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संभोग के दौरान पीड़ा होने को मेडिकल भाषा में डिस्पेरूनिआ कहा जाता है। इसमें संभोग से पहले, उसके दौरान और उसके बाद यौन अंगों में दर्द महसूस होता है। आज इस पोस्ट में हम जानेंगें डिस्पेरूनिआ के लक्षण आदि के बारे में।
संभोग के दौरान दर्द महसूस होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे पहले आपको इसके लक्षणों के बारे में जान लेना चाहिए। इसमें पेनिट्रेशन के दौरान यौन अंगों में दर्द महसूस होता है, जलन या अकड़न रहती है और संभोग के बाद भी दर्द रहता है।
अगर कपल के बीच लड़ाई या झगड़ा हुआ है तो इससे उनकी मांसपेशियों के रिलैक्स होने की मात्रा और ल्यूब्रिकेशन कम हो जाता है। पेल्विक फ्लोर मसल स्पास्म्स और बैक्टरीरिया संक्रमण से भी नसें जुड़ी होती हैं और ये दोनों ही दर्दभरे सेक्स का परिणाम हैं। लेकिन स्ट्रेस की वजह से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां सख्त हो जाती है और इस वजह से संभोग के दौरान दर्द होता है।
अगर आप एक या दो साल तक सेक्स नहीं करते हैं तो भी आपको संभोग के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। रोज़ाना एक्टिविटी करने से शरीर के हर हिस्से की मांसपेशियां स्वस्थ और मजबूत रहती हैं। इसी तरह संभोग के दौरान वजाईना की मांसपेशियां भी काम करती रहती हैं। इससे ये मजबूत और स्वस्थ रहती हैं। नियमित संभोग करने से वजाईना की दीवारें स्ट्रेच रहती हैं और मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है।
वजाईना में सूखेपन के कई कारण हो सकते हैं लेकिन संभोग के दौरान दर्द का ये भी एक कारण है। बहुत ज्यादा दवाओं के सेवन की वजह से ल्यूब्रिकेशन भी कम हो जाता है और इस वजह से संभोग के दौरान और बाद में दर्द होता है। इसलिए सेक्स से पहले ल्यूब्रिकेंट से आप लंबे समय तक टिके रह सकते हैं।
मेनोपॉज़ से पहले का कुछ समय भी आपकी सेक्स क्षमता को प्रभावित करता है। इसमें मुख्य कारण एस्ट्रोफिक वजाईनाटिस है जिसका मतलब है कि इसमें वजाईना के आसपास के हिस्से में पर्याप्त एस्ट्रोजन नहीं होता है और इस वजह से वजाईना की त्वचा में लचीलापन नहीं रहता है और ल्यूब्रिकेशन कम होता है।
किसी भी महिला को किसी भी उम्र में बैक्टीरियर और यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है। मेनोपॉज के दौरान बैक्टीरिया और यीस्ट इंफेक्शन होना सामान्य बात है। वजाईना में यीस्ट इंफेक्शन कैंडिडा नामक फंगस की वजह से होता है और वजाईना प्राकृतिक रूप से बैक्टीरियर और यीस्ट के बीच संतुलन बनाए रखती है। जब यीस्ट की कोशिकाएं वजाईना में आती हैं तो इससे सूजन, खुजली और जलन महसूस होने लगती है।
जिन महिलाओं का पेट अकसर खराब रहता है उनमें ये समस्या अधिक देखी जाती है। आंते गर्भाशय के बगल में स्थित होती है। इसलिए गर्भाश्य के मूव करने पर आंतों में जलन और सूजन होने लगती है। इस वजह से भी सेक्स के दौरान पेट में दर्द हो सकता है।
इस हिस्से में कोई गड़बड़ी होना सामान्य बात है लेकिन इसका पता बहुत मुश्किल से चल पाता है। संभोग के दौरान पेल्विक की मांसपेशियां में ऐंठन रहती है और दर्द उठता है। महिलाओं में पेल्विक हिस्सा ब्लैडर, आंतों और गर्भाश्य को सहारा देता है।
इस अवस्था में गर्भाश्य के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्यूज़ बढ़ने लगते हैं। कई महिलाएं एंडोमेट्रिओसिस से ग्रस्त होती हैं और इस वजह से उन्हें सेक्स के दौरान असहनीय पीड़ा होती है। हालांकि, एडोमेट्रिओसिस की जगह इसके दर्द के स्तर को निर्धारित करती है। इसके सामान्य लक्षणों में माहवारी के दौरान पीडा, बहुत ज्यादा रक्त बहना, बांझपन, सेक्स के दौरान दर्द और मूत्र करने के दौरान दर्द महसूस होना आदि शामिल है।
