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ब्रेकअप कर लेने से कोई रिश्ता खत्म नहीं हो जाता है। क्या रिलेशनशिप में ब्रेकअप कोई मिथ है? अगर आप इस बारे में ध्यान से सोचेंगे तो आप पाएंगे कि ब्रेकअप एक मिथ यानि भ्रम की तरह है। रिलेशनशिप में अपने पार्टनर से हम सच में ब्रेकअप नहीं करते हैं। ब्रेकअप का मतलब होता है कि आप अपने और अपने पार्टनर के बीच सब कुछ खत्म कर रहे हैं लेकिन क्या सच में इसके बाद सब कुछ खत्म हो जाता है? किसी से रिश्ता तोड़ने के कई दिनों बाद भी उसकी याद आती है और उसके साथ बिताए गए यादगार लम्हे दिल में बस जाते हैं जिन्हें ब्रेकअप जैसा शब्द नहीं तोड़ पाता है। अगर सच में ब्रेकअप करने से रिश्ता खत्म हो जाता है तो फिर हमें उनकी याद क्यों आती है। आखिर क्यों हम उनके साथ बिताए हुए पलों को याद करके रोने लगते हैं और अपने पार्टनर के साथ बिताए लम्हों की तस्वीरें आंखों के सामने घूमने लगती है। ब्रेकअप एक मिथ है जोकि किसी रिश्ते के अंत में हो तो सकता है लेकिन उसका अंत कर नहीं सकता है। तो चलिए ज़रा संक्षेप में जानते हैं कि कैसे रिलेशनशिप में ब्रेकअप एक मिथ है।
पार्टनर से ब्रेकअप करने के बाद भी उनकी यादें दिल और दिमाग पर छाई रहती हैं। उनके साथ ली गई पुरानी तस्वीरों को देखकर आंखें भर आती हैं। फिर भी आपके दिमाग में चलता रहता है कि आपका रिश्ता इससे बेहतर हो सकता था। हमारा अतीत हमेशा हमें कचोटता रहता है। हम हमेशा यही सोचते हैं कि क्या इस रिश्ते में कुछ हो सकता है या किस तरह ये सफल बन सकता था। इसके पीछे का कारण है कि हम यादों को मार नहीं सकते और ना ही उनसे अपना पीछा छुड़ा सकते हैं।
इसी से पता चलता है कि हमने उस इंसान और उसके साथ बने रिश्ते को कभी तोड़ा ही नहीं। ब्रेकअप तो बस एक शब्द है जो हम कुछ समय के लिए अपने पास रखते हैं और फिर उसे किसी और को दे देते हैं और कभी वो वापस ही हमारे पास आ जाता है। ब्रेकअप बस एक शब्द है जोकि प्यार और यादों के आगे फीका पड़ जाता है।
जब हम किसी के साथ लंबे समय के लिए रिश्ते में रहते हैं तो उसके साथ अटैचमेंट हो ही जाता है। ब्रेकअप के बाद जब हम उसे देखते हैं तो उसके साथ वो पुराना वाला कनेक्शन याद आने लगता है। हम उनके साथ उस अटैचमेंट को मार नहीं सकते हैं। बस हम उसे दिखाना छोड़ देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप कैसे कह सकते हैं कि आपने उनके साथ अपने रिश्ते को खत्म कर दिया है। आज भी उनके लिए आपके दिल में वैसे ही सब कुछ है लेकिन आपने बस दिखाना छोड़ दिया है। इससे पता चलता है कि किसी रिश्ते को खत्म करने के लिए ब्रेकअप बस एक शब्द है।
एक हद तक ही हम अपने इमोशंस पर कंट्रोल पा सकते हैं। ब्रेकअप के बाद हमें अपने प्यार और भावनाओं पर कंट्रोल करना होता है। हम बस उस इमोशन को दबा देते हैं। अपनी भावनाओं को कोई भी कंट्रोल नहीं कर सकता है। ये तो पानी की तरह बहती चली जाती है। प्यार भी इमोशंस से जुड़ा होता है और जब हम इसे ही नियंत्रित नहीं कर पाते तो ब्रेकअप तो एक मिथ ही हुआ ना। ब्रेकअप के बाद भी अगर हम उनके साथ जुड़े हुए हैं तो फिर रिश्ता कैसे खत्म हुआ।
प्यार कभी भी मरता नहीं है। ये एहसास तो आत्मा से होता है और इसी वजह से प्यार अमर होता है। हो सकता है कि आप किसी के लिए अपने प्यार को छिपा लें या उसे ज़ाहिर ना करें लेकिन ये बात तो सच है कि आपके दिल से उनके लिए प्यार कभी मिटता नहीं है। आपको हर अनजान शख्स में उनका चेहरा नज़र आता है। ब्रेकअप के बाद भी उनके प्यार की याद आती है। इसका मतलब है कि ब्रेकअप के बाद भी आप और आपके पार्टनर के बीच जुड़ाव है। अगर ऐसा है तो फिर आप कैसे कह सकते हैं कि आपका ब्रेकअप हो चुका है।
