Sunday, 22 December 2024

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हमेशा गालियों में मां और बहन जैसे शब्दों को ले आते हैं, कभी 'तेरे बाप की' या  'तेरे भाई की' ऐसे गाली क्यों नहीं देते.....

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 इस दुनिया में कोई भी चीज बिना कारण के नहीं होती, हर चीज के होने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है। ऐसे ही कई बार कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनसे हमारा सामना रोज होता है लेकिन हमको उसके पीछे का कारण पता नहीं होता या फिर हम जानने की कोशिश नहीं करते। आमतौर पर हम सब अपने दोस्तों के बीच में गाली का यूज करते हैं और ज्यादातर गालियां औरतों को लेकर ही होती हैं। लोग किसी आदमी को गाली देते हैं, तो उसमें भी औरतें आ जाती है और किसी जानवर को गाली देते हैं, तो उसमें भी औरतें आ जाती हैं। लोग हमेशा गालियों में मां और बहन जैसे शब्दों को ले आते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? कभी 'तेरे बाप की' या  'तेरे भाई की' ऐसे गाली क्यों नहीं देते हम? आपने नहीं सोचा होगा और आपने तो क्या किसी ने भी इस बारे में नहीं सोचा होगा, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे का कारण। 

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 क्या है गाली का कच्चा चिठ्ठा? 

 इतिहासकार सुसन ब्राउनमिलर ने एक किताब लिखी थी "Against our will: men, women and rape"। इस किताब में उन्होंने बलात्कार के इतिहास के बारे में बताया था। उनका कहना है कि जब धीरे-धीरे मनुष्य ने विकास करना शुरू किया तो उसे पता चला कि उसके अंग डर पैदा करने के लिए हथियार के रुप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, ये उसकी सबसे बड़ी खोज थी। धीरे-धीरे फिर मर्दों को पता चला कि वो बलात्कार कर सकते हैं, तो उन्होंने बलात्कार करना शुरु कर दिया। उनका मानना है कि शायद इसी के बाद से गाली की शुरुआत हुई और फिर लोगों ने गाली देना शुरु कर दिया। इसके लिए वो मनुष्य की शारीरिक बनावट को दोषी मानती हैं, उनका कहना है कि पुरुष और महिला की लैंगिक बनावट में काफी अंतर है और पुरुष के मुकाबले महिलाओं की बनावट काफी कमजोर है। इसके पीछे आदमियों का ताकतवर होना और औरतों का कमजोर होना भी कारण माना जा सकता है। 

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 क्यों देते हैं हम गाली? 

 इसके पीछे हमारा मूड हो सकता है। दरअसल, जब हम किसी के काम से खुश होते हैं, या फिर खुश रहते हैं, तो हम उसे गाली की बजाय उसकी तारीफ करते हैं। लेकिन जब हमारा दिमाग खराब रहता है या फिर हमें किसी की बेज्जती करनी होती है, तो फिर हम उसके लिए गाली का उपयोग करते हैं। आजकल दोस्तों के बीत में लड़कों का गाली देना आम सा हो गया है, ऐसा इसलिए क्योंकि धीरे-धीरे गाली हमारी लैंग्वेज में शामिल हो जाती है और फिर हम न चाहते हुए भी गाली का इस्तेमाल करने लगते हैं। 
 

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बढ़ती उम्र में माँ बनने से कम होता है इन बीमारियों का खतरा......


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आज के इस आधुनिक समय में माँ बनने की कोई उम्र सीमित नहीं रह गयी है। जहां पहले 24-25 वर्ष तक की उम्र बच्चा पैदा करने के लिए सही मानी जाती थी, वहीं आजकल 34-36 साल की उम्र में भी महिलाएं स्वस्थ बच्चों को जन्म दे रही हैं। खासतौर पर आजकल कामकाजी महिलाएं जल्दी माँ बनना नहीं चाहती क्योंकि वे पूरी तरह अपने करियर पर फोकस करना चाहती है और बच्चे पैदा करने के लिए सही समय का इंतज़ार करती है ताकि वे अपने बच्चे को अच्छे भविष्य के साथ पर्याप्त समय भी दे पाएं। कई बार भागदौड़ भरी जीवनशैली का बुरा प्रभाव महिलाओं के शरीर पर पड़ता है जिसके कारण उन्हें बढ़ती उम्र में माँ बनने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर एक अध्ययन के अनुसार 30 की उम्र के बाद बच्चे पैदा करने के कुछ बड़े फायदे भी होते हैं। आज इस लेख में हम आपको बढ़ती उम्र में माँ बनने के फायदे के बारे में बताएंगे।