संभोग के दौरान दर्द का एक कारण यूट्रेस में फाइब्रॉएड्स का होना और पेल्विक इंफ्लामेट्री रोग का होना भी है। इसके अलावा ओवरी में सिस्ट होने या किसी अन्य संक्रमण के कारण भी दर्द रहता है। अगर आपको बहुत ज्यादा दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इस बीमारी में पेनिट्रेशन के दौरान वजाईना की मांसपेशियां तनाव में आ जाती हैं। इसमें वजाईना और पेल्विक मांसपेशियों के बीच अनैच्छिक संकुचन पैदा हो जाता है जिससे बहुत ज्यादा तनाव बढ़ जाता है। वजाईनिस्मस में मांसपेशियों में ऐंठन बढ़ जाती है और ऐसे में वजाईना में कुछ भी प्रवेश नहीं कर पाता है। ये बहुत पीड़ादायक होता है।
अगर आपके पार्टनर को इरेक्टाइल डिस्फंकशन की समस्या है तो भी महिलाओं को संभोग के दौरान दर्द महसूस होता है। जैसे कि वियाग्रा का सेवन करने से ऑर्गेज्म धीमा और लंबे समय तक रहता है लेकिन इसमें कुछ महिलाओं को दर्द महसूस होता है।
ये एक दर्दनाक स्थिति है जोकि वल्वर के हिस्से में देखी जाती है और इसमें पेनिट्रेशन के दौरान बहुत दर्द रहता है। इसके कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन इसकी वजह वजाईना और वुल्वा की नसों के खुलने पर होने वाली जलन हो सकती है।
::/fulltext::एक बच्चे की प्लानिंग करना एक दंपत्ति के जीवन में बहुत बड़ा निर्णय है। इसके लिए पिता और माता दोनों को बहुत सी व्यवस्थाएं (जो जीवनशैली व्यवस्था, वित्तीय व्यवस्था या कुछ अन्य प्रकार की व्यवस्था) हो सकती हैं। यह देखते हुए कि आप उन सभी की व्यवस्था कर चुके हैं और आखिर में एक बच्चे के लिये तैयार हैं, यह स्पष्ट है कि आप कोई कसर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि आप निश्चित तौर पर चाहते हैं की बच्चा चुस्त और तंदुरुस्त पैदा हो।
हालांकि, इस बात पर विचार करते हुए कि आप अपनी गर्भावस्था के दौरान वास्तव में अपने बच्चे को नहीं देख सकते हैं, यह स्पष्ट है कि आप उसके स्वास्थ्य के बारे में थोड़ा चिंतित होंगे। अगर आपकी ये पहली प्रेगनेंसी है तो आप कई बातों को लेकर चिंतित रहेंगी। वैसे अल्ट्रासाउंड जैसे उपकरण हैं जिसके इस्तेमाल से डॉक्टर आपको आपके भ्रूण की सेहत और विकास की स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं लेकिन हर वक़्त इसका इस्तेमाल मुमकिन नहीं हो पाता है। गर्भ में पल रहे नन्हे से जीवन के बारे में जानने के लिए आप ज़रूर बेताब होंगे। ऐसे में यह आर्टिकल कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बता रहा है जिससे आपको पता चलता रहता है कि आपका बच्चा स्वस्थ है।
जिस क्षण आप गर्भवती हो जाएं, आपको इस तथ्य के बारे में उत्साहित होना चाहिए कि लगभग एक साल के लिए आपको अपने वज़न के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं होगी और आप जो कुछ भी चाहते थे उसे कर सकते हैं। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान वज़न बढ़ना अत्यंत आवश्यक है। आदर्श रूप से, आपको अपनी गर्भावस्था के दौरान 13 से 15 किलोग्राम वज़न बढ़ाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो आपको आश्वासन दिया जा सकता है कि आपका बच्चा स्वस्थ है।
हालांकि, आपकी शारीरिक बनावट पर भी आपका वज़न निर्भर करता है। चाहे आप गर्भवती होने से पहले अधिक वज़न वाले हो या नहीं। किसी भी मामले में, यदि आप अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित आंकड़ों से मैच करने में सक्षम हैं, तो यह निश्चित रूप से अच्छा संकेत है कि आपके बच्चे का आपके गर्भ में स्वस्थ विकास हो रहा है।
