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रायपुर. शराबबंदी को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता निश्चय वजपेयी ने भूपेश बघेल सरकार की नीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि रमन सरकार ने कई बार इसी तरह दुकानों की संख्या कम कर और शराब का दाम बढ़ाकर शराबबंदी की दिशा मे कदम बढ़ाने का दावा किया था, जबकि हर बार परिणाम उलट ही आया. शराब की खपत और बढ़ी, साथ ही अवैध शराब का करोबार भी.
निश्चय बाजपेयी ने कहा कि महसूस होता है कि इस विषय पर सरकार उन्हीं लोगों की सलाह पर चल रही है, जो रमन सरकार को दारूबंदी के नए-नए ढकोसले बताते थे. सरकार ने शराबबंदी के लिए कमेटी की घोषणा की थी, उसका कोई अता-पता नहीं है. इस बीच साबित तौर पर असफल तरीके को अपनाकर सरकार आशंका पैदा कर रही है कि कहीं वो रमन सरकार की तरह शराबबंदी का केवल दिखावा तो नहीं करना चाहती है. यह फैसला उत्साह कम और निराशा ज्यादा पैदा कर रहा है.
रमन सरकार ने कई बार इसी तरह दुकानों की संख्या कम कर और शराब का दाम बढ़ाकर शराबबंदी की दिशा मे कदम बढ़ाने का दावा किया था, जबकि हर बार परिणाम उलट ही आया. शराब की खपत और बढ़ी, साथ ही अवैध शराब का करोबार भी. दुकानों की संख्या कम होने का असर इसलिये नहीं होता क्योंकि 8 पौआ प्रतिदिन, प्रति व्यक्ति के नियम ने गली-गली में कोचिया पैदा कर दिए हैं. यदि शराब की खपत पर रोक लगानी है तो 8 पौवा की छूट खत्म की जाए.
::/fulltext::बीजापुर. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन तो हो गया, लेकिन व्यवस्था में अब भी परिवर्तन नहीं हो पाया है. बीजापुर वन विभाग और इंद्रावती टाइगर रिज़र्व में अभी भी प्रभारवाद सर चढ़ कर बोल रहा है. सालों से नियमों को ताक पर रख डिप्टी रेंजर व फारेस्टर (वन रक्षक) को रेंज अफसर बना कर बिठाया गया है. इतना ही नहीं इन्द्रावती टायगर रिजर्व में तो खुद उपसंचालक भी प्रभारी हैं.
अपने कार्य का खुद निरीक्षण कर निकाल रहे रकम
इन्द्रावती टायगर रिजर्व के भैरमगढ़ अभ्यारण्य परिक्षेत्र में पिछले दो सालों से फारेस्टर रामायण मिश्रा रेंज अफसर के प्रभार में है, जबकि यहां दो साल पहले वन परिक्षेत्र अधिकारी के रूप में महानंद का स्थानांतरण हुआ था. चूंकि फारेस्टर मिश्रा पूर्व वन मंत्री के बेहद करीबी रहे है, इसके चलते उन्हें पद से नहीं हटाया गया. वे अब तक रेंज अफसर के पद पर नियम विरुद्ध काबिज हैं. इतना ही नहीं इन्द्रावती टायगर रिजर्व के उपसंचालक एमके चौधरी खुद प्रभार में हैं. वे भैरमगढ़ के एसडीओ भी हैं. इसके चलते वे अपने कार्य का खुद निरीक्षण कर राशि आहरण कर रहे हैं. इससे कार्य की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगता है, जबकि कार्य निरीक्षण अधिकारी अलग से होता है.
कहीं मंत्री से करीबी तो कही रिश्तेदारी
ठीक इसी तरह मद्देड बफर परिक्षेत्र का डिप्टी रेंजर बामदेव नाग को चार्ज दिया गया है. बामदेव नाग सामान्य वनमंडल में पदस्थ किए गए थे, उन्हें सामान्य वनमंडल से इन्द्रावती टायगर रिजर्व के मद्देड बफर का रेंज अफसर बना दिया गया. इसी तरह डिप्टी रेंजर राजेश बाकची को बीजापुर और सेंड्रा बफर रेंज का प्रभार मिला हुआ है. सामान्य वनमंडल का भी हाल यही है. यहां दो साल पहले रेंजर प्रेम शंकर यादव का स्थानांतरण हुआ था. उन्हें रेंज का चार्ज न देकर बांसागार का प्रभार दिया गया है, जबकि सामान्य वनमंडल में पदस्थ डिप्टी रेंजर सच्चिदानंद सिंह को बाकायदा मद्देड रेंज का चार्ज देकर उन्हें उपकृत किया गया है.