शोधकर्ताओं का यह मानना है कि एक स्त्री को 30 की उम्र के बाद ही फैमिली प्लानिंग करनी चहिए, इससे उन्हें कई तरह की सेहत से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इतना ही नहीं जो महिलाएं 35 की उम्र के बाद बच्चे पैदा करती हैं उनके बच्चे लंबे और ज़्यादा समझदार होते हैं यानी कम उम्र में माँ बनने वाली स्त्रियों के बच्चों की तुलना में ऐसे बच्चे जीवन में ज़्यादा तरक्की करते हैं। अगर आप फैमिली प्लानिंग करने की सोच रहे हैं तो हमारे द्वारा दी गयी इस जानकारी को दिमाग में रख कर फैसला लें जिससे होने वाले बच्चे और माँ दोनों को ही फायदा हो। तो आइए अपनी इस चर्चा को और आगे बढ़ाते हैं और जानते हैं कि 30 की उम्र के बाद महिलाओं को माँ बनने से क्या क्या लाभ होते हैं।

माँ की आयु बढ़ती है

इस अध्ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि जो औरतें बढ़ती उम्र में माँ बनती हैं वे ज़्यादा परिपक्व होती हैं इसलिए वे अपनी सेहत को लेकर भी बहुत गंभीर और सतर्क रहती हैं। ख़ास तौर पर गर्भावस्था के दौरान वे अपने खाने पीने का अच्छे से ध्यान रखती हैं जो आगे चलकर उनके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है और इससे उनकी आयु भी लम्बी होती है।

कैंसर का खतरा नहीं रहता

माना जाता है कि 20 की उम्र के बाद बच्चे पैदा करने वाली स्त्रियों की तुलना में 30 की उम्र के बाद माँ बनने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।

बच्चा स्वस्थ पैदा होता है

कम उम्र में माँ बनने वाली महिलाओं को अकसर कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसका प्रभाव उनके होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है। ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सेहत से जुड़ी कई समस्याएं आती हैं और जन्म के बाद बच्चे में भी कई तरह की कमियां पायी जाती हैं। लेकिन बढ़ती उम्र की औरतों के बच्चों में ऐसे खतरों की सम्भावना काफी कम होती है क्योंकि वे कई तरह की बीमारियों से दूर रहती हैं जैसे कैंसर और हाइपरटेंशन। ऐसे में वे स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं। 

प्रसव मृत्यु

अकसर बच्चे को जन्म देते समय माँ की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि 30 की उम्र के बाद महिलाओं के साथ ऐसा नहीं हो सकता। यह किसी भी उम्र की महिलाओं के साथ हो सकता है और यह एक बेहद गंभीर समस्या है। इसलिए जानकारों के अनुसार गर्भवती महिला को अपना ख़ास ध्यान रखना चाहिए। पौष्टिक आहार के साथ प्रतिदिन हल्के फुल्के व्यायाम भी गर्भवती स्त्री के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं।

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सेक्‍सुअल लाइफ में इंटीमेसी बढ़ाने के ल‍िए योगासन......


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बिजी लाइफस्‍टाइल में आजकल कपल्‍स के पास एक दूसरे के ल‍िए भी समय नहीं रह गया है। लोगों ने अपनी पर्सनल लाइफ से अपने कॅरियर को प्रिफरेंस दे रहे है जिस वजह से प्‍यार, मोहब्‍बत और इंटीमेंसी कहीं न कहीं रिलेशनशिप से गायब होता जा रहा है। जिसका परिणाम ब्रेकअप या तलाक के रुप में मिलता है। दरअसल वर्क स्‍ट्रेस की वजह से लोगों के पास रिलेशनशिप को इंटीमेंट बनाने का समय नहीं रहा।

किसी भी रिलेशनशिप को एंजॉय करने के लिए इंटीमेसी होना बहुत जरुरी है। ये तब होता है जब आप दोनों फुर्सत के समय पर एक अच्‍छा लव सेशन एंजॉय करें। जी हां सेक्‍स के जरिए न सिर्फ रिश्‍तों में इंटीमेंसी बढ़ती है बल्कि एक आप एक दूसरे से बेहतर तरीकों से महसूस करते हैं। आप नहीं मानेंगे कि योगा के जरिए आप अपनी सेक्‍सुअल लाइफ में इंटीमेंसी का तड़का लगा सकते है। आज हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे है जो आपके उन पलों में आपको बॉडी को फ्लेक्‍स‍िबल बनाने के साथ आपकी इंटीमेंसी को बढ़ाएंगे।