गर्भवती होने की कोशिश करने वाली कोई भी महिला इस तथ्य से अच्छी तरह से अवगत है कि गर्भवती होने के बाद उसके शरीर में हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाएंगे। यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर आपके बच्चे के समग्र स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। आदर्श रूप में, एक गर्भवती महिला को लगभग 400 मिलीग्राम प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करना चाहिए।
यह एंडोमेट्रियम स्थापित करने और मासिक धर्म को बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार है। इसी तरह, स्वस्थ बच्चे को बनाए रखने के लिए गर्भाशय के विकास को बढ़ावा देने के लिए, एस्ट्रोजन के कुछ 1200 ग्राम की आवश्यकता होती है। यह हार्मोनल पैरामीटर की जांच करने के लिए एक अच्छा तरीका है। यदि आपको लगता है कि आपके शरीर में इन हार्मोन का स्तर आदर्श सीमा में है तो आपके लिए चिंता करने की कोई बात नहीं है और आप आगे बढ़ सकते हैं और आश्वस्त रहें कि गर्भ में आपके बच्चे का स्वस्थ विकास हो रहा है।
यह सच है कि हर महिला अपने बच्चे को अलग-अलग तरह से पैदा करती है। आपके पेट का आकार आपकी प्रेगनेंसी के प्रकार पर निर्भर करता है। अगर आपकी पहली गर्भावस्था है, सिंगलटन गर्भावस्था है या यदि आप मेडिसिन ले रहे हैं तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कई बाहरी कारकों के बावजूद, पेट के आकार में अपेक्षित वृद्धि होती है। आपका डॉक्टर आपको गर्भावस्था में लागू मार्गदर्शिका के बारे में और बताने में सक्षम होगा।
यदि आप खुद को डॉक्टर के बताए पैरामीटर पर पाते हैं, तो चिंता करने की कोई बात नहीं है और आप भरोसा कर सकते हैं कि आपके बच्चे का गर्भ में अच्छा समय चल रहा है।
यह सच है कि हर महिला अपने बच्चे को अलग-अलग तरह से पैदा करती है। आपके पेट का आकार आपकी प्रेगनेंसी के प्रकार पर निर्भर करता है। अगर आपकी पहली गर्भावस्था है, सिंगलटन गर्भावस्था है या यदि आप मेडिसिन ले रहे हैं तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कई बाहरी कारकों के बावजूद, पेट के आकार में अपेक्षित वृद्धि होती है। आपका डॉक्टर आपको गर्भावस्था में लागू मार्गदर्शिका के बारे में और बताने में सक्षम होगा।
यदि आप खुद को डॉक्टर के बताए पैरामीटर पर पाते हैं, तो चिंता करने की कोई बात नहीं है और आप भरोसा कर सकते हैं कि आपके बच्चे का गर्भ में अच्छा समय चल रहा है।
भ्रूण की हार्टबीट
एक सामान्य वयस्क की तरह ही आपके बच्चे की हार्टबीट उसके स्वस्थ होने का प्रमाण है। आप अपने बच्चे के विकास में संभावित बाधाओं से बचने के लिए contraction टेस्ट और संकुचन परीक्षणों का विकल्प चुन सकते हैं। आदर्श रूप में, आपके अजन्मे बच्चे की दिल की धड़कन प्रति मिनट 110 और 160 बीट्स के बीच होनी चाहिए। इससे आप आश्वस्त हो सकते हैं कि आपके बच्चे का विकास सही तरीके से हो रहा है और कई अन्य पैरामीटर भी ठीक हैं। आपको गर्भावस्था के तीन महीने तक बच्चे की धड़कन पर निगरानी रखनी चाहिए।
भ्रूण की चाल