ये 4 वजहें ये साबित करने के लिए काफी हैं कि ब्रेकअप शब्द का इस्तेमाल करने से कोई भी रिश्ता खत्म नहीं हो जाता। हम प्यार को खत्म नहीं करते बल्कि उसे छिपा या दबा देते हैं और कहते हैं कि सब खत्म हो गया। यहां तक कि जब आप अपने एक्स को देखते हैं तो उनके लिए अपने दिल में प्यार को महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो भावनाएं आप अपने दिल में दबा चुके हैं वो बाहर आने लगती हैं। इसी वजह से रिलेशनशिप में ब्रेकअप एक मिथ है।
::/fulltext::पीरियड के दौरान रैशेज और यीस्ट इंफेक्शन कई बार महिलाओं के लिए पीरियड को काफी मुश्किल बना देते है। पीरियड के दौरान गलत नैपकीन का यूज करने और सफाई के अभाव में जांघों के अंदरूनी हिस्से और जननांग के पास रैशेज हो जाते हैं और खुजली होने लगती है। अगर इस समस्या का जल्द ही कोई उपचार न किया जाए तो दर्द भरे दाने उभर जाते हैं। घंटों पैड पहने के कारण गर्मी और नमी से प्राइवेट पार्ट पर पसीना आने लगता है जो सूख नहीं पाने के वजह से वहां बैक्टीरिया पनपने लगते है और परिणामस्वरुप इंफेक्शन हो जाता है। इससे बचने के महिलाओं को पीरियड के दौरान कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखना चाहिए।
समय समय पर बदले पैड
पीरियड के दौरान ब्लीडिंग के माध्यम से शरीर में मौजूद अशुद्धियां शरीर से बाहर निकलती है। क्योंकि तब भी आपका पैड वजाइना और पसीने के माध्यम से कीटाणुओं के संपर्क में आता है। जिस वजह से रैशेज और वजाइना इंफेक्शन की समस्या होती है। इसलिए पीरियड के दौरान हर छह घंटे में पैड बदल देना चाहिए। जबकि टैम्पोन को हर दो घंटे में बदल देना चाहिए। आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से भी चेंज करती रहें। जिन महिलाओं को अत्यधिक बहाव (फ्लो) होता है तो उन्हें बार-बार अपनी जरुरत के हिसाब से पैड बदलना चाहिए।
प्राइवेट पार्ट की सफाई का ध्यान रखें
पीरियड की वजह से शरीर से दुर्गंध आने लगती है। पैड बदलने से पहले वजाइना की सफाई करें। अगर ऐसा संभव नहीं तो टॉयलेट पेपर या टिश्यू पेपर से उस एरिया को पोंछ जरूर लें। ध्यान रखें कि वेट पैड का इस्तेमाल न करें।
कॉटन सेनेटरी का करें
इस्तेमाल अच्छे सैनेटरी पैड का प्रयोग करें जो ब्लीडिंग को पूरी तरह से सोख ले और लम्बे समय तक चले, इससे आसपास ब्लीडिंग नहीं फैलेगी और रैशेज की संभावना भी कम हो जाएगी। यदि आप प्लास्टिक की परत वाली सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है तो इसे तुरंत उपयोग करना बंद कर दें। क्योंकि इसकी वजह से प्राइवेट पार्ट में ज्यादा गर्मी लगने से वहां रैशेज होने की सम्भावना और बढ़ जाती है।
वजाइना के पास खुद की सफाई का एक प्राकृतिक तरीका है जो बैक्टेरिया को को संतुलित करता है। साबुन से वजाइना को साफ करने पर शरीर के लिए अच्छे बैक्टेरिया खत्म हो सकते हैं और इंफेक्शन हो सकता है। हां पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखना ज़रूरी है और उसके लिए आप केवल गर्म पानी का इस्तेमाल करें। आप बाहरी हिस्सों पर साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन वजाइन या वल्व पर नहीं।
एंटीसेप्टिक क्रीम और पाउडर लगाएं
अगर पैड बहुत देर तक गीले रहें तो जांघों के साथ घर्षण से पैड रैश हो जाता है। अगर रैशेज हो गए हैं तो बार-बार पैड चेंज करते रहें। नहाने और सोने से पहले एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं। इसके अलावा जननांगों पर एंटीसेप्टिक पाउडर लगा लें। इससे जननांग सूख जायेंगे और रैशेज की संभावना भी कम हो जाएगी।
डॉक्टर के पास जाएं
अगर रैशेज और इंफेक्शन की समस्या ज्यादा हो रही है तो इग्नोर न करें। डॉक्टर के पास जाएं और खुलकर इस बारे में बात करें। डॉक्टर से पूरा मेडिकेशन लें।
