा रही हैं वह शोधित या पॉस्चराइज़्ड दूध से ही बना हो क्योंकि कच्चे दूध से बने उत्पादों में ढेर सारे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिससे आपको फ़ूड पोइज़निंग, डायरिया, ऐंठन और उल्टी की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा गर्भवती महिला को डिहाइड्रेशन, ज़्यादा थकान या फिर किडनी फेल होने का भी खतरा होता है।
कच्चा मीट
अकसर हमने देखा है की गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ऐसी चीज़ें खाने की इच्छा होती है जिसमे कच्चा मांस मिला हो जैसे स्टेक टार्टर और सुशी। इस तरह की खाने की चीज़ों में भारी मात्रा में बैक्टीरिया और पैरासाइट पाए जाते हैं जब ये किसी स्वस्थ व्यक्ति के लिए सही नहीं होता तो सोचिये कि ये गर्भवती स्त्रियों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। बेहतर होगा आप पके हुए मीट का ही सेवन करें।
कुछ मछलियां
मछली में कुछ ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं लेकिन यह जान लेना बेहद आवशयक होता है कि कौन सी मछलियों का सेवन इस दौरान सुरक्षित होता है। बांगड़ा मछली, सफ़ेद टूना, स्वॉर्डफिश और शार्क का सेवन प्रेगनेंसी में करना सुरक्षित नहीं होता है। इनमें बहुत ही ऊंचे स्तर पर मरकरी पाया जाता है जो आपके बच्चे के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा इसके अन्य कई नुकसान भी हैं।
लिवर
कुछ महिलाएं ऐसे व्यंजन खाना चाहती हैं जो जानवरों के लिवर से बने हों। इसका अपना एक अलग ही स्वाद और फ्लेवर होता है जो महिलाओं को आकर्षित करता है। हालांकि अगर आप ऐसी चीज़ें खा रही हैं तो थोड़ी ही मात्रा में खाएं क्योंकि इसका ज़्यादा सेवन आपके लिए हानिकारक हो सकता है। लिवर में भारी मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है जो आपके बच्चे के लिए ठीक नहीं है।
शराब
शराब एक ऐसी चीज़ है जिसका सेवन प्रेगनेंट महिलाओं को बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ आपके बच्चे को नुकसान पहुंचता है बल्कि इसका बुरा असर पूरी ज़िंदगी आपकी सेहत पर रहता है। जिन महिलाओं को शराब की आदत होती है और जो एक भी दिन बिना एक गिलास शराब के नहीं रह पाती हैं ऐसी औरतों को प्रेगनेंसी के दौरान अपने डॉक्टर्स से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
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