तार्किक रूप से बोलते हुए, भ्रूण की हलचल एकमात्र तरीका है जिसके द्वारा आपका बच्चा आपके साथ बातचीत करता है। जब आप दूसरे तिमाही के बीच में वास्तव में बच्चे को महसूस करना शुरू कर देंगे। जैसे-जैसे दिन जाते हैं, आप उनकी हिचकी और किक भी महसूस करने लगते हैं। यहां तक कि आपका डॉक्टर भी आपके बच्चे के विकास को ट्रैक करने के लिए इन हलचलों की निगरानी करेगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने असहज हैं, तथ्य यह है कि आप भ्रूण की मूवमेंट्स का सामना कर रहे हैं, यह आपकी गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे तिमाही में एक स्वस्थ संकेत है। असल में, पिछले तिमाही में, आप अपने बच्चे के छोटे अंगों को भी महसूस कर सकते हैं। गर्भवती महिला के अनुभवों की प्रकृति, प्रकार और तीव्रता अन्य व्यक्तियों से अलग होती है। हालांकि, गर्भ में किसी भी तरह की हलचल एक स्पष्ट संकेत है कि आपके बच्चे को ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मिल रही है, जो उनके विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
प्री-लेबर ड्रॉपिंग
भ्रूण की चाल के महत्व को स्थापित करने के बाद, यह समझना महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के आखिरी महीने तक, आप भ्रूण की हलचल में गिरावट की उम्मीद कर सकते हैं। इस से चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है और यह वास्तव में एक स्वस्थ गर्भावस्था का प्रतीक है। इस बिंदु पर, आपका बच्चा आपके कोख में गिर रहा है और उसका सिर जनन मार्ग की तरफ इशारा कर रहा है। हालांकि इसका मतलब आपके लिए कम भ्रूण हलचल का अनुभव हो सकता है, इसका मतलब यह है कि आपका छोटा बच्चा जन्म के लिए तैयारी कर रहा है और आपको संकेत दे रहा है कि योजना के अनुसार चीज़ें चल रही हैं और वह चुस्त और तंदुरुस्त है।
ब्रा महिलाओं के डेली जरुरत में से एक है, अच्छे फिगर के साथ ही शरीर को भी ये चुस्त और दुरुस्त बनाती है। लेकिन डेली रुटीन में पहनने की वजह से ये हमारी स्किन से एकदम चिपकी हुई रहती है। सुडौल और सुंदर स्तनों के लिए ब्रा अमूमन महिलाएं हमेशा ही पहनती हैं और अगर वो ब्रा काफी टाइट है तो आपके कंधे, पीछ और सीने पर निशान बन जाते हैं। ऐसे में सबसे पहले तो आपको सही साइज़ की ब्रा पहनना शुरू करना चाहिए। साथ ही कोशिश करें कि जब रात में आप सोती हैं तो ब्रा उतार कर सोएं। इससे आपके ब्रेस्ट और उसके आसपास की स्किन को सांस लेने की जगह मिलेगी। इसके अलावा पहले से पड़ चुके ब्रा के निशानों को दूर करने के लिए आप ये तरीके अपना सकती हैं।
ढीली स्ट्रैप - ये सबसे आसान तरीका है। दरअसल ब्रा की स्ट्रैप इलास्टिक की बनी होती हैं। इसमें ढीला और टाइट करने का विकल्प भी होता है। आप अपनी जरूरत के अनुसार ब्रा की स्ट्रैप को ढीला करें ताकि ये आपकी त्वचा पर कोई निशान ना छोड सकें। ये तरीका हमेशा के लिए अपनाएंगी को आपको ब्रा के कंधों और पीठ पर पड़ने वाली समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा।
पेट्रोलियम जैली लगाएं - अगर आप अपनी ब्रा स्ट्रेप या इलास्टिक से परेशान रहती है तो पेट्रोलियम जेली आपके काफी काम आ सकती है। पेट्रोलियम जेली आपकी त्वचा को मुलायम बनाती है। इसे शरीर के उस हिस्से पर लगाएं जहां ब्रा की इलास्टिक आपको अधिक तंग महसूस होता है। इससे आपकी त्वचा की पूरी देखभाल हो जाती है, उसपर न स्क्रैच पड़ते हैं न ही रैशिज़ होते हैं। अगर पहले से निशान है तो वो भी धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
स्क्रब करें - ब्रा काफी टाइट होती है जिसकी वजह से स्किन काली पड़ जाती है। ये दाग देखने में अच्छे नहीं लगते। अगर आपको ये समस्या है तो आप स्क्रबिंग करके इसे दूर कर सकती हैं। अपने पूरे ब्रा एरिया की स्क्रबिंग अच्छी तरह से करें। इससे इस एरिया की डेड स्किन निकल जाएगी। हफ्ते में एक बार नहाते हुए स्क्रबिंग करेंगी तो आपके ऐसे निशान नहीं पड़ेंगे।