वशिष्ठासन यानी प्लैंक्स

इस योगासन के कारण से आपमें सेक्‍सुअल कॉफिडेंस आता है और आपकी स्‍ट्रेंथ बिल्डि़ग पोश्‍चर बनती है। इसके अलावा यह आपकी पीठ और कोर मसल्‍स पर काम करता है जिससे आपकी इंटिमेंसी के दौरान आप अपने पोश्‍चर को ज्‍यादा देर तक बनाकर रख पाते हैं और आप जल्दी थकते भी नहीं होते हैं।

विधि :

यह योगासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर पुशअप पॉजीशन में आएं। इसके बाद बॉडी का भार हथेलियों की बजाय अपनी बांहों पर रखें। इस पॉजीशन में आपकी बॉडी सिर से लेकर पैर तक एक सीध में होनी चाहिए। अब इस पॉजीशन में आप जितनी देर टिकी रह सकते है। उतनी देर तक बनें रहें। इससे कमर दर्द से राहत मिलने के अलावा ब्‍लड सर्कुलेशन सही रुप से होता है।

मार्जारी आसन यानी काउ स्ट्रेच

मार्जारी आसन यानी काउ स्ट्रेच आपके कीगल मसल्‍स पर काम करता है। क्‍योंकि यह पेल्विक एरिया के मूवमेंट को कंट्रोल करने में हेल्‍प करते है। जी हां इस योग को करने से आप अपनी बॉडी की निचली मसल्‍स में ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ा सकती है।

विधि:

इस योगासन को करने से पहले दोनों घुटनों और दोनों हाथों को जमीन पर रखकर घुटने पर खड़े हो जाएं। फिर हाथों को जमीन पर बिलकुल सीधा रखें। ध्यान रखें कि हाथ कंधों की सीध में हों और हथेली फर्श पर इस तरह टिकाएं कि उंगलियां आगे की तरफ फैली हों। हाथों को घुटनों की सीध में रखें, बाजू और हिप्‍स भी फर्श से एक सीध में होने चाहिए। इसके बाद रीढ़ को ऊपर की तरफ खींचते हुए सांस अंदर खींचें। इसे इस स्थिति तक लाएं कि पीठ अवतल अवस्था में पूरी तरह ऊपर खिंची हुई दिखे। सांस अंदर की ओर तब तक खींचती रहें जब तक कि पेट हवा से पूरी तरह भर न जाए। इस दौरान सिर का ऊपर उठाए रखें.

उपाविस्‍था कोणासन (वाइड-लेग्‍गड स्‍ट्राडल पोज)

सेक्‍स इच्‍छा की कमी को दूर करने का यह कारगर आसन है। यह पेल्विक एरिया में रक्‍त-संचार बढ़ाने में मदद करता है। रक्‍त-संचार बढ़ने से जनांनागों में ऊर्जा का स्‍तर बढ़ जाता है। शोध इस बात को साबित कर चुके हैं श्रोणिक क्षेत्र में रक्‍त-संचार का संबंध कामोत्तेजना से होता है। रक्‍त संचार अधिक होने से आप सेक्‍स का लंबे समय तक आनंद उठा पाएंगे।

स्‍वावलंब सर्वांगासन (शोल्‍डर स्‍टैंड)

आपके शरीर के निचले हिस्‍से में रक्‍त-संचार कम होने का अंदेशा अधिक होता है। यह गुरुत्‍वाकर्षण की गति‍शीलता के कारण भी हो सकता है। शरीर के निचले अंगों से रक्‍त को वापस हृदय की ओर भेजना, आसान काम नहीं। इस समस्‍या को आप अपने शरीर को उल्‍टा करके इस समस्‍या को हल कर सकते हैं। इससे आपका चित्त शांत रहेगा, थकान दूर होगी और पाचन क्रिया बेहतर होगी।

विधि:

इस आसान के ल‍िए सीधा लेट जाएं और फिर कमर के नीचे के शरीर के हिस्‍से को ऊपर की तरफ उठाएं। तब तक उठाएं जब तक कि शरीर के पूरे हिस्‍सों का भार कंधों पर नहीं आ जाता है। इससे आपको आराम मिलेगा।