अफसरों की कमी से बनी स्थिति
बताया जा रहा है कि पूर्व वनमंत्री से कहीं करीबी, कहीं रिश्तेदारी तो कहीं स्थानीय सत्ताधारी दल के नेताओं की अनुशंसा पर कई लोगों को उपकृत करने का काम किया गया है. लेकिन दूसरी ओर इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप संचालक एमके चौधरी का कहना है कि वन विभाग में प्रभार वाली स्थिति पूरे बस्तर क्षेत्र में है. यह स्थिति अफसरों की कमी की वजह से है.
::/fulltext::रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर कान्फ्रेंस में जिलाधिकारियों को सीधे और स्पष्ट लहजे में कड़े निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के वादें का सूत्र वाक्य नरवा-गरवा, घुरवा-बारी पर प्राथमिकता से काम करें. इसके साथ ही आम लोगों की समस्याएं अगर जिला स्तर पर हल हो सकता तो उसे वहीं तत्काल निराकृत करें. मामलों को लंबित रखने की प्रथा बंद करनी होगी. सरकार ने तय किया है कि ग्रामीण विकास पर पूरा जोर देना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होना चाहिए. ऐसा नहीं होना चाहिए जिन लोगों को योजनाओं का लाभ मिल रहा उन्हें पता ही न उस योजना के बारे में. मतलब लाभ के साथ-साथ जानकारी भी लोगों तक बेहतर तरीके से पहुँचनी चाहिए. पूर्व सरकार में आप सब जैसा भी काम करते रहे होंगे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. आपको यह भी देखना होगा कि आज जिस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं वह काम सरकार ही नहीं बल्कि आपका अपना भी है. मतलब आपको हर काम पूरा जुझारूपन दिखाना होगा.
::/fulltext::रायपुर. आखिरकार भूपेश बघेल सरकार ने वह फैसला ले ही लिया, जिसके सरकार गठन के बाद से कयास लगाए जा रहे थे. बात हो रही है मीसा बंदियों के सम्मान निधि की, जिसके भुगतान पर भूपेश बघेल सरकार ने फरवरी माह से रोक लगा दी है. सम्मान राशि रोकने के लिए सरकार ने भुगतान प्रक्रिया के पुनर्निधारण का पैतरा फेका है. सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने 29 जनवरी को समस्त आयुक्त और कलेक्टर को निर्देश जारी कर लोकतंत्र सेनानियों (मीसा बंदियों) का भौतिक सत्यापन करने व उन्हें दी जाने वाली सम्मान निधि के भुगतान प्रक्रिया का पुनर्निधारण करने कहा है. जारी आदेश में जिला कोषालय अधिकारियों से कहा गया है कि वे बैंको को ताकीद करें कि फरवरी से उन्हें इसका भुगतान न किया जाए.
शांडिल्य ने लिखा है कि मीसा बंदियों को वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधान के अनुसार उन्हें भुगतान की जाने वाली सम्मान निधि की राशि का समुचित नियमन करने एवं भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक, पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है. साथ ही प्रदेश में लोकतंत्र सेनानियों का भौतिक सत्यापन कराया जाना आवश्यक है. इस हेतु पृथक से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे.
उपयुक्त के परिप्रेक्ष्य में निर्देश अनुसार अनुरोध है कि आगामी माह फरवरी 2019 से लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि राशि का वितरण उपयुक्त अनुसार कार्यवाही होने के पश्चात किया जाए. इस हेतु जिला कोषालय अधिकारी संबंधित बैंकों की शाखाओं को निर्देशित करें.
मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ ने उठाया कदम
छ्तीसगढ़ सरकार के निर्णय लेने से पहले मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार ने शिवराज सिंह सरकार के मीसा बंदियों को प्रतिमाह दी जाने वाली राशि पर भी रोक लगा दी है. अब छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों को राशि नहीं देने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देना शुरू हुआ था. वर्तमान में यह राशि 15 हजार रुपए है.
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