ऐलोवेरा जेल - ये जेल बाज़ार में काफी आसानी से मिल जाता है। रात में सोते वक्त अपनी त्वचा पर एलोवेरा लगाएं और सुबह तक इसकी ठंडक आपना जादू बिखेर चुकी होगी। धीरे-धीरे आपकी स्किन पर पड़े ब्रा के निशान कम होने लगेंगे।
हर किसी की ज़िंदगी में शादी एक अहम निर्णय होता है। शादी के बाद आपकी पूरी ज़िंदगी बदल जाती है और आपके फैसले सिर्फ आपके ना होकर दूसरों की सहमति के मोहताज बन जाते हैं। हमारी ज़िंदगी में शादी को बहुत ज़रूरी माना जाता है। ये बात सच है कि शादी के बंधन में बंधने के बाद दो अनजान लोग हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो जाते हैं और अपनी बाकी की पूरी ज़िंदगी एकसाथ बिताते हैं। ये रिश्ता प्यार, भरोसे, आपसी समझ और आपसी सहयोग का होता है। इन चीज़ों से वैवाहिक रिश्ते को सुखी और खुशहाल बनाया जा सकता है। समाज में विवाह को लेकर कई नियम बने हुए हैं और देखा जाता है कि महिलाओं के मन में शादी को लेकर डर रहता है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से लड़कियों को शादी से डर लगता है। लेकिन भारतीय महिलाओं को शादी से डर क्यों लगता है? विशेषज्ञों की मानें तो शादी से लड़कियों के डरने के अधिकतर कारण मनोवैज्ञानिक हैं लेकिन कई महिलाओं को इन्हें स्वीकार करने में दिक्कत आती है। इनमें से कुछ कारणों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
अपनी पहचान खोना
कई मामलों में लड़कियों को लगता है कि शादी के बाद उनकी अपनी पहचान खो जाएगी। इस वजह से भी वो शादी से डरने लगती हैं। महिलाओं की सोच पर इसका बहुत असर पड़ता है। कई महिलाएं किसी अनजान इंसान पर निर्भर होने से डरती हैं। अगर आप भी इस वजह से शादी से दूर भागती हैं तो आपको बता दें कि आपका ये डर निराधार है। ये एक मनोवैज्ञानिक कारण है जिसका आपके दिमाग पर बहुत असर पड़ता है।
ससुराल वालों के साथ रहना
आजकल की मॉडर्न लड़कियां अपने पति और बच्चों के साथ एकल परिवार में रहना पसंद करती हैं। ऐसी परिस्थिति में ससुराल वालों के साथ रहने की सोचकर ही वो घबरा और डर जाती हैं। वहीं अरेंज मैरेज में मुश्किल और भी ज़्यादा तब बढ़ जाती है जब पति संयुक्त परिवार में रहता हो।
ज़्यादा ज़िम्मेदारियां
ऐसी बात नहीं है कि मॉडर्न महिलाओं को ज़िम्मेदारियां उठाने या निभाने में दिक्कत है बल्कि ये तो मानव स्वभाव है कि हम ज़्यादा ज़िम्मेदारियों से बचने के लिए दूरियां बनाने लगते हैं। ज़िम्मेदारियों का डर और बोझ भी महिलाओं के मन में शादी के प्रति डर पैदा करता है।
आज़ादी खोना
शादी से डरने के पीछे ये भी एक महत्वपूर्ण कारण है। वर्किंग महिलाओं और ज़्यादा कमाने वाली लड़कियों को शादी उनकी आज़ादी की दुश्मन लगने लगती है। लड़कियों को अपना घर ज़्यादा सुविधाजनक लगता है। अपने घर में कोई भी उनकी ज़िंदगी में दखलअंदाज़ी नहीं करता है। हालांकि, शादी के बाद सब कुछ बदल जाता है। ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्हें लगता है कि शादी के बाद उनकी आज़ादी खो जाएगी और उन्हें अपने पति और परिवार के साथ रहना पड़ेगा।
वो प्यार और देखभाल नहीं
आप भी इस बात से सहमत होंगे कि हमें अपने परिवार से जितना प्यार मिलता है उतना किसी और से नहीं मिलता। किसी अनजान शख्स से शादी करने पर मन में अपने परिवार से मिले प्यार और देखभाल को खोने का डर रहता है। ये भी एक मनोवैज्ञानिक कारण है जो लड़कियों को शादी करने से रोकता है।
कई महिलाएं इन कारणों से शादी करने से बचती हैं। कई मौकों पर महिलाएं अपनी ज़िंदगी में कभी शादी ना करने का फैसला ले लेती हैं। दुनियाभर में आधुनिक समाज में ऐसी सोच बढ़ रही है।