::/fulltext::मूत्रमार्ग संक्रमण (यूरीनरी ट्रेक्ट इनफेक्शन- यू.टी.आई.) एक ऐसा संक्रमण है, जो कि मूत्रमार्ग में होता है। बच्चों में यह संक्रमण एक गंभीर समस्या है सही समय पर इस बीमारी का इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है। आज हम अपने इस लेख में बच्चों में यूरिन इनफेक्शन के विषय में चर्चा करेंगे। आइए जानते हैं बच्चों के यूरिन से जुड़ी इस समस्या के बारे में।
बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण
1. बुखार आना
2. दर्दयुक्त मूत्रत्याग
3. चिड़चिड़ापन
4. बार-बार मूत्रत्याग
5. उल्टी
6. झागयुक्त, गहरा, रक्तयुक्त या दुर्गन्धयुक्त पेशाब होना
7. कुछ खाना पीना नहीं 8. पसली और कूल्हे की हड्डी के बीच के हिस्से में या पेट में दर्द
अगर आपको अपने बच्चे में यह सारे लक्षण दिखाई दे तो फौरन अपने डॉक्टर से सलाह लें और अपने बच्चे का इलाज करवाएं।
यूरिन इन्फेक्शन के कारण
अगर आपका बच्चा दिन भर में 4 से 5 बार पेशाब करता है तो यह एकदम नॉर्मल है लेकिन अगर वह बढ़ कर 7 से 8 हो जाए तो यह चिंता का विषय होता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण होता है बैक्टीरिया। आमतौर पर आंत में रहने वाले बैक्टीरिया यूटीआई उत्पन्न करते हैं। इसके अन्य और भी कई कारण होते हैं जैसे कब्ज़, मूत्रत्याग हेतु प्रतीक्षा करना, तरल पदार्थ कम मात्रा में पीना।
यू.टी.आई. से बचने के उपाय
बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं। जब भी आप अपने बच्चे की नैपी बदलें उसके नितम्बों को आगे और पीछे की तरफ से अच्छे से साफ़ कर लें। ज़्यादा देर तक उसे गंदे नैपी में न रखें। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ले। यदि आपका बच्चा यह बता सकता है कि उसे मल मूत्र त्याग करना है तो उसे साफ सफाई के विषय में अच्छे से समझाएं। हर बार मूत्र त्याग करने के बाद उसे अपने गुप्तांग को पानी से धोना सीखाएं। इस प्रकार ऐसी छोटी छोटी बातों को ध्यान में रख कर आप अपने बच्चे को इस तरह के रोगों से दूर रख सकते हैं।
बच्चों में बार बार पेशाब होने की समस्या
बच्चे अकसर दिन में ज़्यादा पेशाब करते हैं लेकिन कई बार वे रात को भी बार बार पेशाब करने लगते हैं। धीरे धीरे यह समस्या बढ़ने लगती है और उनके मूत्र पर उनका नियंत्रण खोने लगता है। अंत में बूँद बूँद की मात्रा में उनका यूरिन निकलने लगता है।
बार बार पेशाब होने के कारण
1. डायबिटीज इन्सीपिंडस 2. पोटैशियम की कमी 3. सिर पर चोट लगना 4. अत्यधिक पानी पीने के कारण 5. मैनीटॉल चिकित्सा के कारण 6. डायबिटीज मेलीटस
बार बार पेशाब लगने से हो जाता है डिहाइड्रेशन
बच्चे हो या बड़े अगर अगर बार पेशाब आने की समस्या हो रही है तो ऐसे में डिहाइड्रेशन होना कोई नयी बात नहीं है। बार बार पेशाब लगने से प्यास भी अधिक लगने लगती है।
मूत्र रोग के लिए कुछ घरेलू उपचार
1. खीरे के रस में एक चमच नींबू का रस और शहद मिलाकर बच्चे को देने से उसे आराम मिलेगा।
2. मूली के पत्तों का रस भी ऐसी अवस्था में बच्चों के लिए फायदेमंद साबित होता है।
3. तिल के दानों के साथ गुड़ या फिर अजवाइन का सेवन भी बच्चों के लिए लाभकारी माना गया है।
4. अपने बच्चे को दही का सेवन हर रोज़ करवाएं।
5. रात के खाने में उबला हुआ पालक देने से बच्चे को बार बार पेशाब जाने की समस्या से कुछ राहत मिल सकती है।
आज कल की बदलती हुई जीवन शैली और व्यस्तता के कारण कई बार हम अपने बच्चों की सही देखभाल करने में पीछे रह जाते हैं जिसके कारण वो ऐसी कई छोटी बड़ी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। अगर आपके मन में किसी भी प्रकार की शंका हो या फिर ऐसा कोई भी लक्षण आप अपने बच्चे में देखें तो खुद उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर ले लें ताकि उनकी यह बीमारी कोई गम्भीर रूप न ले।