सुप्त बद्धकोणासन

यानि यह योगासन आपकी थाई और हिप्‍स को स्ट्रेच कर उनमें लचीलापन लाता है। इससे आपकी पीठ दर्द की समस्या भी ठीक हो जाएगी जो कि ऑफिस में नौ घंटे बैठने के बाद अमूमन हर किसी को होती है। साथ ही यह आपकी बॉडी में ब्‍लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर आपके एनर्जी लेवल को बढ़ाता है।

विधि:

इस आसन के ल‍िए सबसे पहले जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। बांहों को शरीर के दोनों तरफ पैर की दिशा में फैलाकर रखें। इस पॉजिशन में हथेलियां छत की दिशा में रहनी चाहिए। घुटनो को मोड़ें और तलवों को जमीन से लगाकर रखें। दोनों तलवों को नमस्कार की मुद्रा में एक दूसरे के करीब लाकर जमीन से लगाएं। जितना संभव हो एड़ियों को हिप्‍स की ओर करीब लाएं। इस पॉजिशन में 30 सेकेण्ड से 1 मिनट तक बने रहें। हाथों से दोनों हिप्‍स को दबाएं और धीर धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं।

भुजंगासन यानि कोबरा पोज

अगर आपके पीरियड से संबंधित कोई समस्‍या है तो भुजंगाासन आपके ल‍िए फायदेमंद है। दरअसल कोबरा पोज सीधे आपकी ओवरी और यूटरस को हेल्‍थ बेनिफिट्स देती है। यह बॉडी के निचली मसल्‍स में लचीलापन बढ़ाने में हेल्‍प करता है और महिलाओं को पीठ दर्द में राहत देता है और निचले हिस्‍से की मसल्‍स की हेल्‍थ में सुधार लाता है, जिससे उन पलों में आपके निचले मसल्स में ज्यादा हार्मोन्स का स्राव होता है और आपमें इंटिमेंसी का एहसास बढ़ता है।

विधि:

सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब पेट के पास अपने दोनों हाथों को रखें। फिर दोनों पैरों को एकदूसरे से दूर कर लें और पंजों को ऊपर की तरफ रखें और उनसे जमीन पर प्रेशर बनाएं। हथेलियों से जमीन पर प्रेशर डालें और दोनों कोहनी को शरीर के पास रखें। अब बिना हाथ का सहारा लिए कमर से ज़ोर लगाएं। धीरे धीरे चेस्‍ट को जमीन से ऊपर उठायें, कंधों को पीछे की तरफ लेकर जाएं। जब आपकी कमर की मसल्‍स और पैरों पर प्रेशर बने तो हाथों का सहारा लें।


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लडकिया लडको से दिन भर में कितने बार संबंध बनाना चाहती है जानिए.....

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संबंध का नाम जैसे ही मुंह पर आता है,तो सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। और ऐसा होना लाजमी है। आपको तो पता ही अमूमन लड़के एक दिन में संबंध बनाने के बारे में 34 बार सोचते हैं लेकिन लड़कियां कितनी बार सोचती है. ये सवाल हर किसी मर्द के अंदर जरुर आता होगा तो चलो आज बता ही देते है कितनी बार सोचती है लड़कियां। आप भी सोच रहे होंगे कि महिलाएं संबंध बनाने के बारे में कितनी बार सोचती है-दिन में एक बार, दिन में दो बार या फिर हर घंटे।

महिलाए दिन भर में 34 संबंध बनाने के बारे में सोच्री है

 महिलाएं भी संबंध के बारे में उतनी ही बार सोचती हैं, जितनी बार पुरुष। यदि महिलाएं दिन में औसत रूप से 18.6 बार संबंध बनाने के बारे में सोचती हैं यानी हर 51वें मिनट में वे संबंध के बारे में सोचती हैं। और पुरुष संबंध के बारे में एक दिन में जितनी बार सोचते हैं, उतनी बार महिलाएं उसका आधा सोचती हैं। और इसका कारण टेस्टॉसटेरोन लेवल है। संबंध बनाने का ड्राइव टेस्टॉसटेरोन लेवल पर निर्भर करती है। यह एक हार्मोन है जो पुरुषों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं जबकि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दस गुना कम होते हैं। यही वजह है कि महिलाएं पुरुषों के मुताबिक संबंध के बारे में थोड़ा कम सोचती हैं, मगर उतना कम भी नहीं।

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